ETV Bharat / bharat

CDS Bipin Rawat : यूं ही नहीं बनाया गया था देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस

भारत के प्रथम रक्षा प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने 1978 में देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट होने के बाद 11वीं गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन में सैन्य अधिकारी के रूप में देश में सेवा की शुरू की थी.

CDS Bipin Rawat
CDS Bipin Rawat
author img

By

Published : Dec 8, 2021, 6:09 PM IST

हैदराबाद : भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (indias first cds bipin rawat) का जन्म 16 मार्च, 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था. वह भारतीय सेना के 27वें सेनाध्यक्ष थे. बिपिन रावत ने 31 दिसंबर, 2016 को सेनाध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया था. इस पद पर वे 31 दिसंबर, 2019 तक रहे.

इसके बाद उन्होंने 31 दिसंबर, 2019 को सीडीएस (Cds Bipin Rawat) का पदभार ग्रहण किया था. इसके साथ ही उन्होंने भारत के प्रथम रक्षा प्रमुख बनने का गौरव हासिल किया. बिपिन रावत की स्कूली शिक्षा एडवर्ड स्कूल शिमला से हुई थी. उनके पिता एल.एस. रावत भी सेना में अधिकारी थे. वह भारतीय सेना के डिप्टी चीफ के पद से रिटायर हुए थे.

बिपिन रावत वर्ष 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से पास आउट होने के बाद 11वीं गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन में सैन्य अधिकारी के रूप में भारतीय सेना में सेवा की शुरुआत की थी. बिपिन रावत भारतीय सैन्य अकादमी के बेस्ट जेंटलमेन कैडेट (Gentlemen cadet) थे. उन्हें 'स्वार्ड ऑफ ऑनर' (Sword of honour) भी मिला था.

पूरे करियर के दौरान उन्हें अति विशिष्ट सेवा मेडल (avsm), युद्ध सेवा मेडल (YSM), सेना मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल (VSM) आदि सम्मानों से अनेकों बार सम्मानित भी हुए थे. सेना प्रमुख के पद पर आने से पहले जनरल बिपिन रावत ने दक्षिणी कमान के कमांडर और सहसेनाध्यक्ष का पदभार भी संभाला था. बिपिन रावत ने कांगो में मल्टीनेशनल ब्रिगेड की कमान संभालने के साथ-साथ यूएन मिशन में महत्वपूर्ण पदों की भी जिम्मेदारी संभाली.

CDS Bipin Rawat
जनरल रावत ने 31 दिसंबर, 2016 को सेनाध्यक्ष के पदभार ग्रहण किया था.

क्यों बनाए गए थे सीडीएस

1978 में सेना में हुए शामिल

मेडल : अपने करियर में जनरल बिपिन रावत को यूआईएसएम (uism), एवीएसएम (avsm), वाईएसएम (ysm), एसएम (sm), वीएसएम (vsm) के साथ वीरता और विशिष्ट सेवा के लिए सम्मानित किया गया है. दो मौकों पर सीओएएस कमेंडेशन और आर्मी कमांडर कमेंडेशन भी दिया गया है. संयुक्त राष्ट्र के साथ सेवा करते हुए, उन्हें दो बार फोर्स कमांडर के कमेंडेशन से सम्मानित किया गया.

शिक्षा : पीएचडी, एमिफल और प्रबंधन व कंप्यूटर शिक्षा में डिप्लोमा.

1. अनुभव

  • 31 दिसंबर 2016 को थलसेना प्रमुख बने जनरल रावत को पूर्वी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा, कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर में काम करने का लंबा अनुभव था. जनरल बिपिन रावत ने पूर्वी सेक्टर में चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ एक इन्फैन्ट्री बटालियन की कमान संभाली थी. वह एक राष्ट्रीय राइफल्स सेक्टर, कश्मीर घाटी में एक इन्फैंट्री डिवीजन और उत्तर पूर्व में एक कोर का नेतृत्व किया था.

2. भरोसा

  • अशांत इलाकों में काम करने के अनुभव को देखते हुए सरकार ने दिसंबर 2016 में जनरल रावत को दो वरिष्ठ अफसरों पर तरजीह देते हुए सेना प्रमुख बनाया था.

