ग्वालियर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया. फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अशोक नगर बीजेपी विधायक जजपाल सिंह जज्जी का चुनाव घोषित कर दिया है. हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष को आदेश दिया है कि जज्जी की सदस्यता समाप्त की जाए. जज्जी ने कीर जाति का जाति प्रमाण पत्र बनवाकर अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ लिया था. इस जाति को पंजाब में आरक्षण है, मध्य प्रदेश में नहीं है.
भाजपा नेता की याचिका पर गई विधायकी: याचिका 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान निकटतम प्रतिद्वंदी और भाजपा नेता लड्डू राम कोरी ने कांग्रेस के चुनाव जीत चुके जजपाल सिंह जज्जी के जाति प्रमाण पत्र को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. याचिकाकर्ता बीजेपी नेता लड्डूराम कोरी का आरोप था कि पंजाब में कीर जाति को अनुसूचित जाति का आरक्षण मिलता है लेकिन मध्यप्रदेश में इस जाति को अनुसूचित जाति के तहत मिलने वाले आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है.
विधानसभा चुनाव के लिए खुद को नट जाति का बताया : अशोक नगर विधासनभा क्षेत्र एससी के लिए आरक्षित है तो जज्जी ने चुनाव लड़ने के लिए नट जाति का प्रमाण पत्र लगा दिया. नट जाति को एमपी में एससी का दर्जा है. सदस्यता शून्य करने के बाद कोर्ट ने अपने आर्डर में लिखा है कि जांच में पाया गया कि कीर जाति मध्यप्रदेश में ओबीसी में आती है और जसपाल सिंह ने चुनाव लड़ने के नगरपालिका चुनाव के दौरान इस जाति का प्रमाण पत्र दिया था.
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एक भी प्रूफ नहीं दे सके जज्जी : बीजेपी विधायक जजपाल के पिता ने खुद को सिख बताया है, ना कि नट जाति का. इसके बाद हाई पावर कास्ट स्क्रूटनी कमेटी की पूछताछ के दौरान भी बीजेपी विधायक जजपाल सिंह ऐसा कोई प्रमाण पत्र नहीं दे सके, जिससे साबित हो सके कि वह नट जाति के हैं. कोर्ट ने अपने निष्कर्षों में माना कि जजपाल ने यह जाति प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से बनवाया है. लिहाजा उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के साथ ही 50 हजार का जुर्माना भी लगाया जाए.
बीजेपी ने ये तर्क दिया : कोर्ट द्वारा जजपाल सिंह की सदस्यता शून्य करने पर बीजेपी का कहना है कि वे ऊपरी अदालत में जा सकते हैं. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि अभी पूरा आदेश नहीं पढ़ा है. बीजेपी कोर्ट के फैसले के अध्ययन के बाद तय करेगी अगली रणनीति क्या होगी. जज्जी ऊपरी अदालत में याचिका लगा सकते हैं.
साल 2018 में कांग्रेस से जीते जज्जी : बता दें कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में जजपाल सिंह जज्जी कांग्रेस के टिकट से अशोकनगर विधानसभा सीट से चुनाव जीते थे. भाजपा से लड्डू राम कोरी चुनाव हार गए थे. चुनाव हारने के बाद लड्डू राम कोरी ने उच्च न्यायालय में जज्जी के जाति प्रमाण पत्र के खिलाफ याचिका दायर की. उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संगम जैन ने याचिका के साथ जजपाल सिंह के उन सभी जाति प्रमाण पत्रों को पेश किया, जो उन्होंने बनवाए और कहा कि जज्जी को मध्य प्रदेश में आरक्षण नहीं दिया जा सकता. वे मूलत: पंजाब के रहने वाले हैं. ज्ञात हो कि जजपाल सिंह जज्जी ने 2018 के निर्वाचन से इस्तीफा देकर 2020 में भाजपा के टिकट से उपचुनाव लड़ा और फिर से विधायक निर्वाचित हुए. जज्जी को केंद्रीय मंत्री सिंधिया का खास माना जाता है.
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शुक्रवार को हुई थी अंतिम सुनवाई : बता दें कि हाई कोर्ट की एकलपीठ ने शुक्रवार को विधायक जजपाल सिंह जज्जी के जाति प्रमाण पत्र के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की थी. याचिकाकर्ता ने बताया था कि जज्जी ने पंजाब में कीर जाति का जाति प्रमाण पत्र बनवाया था. हालांकि जज्जी की ओर से तर्क दिया गया कि 50 साल पहले उनके दादा-परदादा मध्यप्रदेश आ गए थे.