नई दिल्ली : तमिलनाडु के कुन्नूर में आठ दिसंबर को हुए सैन्य हेलीकॉप्टर हादसे (Tamil Nadu helicopter crash) में अकेले बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह (Group Captain Varun Singh) का भी बुधवार को निधन हो गया. हादसे में गंभी रूप से घायल हुए कैप्टन वरुण सिंह का बेंगलुरु में इलाज चल रहा था, लेकिन वह जिंदगी की जंग हार गए.
बुधवार को उनके निधन की दुखद खबर आने के बाद, हरियाणा के चंडीमंदिर स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल को लिखे उनके वायरल पत्र की फिर से सोशल मीडिया पर चर्चा में आ गया.
सेवानिवृत्त कर्नल के योद्धा बेटे वरुण सिंह ने पत्र में छात्रों से कहा था कि 'औसत दर्जे का होना ठीक होता है.' उनका यह विचार देश के युवाओं के बीच आज गूंज रहा है, जो छात्रों का हौसला बढ़ाना वाला है कि छात्र जीवन में कभी उदास नहीं होना चाहिए.
भारतीय वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि हेलीकॉप्टर हादसे में ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह लगभग 90-95 प्रतिशत जल गए थे. हादसे के बाद MI-17V हेलिकॉप्टर के मलबे को देखते हुए, यह असंभव है कि कोई भी इस तरह की दुर्घटना में बच जाए. लेकिन ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने मौत को कड़ी टक्कर दी और अंत तक लड़े.
एक हफ्ते पहले, तमिलनाडु के नीलगिरी जिले के कुन्नूर के पास वायुसेना का हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसके बाद ग्रुप कैप्टन को वेलिंगटन के एक सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इस दुर्घटना में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (CDS Bipin Rawat), उनकी पत्नी और 11 सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी.
अधिकारी ने कहा, 'जब रेस्क्यू टीम उनके पास पहुंची तो वह बमुश्किल होश में थे. बेंगलुरू के अस्पताल में शिफ्ट किए जाने से पहले ही उन्हें वेलिंगटन सैन्य अस्पताल में जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया था.
वेलिंगटन के प्रतिष्ठित डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (Defence Services Staff College) में तैनात, ग्रुप कैप्टन सिंह को दुर्घटना के दिन वायुसेना के सुलूर बेस से वेलिंगटन तक जनरल रावत की देखरेख और उनके साथ जाने के लिए नियुक्त किया गया था.
ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह वायुसेना के लड़ाकू प्रशिक्षण पायलट थे और उन्हें कई लड़ाकू विमान उड़ाने का गौरव हासिल हुआ था. ऐसे ही एक मिशन के दौरान 12 अक्टूबर, 2020 को वरुण सिंह ने अनुकरणीय उदाहरण पेश किया था, तब वह विंग कमांडर थे.
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जब हल्के लड़ाकू विमान तेजस (Light Combat Aircraft Tejas) को उड़ा रहे थे, तब उच्च ऊंचाई पर अचानक विमान का Cockpit pressurisation फेल हो गया था, लेकिन उन्होंने विमाना की सुरक्षित लैंडिंग कराई थी. तकनीकी खराबी के समय विमान 10 हजार फीट की ऊंचाई पर था.
यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति थी क्योंकि विमान ने तेजी से ऊंचाई खो दी थी, यह ऊपर और नीचे डरावने तरीके से G सीमा के छोर तक जा रहा था. लेकिन उन्होंने साहस का परिचय देते हुए स्थिति को संभाला और अनुकरणीय संयम बनाए रखते हुए विमान पर नियंत्रण हासिल कर लिया. इस तरह उन्होंने असाधारण उड़ान कौशल का प्रदर्शन किया था.
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बेतहाशा लहराते विमान को छोड़ने और कूदने की स्थिति के बावजूज उन्होंने लड़ाकू विमान को सुरक्षित रूप से उतारने के लिए असाधारण साहस और कौशल का प्रदर्शन किया. इस असाधारण कार्य के लिए विंग कमांडर वरुण सिंह को शौर्य चक्र (Shaurya Chakra) से सम्मानित किया गया था.