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Janmashtami 2023 :इस योग में मनाएं भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव, जरूर शामिल करें ये सामग्री

Janmashtami 2023 : जो भक्तलोग जयंती योग में जन्माष्टमी 2023 मनाना चाहते हैं उन्हें 6-7 तारीख की मध्य रात्रि को भगवान कृष्ण का व्रत-जन्मोत्सव मनाना चाहिए. वर्ष 2023 में भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का जयंती योग 6-7 सितंबर की मध्य रात्रि में बनेगा. Gokulashtami 2023 . krishna janmashtami

jayanti yoga celebration Janmashtami 2023
जन्माष्टमी 2023
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 6, 2023, 3:57 PM IST

Janmashtami 2023 : देशभर में आज हर्सोल्लाष के बीच सभी भक्त भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारी कर रहे हैं. यदि हम बात करें भगवान श्री कृष्ण के जन्म समय की तो उनका जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इस योग को जयंती योग कहा जाता है. सन 2023 में इस वर्ष 2023 में भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का जयंती योग 6-7 सितंबर की मध्य रात्रि को बनेगा, इसलिए जो भक्त जयंती योग में जन्माष्टमी 2023 मनाना चाहते हैं, उन्हें मध्य रात्रि 6-7 तारीख को ही भगवान कृष्ण का व्रत-जन्मोत्सव मानना चाहिए अथवा आप अपने क्षेत्र-संप्रदाय की मान्यता के अनुसार जन्माष्टमी का त्यौहार मना सकते हैं.

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जन्माष्टमी 2023

इस प्रकार करें भगवान श्री कृष्ण की पूजा
भगवान श्री कृष्ण की पूजा में षोडशोपचार (16 तरीके से पूजा) का बहुत ही महत्व है. सबसे पहले मध्य रात्रि में भगवान कृष्ण की धातु की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराकर भगवान को साफ-स्वच्छ वस्त्र पहनाएं. भगवान श्री कृष्ण के श्रृंगार में रंग-बिरंगे फूलों के प्रयोग के साथ, पीले वस्त्र, गोपीचंदन और चंदन की सुगंध-इत्र का प्रयोग भी करना चाहिए. वैजयंती के फूल भगवान कृष्ण को अत्यंत प्रिय है इसलिए इनका प्रयोग भी अवश्य करना चाहिए.

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जन्माष्टमी 2023
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जन्माष्टमी 2023

पूजा-भोग में तुलसी दल
भगवान के स्नान और श्रृंगार के बाद उन्हें माखन-मिश्री का भोग लगाएं एवं अपनी सामर्थ्य के अनुसार उन्हें अन्य पकवानों का भी भोग लगा सकते हैं. इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि Janmashtami 2023 की पूजा और भोग में तुलसी दल जरूर हो,धनिया की पंजीरी का भी भोग लगा सकते हैं IskconInc . krishna . HareKrishna . janmashtami . Krishna Janmashtami . gokulashtami 2023

Janmashtami 2023 : देशभर में आज हर्सोल्लाष के बीच सभी भक्त भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारी कर रहे हैं. यदि हम बात करें भगवान श्री कृष्ण के जन्म समय की तो उनका जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इस योग को जयंती योग कहा जाता है. सन 2023 में इस वर्ष 2023 में भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का जयंती योग 6-7 सितंबर की मध्य रात्रि को बनेगा, इसलिए जो भक्त जयंती योग में जन्माष्टमी 2023 मनाना चाहते हैं, उन्हें मध्य रात्रि 6-7 तारीख को ही भगवान कृष्ण का व्रत-जन्मोत्सव मानना चाहिए अथवा आप अपने क्षेत्र-संप्रदाय की मान्यता के अनुसार जन्माष्टमी का त्यौहार मना सकते हैं.

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इस प्रकार करें भगवान श्री कृष्ण की पूजा
भगवान श्री कृष्ण की पूजा में षोडशोपचार (16 तरीके से पूजा) का बहुत ही महत्व है. सबसे पहले मध्य रात्रि में भगवान कृष्ण की धातु की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराकर भगवान को साफ-स्वच्छ वस्त्र पहनाएं. भगवान श्री कृष्ण के श्रृंगार में रंग-बिरंगे फूलों के प्रयोग के साथ, पीले वस्त्र, गोपीचंदन और चंदन की सुगंध-इत्र का प्रयोग भी करना चाहिए. वैजयंती के फूल भगवान कृष्ण को अत्यंत प्रिय है इसलिए इनका प्रयोग भी अवश्य करना चाहिए.

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पूजा-भोग में तुलसी दल
भगवान के स्नान और श्रृंगार के बाद उन्हें माखन-मिश्री का भोग लगाएं एवं अपनी सामर्थ्य के अनुसार उन्हें अन्य पकवानों का भी भोग लगा सकते हैं. इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि Janmashtami 2023 की पूजा और भोग में तुलसी दल जरूर हो,धनिया की पंजीरी का भी भोग लगा सकते हैं IskconInc . krishna . HareKrishna . janmashtami . Krishna Janmashtami . gokulashtami 2023

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