3. उपलब्धियां

  • 1978 में सेना की 11वीं गोरखा राइफल्स की पांचवी बटालियन में कमीशन मिला था.
  • भारतीय सैन्य अकादमी में उन्हें स्वोर्ड ऑफ ऑनर मिला.
  • 1986 में चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इंफैंट्री बटालियन के प्रमुख थे.
  • राष्ट्रीय राइफल्स के एक सेक्टर और कश्मीर घाटी में 19 इन्फेन्ट्री डिवीजन की अगुआई भी की.
  • कॉन्गो में संयुक्तराष्ट्र के शांति मिशन का नेतृत्व भी किया.
  • 1 सितंबर 2016 को उप सेना प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली थी.

4. परंपरा

  • जनरल रावत का परिवार कई पीढ़ियों से भारतीय सेना में सेवाएं दे रहा है. उनके पिता सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत 1988 में वे उप सेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त हुए थे.

5. साहस

  • जनरल रावत के नेतृत्व में भारतीय सेना ने देश की सीमा के पार जाकर आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर कई आतंकियों को ढेर किया.

6 . म्यांमार में सर्जिकल स्ट्राइक

  • साल 2015 में भारतीय जवानों ने म्यांमार में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक किया था. जून 2015 में मणिपुर में आतंकी हमले में 18 सैनिक शहीद हो गए थे. इसके बाद 21 पैरा कमांडो ने सीमा पार कर म्यांमार में आतंकी संगठन एनएससीएन-के कई आतंकियों को ढेर कर दिया था. तब 21 पैरा थर्ड कॉर्प्स के अधीन थी, जिसके कमांडर बिपिन रावत ही थे. बताया जाता है कि यह पूरा ऑपरेशन एनएसए अजित डोभाल के नेतृत्व में हुआ था. 4 जून 2015 को गृह मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, एनएसए अजीत डोभाल, सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग और अन्य अधिकारियों की बैठक में इस ऑपरेशन का प्लान बनाया. म्यांमार में आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 जून को भारतीय सेना को मंजूरी दी थी. भारतीय सेना के 21 पैरा कमांडो ने इस ऑपरेशन का मॉक ड्रिल किया. 5 दिनों तक ऑपरेशन की तैयारी चली. 8 और 9 जून की रात को भारतीय सेना के जवान तीन टीमों में ध्रुव हेलीकॉप्टर से म्यांमार सीमा में दाखिल हुए. इसके बाद तड़के 3 बजे ऑपरेशन शुरू हुआ. भारतीय सेना के जांबाज जवानों ने महज 8 घंटों मे इस ऑपरेशन को खत्म कर दिया था. यह ऑपरेशन 100 फीसदी कामयाब रहा. इस पूरे ऑपरेशन में भारतीय सेना के किसी भी सैनिक को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था.

7. पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक

  • 29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना ने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक कर कई आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया था. हमले में कई आतंकी भी मारे गए थे. उरी में सेना के कैंप और पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए हमले में कई जवान शहीद हो जाने के बाद सेना ने यह कार्रवाई की थी.

पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने चार साल पहले 18 सितंबर 2016 को कश्मीर के उरी सेक्टर में सेना के एक ठिकाने हमला किया था. आतंकियों के इस हमले में सेना के 19 जवान शहीद हो गए. सेना ने इस हमले का बदला सर्जिकल स्ट्राइक से लिया. आतंकी हमले के करीब 10 दिन बाद भारतीय सेना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में दाखिल हुई और वहां करीब आधा दर्जन आतंकियों के प्रशिक्षण केंद्रों को तबाह किया. भारतीय सेना की इस कार्रवाई में बड़ी संख्या में आतंकवादी मारे गए.

इस हमले का जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक करने का फैसला किया. पीओके में आतंकवादियों के कई ट्रेनिंग कैंप सक्रिय थे. सेना को इसके बारे में जानकारी थी. फिर सेना के अधिकारियों ने हमले की योजना तैयार की. इस योजना को सरकार के शीर्ष स्तर से अनुमति मिली. इस सर्जिकल स्ट्राइक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) की नजर थी. पीएम मोदी ने रात भर जागकर इस ऑपरेशन का जायजा लिया. उरी हमले के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट किया, 'देश इस हमले के दोषियों को कभी भूलेगा नहीं और न ही उन्हें छोड़ेगा.' इसके बाद उम्मीद की जाने लगी कि सेना जवाबी कार्रवाई करेगी. पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक जनरल बिपिन रावत की कमांड में अंजाम दिया गया.

