हैदराबाद: 2-3 जुलाई को तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई. इस बैठक में शामिल होने के लिए भाजपा के बड़े-बड़े नेता दक्षिण भारत पहुंचे थे. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा, योगी आदित्यनाथ, स्मृति ईरानी, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत सभी दिग्गज नेताओं का जमावड़ा हैदराबाद में लगा. इस दौरान पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी बैठक में शामिल हुए. इस बैठक में भाजपा ने अपनी भविष्य की रणनीति, राजनीतिक और आर्थिक प्रस्तावों पर चर्चा की. भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक खत्म होने के बाद पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' हैदराबाद स्थित एशिया की सबसे बड़ी रामोजी फिल्म सिटी पहुंचे. इस दौरान ईटीवी भारत ने रमेश पोखरियाल 'निशंक' से सिलसिलेवार तरीके से इस कार्यकारिणी बैठक के अपडेट्स और अन्य तमाम मसलों को लेकर सवाल-जवाब किए.
सवाल: बंटवारे के बाद से तेलंगाना को विकास से जोड़ने की बात बीजेपी लगातार कर रही है. दो दिनों तक हैदराबाद में हुए मंथन में इसे लेकर क्या कुछ हुआ? तेलंगाना में किस तरह से चीजें दिख रही हैं?
रमेश पोखरियाल 'निशंक': सभी नवोदित राज्यों की परेशानियां, परिस्थितियां एक जैसी ही हैं. चाहे वो झारखंड हो, उत्तराखंड हो, छत्तीसगढ़ हो फिर तेलंगाना सभी जगह एक जैसे हालात होते हैं. तेलंगाना का आंदोलन भी रोजगार और तमाम मुद्दों को लेकर हुआ. नौजवानों में तब भी यहां के विकास के मुद्दे को आगे रखा. तेलंगाना के विकास को लेकर बीजेपी रणनीति बना रही है. इसके लिए हमने लोगों से संवाद किया, बैठकें की. यहां वनवासी, पिछड़े समुदाय के लोगों को आज तक अपना हक नहीं मिला है, न ही बेरोजगारों को रोजगार मिला, राज्य में नियोजन भी नहीं हुआ. ये राज्य भारत सरकार की तमाम योजनाओं का लाभ नहीं ले रहे हैं. जिसके कारण इनका विकास नहीं हो पा रहा है.
सवाल: तेलंगाना के मुख्यमंत्री भी आपके केंद्रीय नेतृत्व से रोजगार को लेकर सवाल करते हैं. उत्तर प्रदेश, बिहार में आपने क्या कुछ किया? रोजगार को लेकर सवाल तो आपसे भी पूछे जा रहे हैं?
रमेश पोखरियाल 'निशंक': तेलंगाना के मुख्यमंत्री को समझना चाहिए कि जिस राज्य को वो चला रहे हैं और जिन राज्यों की वो बात कर रहे हैं, उनमें जमीन आसमान का अंतर है. आपने राज्य आंदोलन सिर्फ इसलिए किया था कि आप बेरोजगारों को रोजगार देंगे. आप यहां की अवस्थापनाओं का विकास करेंगे. यहां के पानी, जवानी का समन्वय करेंगे. लोगों की आर्थिक स्थिति को आगे बढ़ाएंगे. मगर आज तेलंगाना ₹3 लाख करोड़ का कर्जदार बना हुआ है. पेट में पलने वाला बच्चा भी यहां कर्ज के बोझ के तले पैदा होगा. यहां की जनता ने इसके लिए तो आंदोलन नहीं किया था.
सवाल: विपक्षी सरकारों वाले राज्य केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर सवाल उठाते हैं. वो कहते हैं केंद्र सरकार जो नीतियां बनाती है वो राज्यों के फेवर में नहीं होती. चाहे वो अग्निपथ मामला हो या फिर नई शिक्षा नीति का मसला हो, सभी को लेकर आज भी केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हैं.
रमेश पोखरियाल 'निशंक': इसके लिए सवाल उठाने वालों को अध्ययन करने की जरूरत है. जिन नीतियों के बारे में राज्यों की सरकारें और विपक्षी सवाल उठा रहे हैं, उनके बारे में उन्हें पहले पूछना चाहिए, बात करनी चाहिए. अग्निपथ या अग्निवीर योजना देश के युवाओं के मन में देशभक्ति का जज्बा पैदा करने का कोशिश है. अग्निपथ योजना को लेकर सवाल उठाने वाले विपक्षी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से पूछता हूं कि उनके राज्यों में बेरोजगार क्या कर रहे हैं?
सवाल: विपक्षी राज्यों के मुख्यमंत्री या अन्य लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर अग्निवीर योजना के चार साल बाद युवाओं का क्या होगा. सेना से लौटने के बाद वे क्या करेंगे?
