नई दिल्ली : मिशन यूपी 2022 गृह मंत्री अमित शाह का अगला बड़ा मिशन है जिसे वह एक प्रोजेक्ट की तरह सफल बनाने की कवायद में जुट गए हैं.
इस क्रम में 29 अक्टूबर काे अमित शाह के इस दौरे को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है. अमित शाह वैसे तो काफी पहले से उत्तर प्रदेश विधानसभा की रूपरेखा तैयार कर चुके हैं लेकिन इसे अमलीजामा पहनाने की वास्तविक शुरुआत 29 अक्टूबर से लखनऊ पहुंचकर करेंगे.
यूपी चुनाव के मद्देनजर गृह मंत्री अमित शाह लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह, चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, चुनाव सह प्रभारी अनुराग ठाकुर और संगठन महामंत्री सुनील बंसल के अलावा पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ मैराथन बैठक करेंगे.
सूत्रों की मानें तो इस बैठक में अमित शाह अलग-अलग पदाधिकारियों को अलग-अलग कार्यों की जिम्मेदारी प्रदान करने वाले हैं जिसमें उन्हें उस कार्य को टाइम बाउंड लक्ष्य के अंतर्गत पूरा करना होगा. पार्टी पार्षदों, पूर्व पार्षदों और पूर्व विधायकों को भी चुनाव में अलग-अलग क्षेत्रों में चुनाव प्रचार का जिम्मा सौंपा जाएगा.
शाह पार्टी संगठन के निचले स्तर से लेकर चुनाव प्रभारी तक को इस दौरे के दौरान अलग-अलग कार्य आवंटित करेंगे और सभी की जिम्मेदारी तय तो की ही जाएगी साथ ही मुख्यालय में इन कार्यों की रिपोर्ट प्रतिदिन सेंट्रल कंट्रोल रूम को पदाधिकारियों को सौंपनी भी होगी.
चुनाव संबंधित इन जिम्मेदारियों में पदाधिकारी कोई भी कोताही नहीं बरत पाएंगे क्योंकि उसकी निगरानी इस बार सीधे तौर पर सेंट्रल कंट्रोल रूम से भी की जाएगी. इसके अलावा पार्टी के ही एक वरिष्ठ राष्ट्रीय महासचिव की बात मानें तो अमित शाह पदाधिकारियों से भी हर दूसरे दिन खुद भी संबंधित कार्यों की समीक्षा सेंट्रल वार रूम में बैठकर करेंगे.
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश काफी बड़ा क्षेत्र है और इस विधानसभा चुनाव में ना सिर्फ विधायकों को बल्कि सांसदों को भी उतनी ही जिम्मेदारी दी जाएगी. इसके अलावा पार्टी पार्षदों, पूर्व पार्षदों और पूर्व विधायकों को भी चुनाव में अलग-अलग क्षेत्रों में चुनाव प्रचार का जिम्मा सौंपेगी. यूपी के 6 क्षेत्रों, काशी, गोरक्ष, अवध, कानपुर -बुंदेलखंड, ब्रज और पश्चिम में पहले से ही माइक्रो लेवल पर पार्टी ध्यान दे रही है और 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए 350 सीटों का लक्ष्य देने के बाद पार्टी इन इलाकों में और भी सजग हो गई है.
हाल में हुई लखीमपुर खीरी घटना और किसान आंदोलन से संबंधित विपक्ष के हमले को लेकर भी जवाब देने के लिए प्रदेश के मीडिया प्रभारी, सह प्रभारी, प्रदेश प्रवक्ता और मीडिया पैनल लिस्टओं को राज्य के सभी 98 संगठनात्मक जिलों में प्रवास कर सभी मंडलों की मीडिया टीम के साथ बैठक करने के निर्देश दिए गए हैं और उन्हें मीडिया प्रबंधन की बारीकियां बताकर प्रशिक्षित करने की सलाह दी गई है.
इस संबंध में ईटीवी भारत से बात करते हुए प्रमुख राजनीतिक विश्लेषक देश रतन निगम ने कहा कि जहां तक बात है अमित शाह के मिशन उत्तर प्रदेश की तो यहां यह कहना उचित होगा कि वह लगातार पार्टी के कार्यक्रमों में वे सक्रिय रहते हैं. अभी वह कश्मीर गए हैं और कश्मीर के हालात धारा 370 और 35a हटने के बाद से और मोदी सरकार आने के बाद काफी सुधार गए हैं.
जब हमने उनसे पूर्वांचल को सेहत का हब बनाए जाने की प्रधानमंत्री की घोषणा के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा- ‘पूर्वांचल हमेशा से उपेक्षित था और सिर्फ राजनीति का हिस्सा रहता था. मोदी सरकार या योगी सरकार आने से पहले, ये इलाका हमेशा अंडर-डेवलप्ड रहा था. लेकिन भाजपा की सरकार आने के बाद वहां काफी कुछ बदलाव आया है और सेहत का हब अगर उसे बनाया जाता है, तो ना सिर्फ उत्तर प्रदेश को बल्कि बिहार को भी फायदा होगा.
इस सवाल पर कि जहां पर चुनाव होता है वहां कमान अध्यक्ष पद से हटने के बाद भी अमित शाह को ही क्यों दी जाती है देश रतन निगम का कहना है कि अनुभव का कोई विकल्प नहीं होता वह अध्यक्ष भी रह चुके हैं और उनकी रैलियां और रोड शो यदि देखें तो जितनी भीड़ होती है वह उनके अनुभव का ही परिणाम होता है. जेपी नड्डा अध्यक्ष हैं और वह भी सक्रिय हैं लेकिन अनुभव का फायदा तो पार्टी उठाएगी ही.
इस सवाल पर कि 350 सीटों का जो लक्ष्य दिया गया है वह कहां तक साकार होता दिखता है राजनीतिक विश्लेषक निगम का कहना है कि यदि उत्तर प्रदेश की बात कर लें तो उत्तर प्रदेश में संगठन काफी मजबूत है और यदि इस लक्ष्य पर भारतीय जनता पार्टी इतनी मजबूती से काम कर रही है तो स्कैनर्स काफी नजदीक तक पहुंच सकती है इसमें कोई दो राय नहीं है.
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