हैदराबाद : भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (indias first cds bipin rawat) का जन्म 16 मार्च, 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था. वह भारतीय सेना के 27वें सेनाध्यक्ष थे. बिपिन रावत ने 31 दिसंबर, 2016 को सेनाध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया था. इस पद पर वे 31 दिसंबर, 2019 तक रहे.

इसके बाद उन्होंने 31 दिसंबर, 2019 को सीडीएस (Cds Bipin Rawat) का पदभार ग्रहण किया था. इसके साथ ही उन्होंने भारत के प्रथम रक्षा प्रमुख बनने का गौरव हासिल किया. बिपिन रावत की स्कूली शिक्षा एडवर्ड स्कूल शिमला से हुई थी. उनके पिता एल.एस. रावत भी सेना में अधिकारी थे. वह भारतीय सेना के डिप्टी चीफ के पद से रिटायर हुए थे.

बिपिन रावत वर्ष 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से पास आउट होने के बाद 11वीं गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन में सैन्य अधिकारी के रूप में भारतीय सेना में सेवा की शुरुआत की थी. बिपिन रावत भारतीय सैन्य अकादमी के बेस्ट जेंटलमेन कैडेट (Gentlemen cadet) थे. उन्हें 'स्वार्ड ऑफ ऑनर' (Sword of honour) भी मिला था.

पूरे करियर के दौरान उन्हें अति विशिष्ट सेवा मेडल (avsm), युद्ध सेवा मेडल (YSM), सेना मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल (VSM) आदि सम्मानों से अनेकों बार सम्मानित भी हुए थे. सेना प्रमुख के पद पर आने से पहले जनरल बिपिन रावत ने दक्षिणी कमान के कमांडर और सहसेनाध्यक्ष का पदभार भी संभाला था. बिपिन रावत ने कांगो में मल्टीनेशनल ब्रिगेड की कमान संभालने के साथ-साथ यूएन मिशन में महत्वपूर्ण पदों की भी जिम्मेदारी संभाली.

CDS Bipin Rawat
जनरल रावत ने 31 दिसंबर, 2016 को सेनाध्यक्ष के पदभार ग्रहण किया था.

क्यों बनाए गए थे सीडीएस

1978 में सेना में हुए शामिल

मेडल : अपने करियर में जनरल बिपिन रावत को यूआईएसएम (uism), एवीएसएम (avsm), वाईएसएम (ysm), एसएम (sm), वीएसएम (vsm) के साथ वीरता और विशिष्ट सेवा के लिए सम्मानित किया गया है. दो मौकों पर सीओएएस कमेंडेशन और आर्मी कमांडर कमेंडेशन भी दिया गया है. संयुक्त राष्ट्र के साथ सेवा करते हुए, उन्हें दो बार फोर्स कमांडर के कमेंडेशन से सम्मानित किया गया.

शिक्षा : पीएचडी, एमिफल और प्रबंधन व कंप्यूटर शिक्षा में डिप्लोमा.

1. अनुभव

  • 31 दिसंबर 2016 को थलसेना प्रमुख बने जनरल रावत को पूर्वी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा, कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर में काम करने का लंबा अनुभव था. जनरल बिपिन रावत ने पूर्वी सेक्टर में चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ एक इन्फैन्ट्री बटालियन की कमान संभाली थी. वह एक राष्ट्रीय राइफल्स सेक्टर, कश्मीर घाटी में एक इन्फैंट्री डिवीजन और उत्तर पूर्व में एक कोर का नेतृत्व किया था.

2. भरोसा

  • अशांत इलाकों में काम करने के अनुभव को देखते हुए सरकार ने दिसंबर 2016 में जनरल रावत को दो वरिष्ठ अफसरों पर तरजीह देते हुए सेना प्रमुख बनाया था.

3. उपलब्धियां

  • 1978 में सेना की 11वीं गोरखा राइफल्स की पांचवी बटालियन में कमीशन मिला था.
  • भारतीय सैन्य अकादमी में उन्हें स्वोर्ड ऑफ ऑनर मिला.
  • 1986 में चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इंफैंट्री बटालियन के प्रमुख थे.
  • राष्ट्रीय राइफल्स के एक सेक्टर और कश्मीर घाटी में 19 इन्फेन्ट्री डिवीजन की अगुआई भी की.
  • कॉन्गो में संयुक्तराष्ट्र के शांति मिशन का नेतृत्व भी किया.
  • 1 सितंबर 2016 को उप सेना प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली थी.

4. परंपरा

  • जनरल रावत का परिवार कई पीढ़ियों से भारतीय सेना में सेवाएं दे रहा है. उनके पिता सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत 1988 में वे उप सेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त हुए थे.

5. साहस

  • जनरल रावत के नेतृत्व में भारतीय सेना ने देश की सीमा के पार जाकर आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर कई आतंकियों को ढेर किया.

6 . म्यांमार में सर्जिकल स्ट्राइक

  • साल 2015 में भारतीय जवानों ने म्यांमार में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक किया था. जून 2015 में मणिपुर में आतंकी हमले में 18 सैनिक शहीद हो गए थे. इसके बाद 21 पैरा कमांडो ने सीमा पार कर म्यांमार में आतंकी संगठन एनएससीएन-के कई आतंकियों को ढेर कर दिया था. तब 21 पैरा थर्ड कॉर्प्स के अधीन थी, जिसके कमांडर बिपिन रावत ही थे. बताया जाता है कि यह पूरा ऑपरेशन एनएसए अजित डोभाल के नेतृत्व में हुआ था. 4 जून 2015 को गृह मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, एनएसए अजीत डोभाल, सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग और अन्य अधिकारियों की बैठक में इस ऑपरेशन का प्लान बनाया. म्यांमार में आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 जून को भारतीय सेना को मंजूरी दी थी. भारतीय सेना के 21 पैरा कमांडो ने इस ऑपरेशन का मॉक ड्रिल किया. 5 दिनों तक ऑपरेशन की तैयारी चली. 8 और 9 जून की रात को भारतीय सेना के जवान तीन टीमों में ध्रुव हेलीकॉप्टर से म्यांमार सीमा में दाखिल हुए. इसके बाद तड़के 3 बजे ऑपरेशन शुरू हुआ. भारतीय सेना के जांबाज जवानों ने महज 8 घंटों मे इस ऑपरेशन को खत्म कर दिया था. यह ऑपरेशन 100 फीसदी कामयाब रहा. इस पूरे ऑपरेशन में भारतीय सेना के किसी भी सैनिक को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था.

7. पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक

  • 29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना ने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक कर कई आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया था. हमले में कई आतंकी भी मारे गए थे. उरी में सेना के कैंप और पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए हमले में कई जवान शहीद हो जाने के बाद सेना ने यह कार्रवाई की थी.

पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने चार साल पहले 18 सितंबर 2016 को कश्मीर के उरी सेक्टर में सेना के एक ठिकाने हमला किया था. आतंकियों के इस हमले में सेना के 19 जवान शहीद हो गए. सेना ने इस हमले का बदला सर्जिकल स्ट्राइक से लिया. आतंकी हमले के करीब 10 दिन बाद भारतीय सेना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में दाखिल हुई और वहां करीब आधा दर्जन आतंकियों के प्रशिक्षण केंद्रों को तबाह किया. भारतीय सेना की इस कार्रवाई में बड़ी संख्या में आतंकवादी मारे गए.

इस हमले का जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक करने का फैसला किया. पीओके में आतंकवादियों के कई ट्रेनिंग कैंप सक्रिय थे. सेना को इसके बारे में जानकारी थी. फिर सेना के अधिकारियों ने हमले की योजना तैयार की. इस योजना को सरकार के शीर्ष स्तर से अनुमति मिली. इस सर्जिकल स्ट्राइक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) की नजर थी. पीएम मोदी ने रात भर जागकर इस ऑपरेशन का जायजा लिया. उरी हमले के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट किया, 'देश इस हमले के दोषियों को कभी भूलेगा नहीं और न ही उन्हें छोड़ेगा.' इसके बाद उम्मीद की जाने लगी कि सेना जवाबी कार्रवाई करेगी. पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक जनरल बिपिन रावत की कमांड में अंजाम दिया गया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.