रमेश पोखरियाल 'निशंक': अग्निवीर योजना में चार साल के भीतर युवाओं के भीतर देशभक्ति का जज्बा पैदा होगा. वो राष्ट्र को सर्वोपरी मानेंगे. कोई भी दुनिया का देश जिसे शीर्ष पर जाना होगा वो अपने नौजवानों को देशभक्ति की पहली पक्ति पर खड़ा करता है. अग्निवीर चार साल सेना में काम करने के बाद बहुमुखी प्रतिभा का होगा. वो हर क्षेत्र में जा सकेगा. इसके अलावा उसको हर जगह प्राथमिकता मिलेगी. ये विरोधियों को समझना होगा. अभी कुछ समय में नौजवान इनकी सरकारों के सवाल पूछेंगे, केंद्र सरकार हमें प्रशिक्षण दे रही है, फौज में भेज रही है, आपकी सरकार क्या कर रही है?
सवाल: तेलंगाना के एक बड़े नेता ने कहा है कि बीजेपी की नीति यही रही है, दो साल तक पहले किसान सड़क पर रहा, चार साल बाद नौजवान की वही स्थिति होगी. इस पर आप क्या कहेंगे?
रमेश पोखरियाल 'निशंक': दो साल तक किसान सड़क पर नहीं अपने खेत में खड़ा रहा. उसके रिजल्ट हैं. इस देश में जो भी उत्पादन है वो बढ़ा है. किसान की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है. सवाल उठाने वाले लोग किसानों के हितैषी नहीं हैं. ये राजनीतिक रोटियां सेकते हैं. किसानों को मजबूत बनाना पीएम मोदी का विजन था. किसानों को सशक्त करने के लिए ये कानून लाए गये. आज पीएम मोदी के कामों से देश आगे बढ़ा है. आज विपक्षी पार्टियां दूर-दूर तक दिखाई नहीं देती हैं. आज पीएम मोदी के सामने ये कहीं दिखाई नहीं देते. न इन पार्टियों को किसानों से मतलब है, न ही नौजवानों से, ये केवल विरोध के लिए खड़े होते हैं. आप अपना विजन दो, हम आपके सुझाव लेंगे.
सवाल: मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन या ऑपरेशन लोटस को लेकर भी बार-बार सवाल उठते हैं. इसकी जरूरत क्या थी?
रमेश पोखरियाल 'निशंक': कोई भी पार्टी अपना विस्तार करती है. भाजपा भी दिनों दिन अपना विस्तार कर रही है. कभी बीजेपी के दो सांसद होते थे. आज पूरा देश बीजेपीमय हो गया, ये इसी का नतीजा है. लोग हमारे एजेंडे से जुड़ना चाहते हैं. अगली बार तेलंगाना में भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने वाली है.
सवाल: राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर भी कई जगहों पर सवाल खड़े हो रहे हैं. विपक्षियों के सवालों को किस तरीके से देखते हैं?
रमेश पोखरियाल 'निशंक': राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर मेरे शिक्षा मंत्री रहते हुए कभी किसी ने सवाल ही खड़े नहीं किये. जिसने जो भी सवाल खड़े किये मैंने उनका खुलकर जवाब दिया. उसके बाद उसका समाधान हुआ. देश की आजादी के बाद से देश की सबसे बड़ी नीति और दुनिया का सबसे बड़ा नवाचार हमारे यहां हुआ है. दुनिया के शीर्षतम कॉलेजों चाहे वो हार्वर्ड, कैम्ब्रिज या फिर ऑक्सफोर्ड हो सभी ने कहा भारत की जो नई शिक्षा नीति बनी है, वो पूरे विश्व के लिए गेम चेंजर का काम करेगी. हमारी नई शिक्षा नीति स्वर्णिम भारत का आधार बनेगी. हमारी नई शिक्षा नीति मातृभूमि पर शुरू होती है, जीवन मूल्यों की आधारशिला पर खड़ी होती है, ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान और तकनीकी के नजरिये से देश से दुनिया में छा जाती है. इसके बाद एक बार फिर भारत पुरी दुनिया में विश्न गुरु के रूप में खड़ा होगा. देश में किसी ने शिक्षा नीति का विरोध नहीं किया.
कौन हैं डॉ. निशंक: डॉ निशंक मोदी सरकार में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रहे हैं. वो उत्तराखंड भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता हैं और उत्तराखंड राज्य के पांचवें (2009 से 2011 तक) मुख्यमंत्री रहे हैं. वो वर्तमान समय में हरिद्वार क्षेत्र से लोकसभा सांसद है और लोकसभा आश्वासन समिति के अध्यक्ष हैं. रमेश पोखरियाल निशंक एक प्रसिद्ध हिंदी कवि भी हैं. उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी, श्रीनगर गढ़वाल से कला स्नातकोत्तर, पीएचडी (ऑनर), डी लिट् (ऑनर) की डिग्री प्राप्त की है. रमेश पोखरियाल 'निशंक' 1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए कर्णप्रयाग निर्वाचन-क्षेत्र से चुने गए थे. इसके बाद 1993 और 1996 में दोबारा उसी निर्वाचन क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए. 1997 में वो उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के उत्तरांचल विकास मंत्री बनें.
- निशंक की उपलब्धियां- वर्ष 1991 से वर्ष 2012 तक पांच बार यूपी-उत्तराखंड की विधानसभा में विधायक रहे.
- वर्ष 1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश में कर्णप्रयाग से विधायक निर्वाचित. उसके बाद लगातार तीन बार विधायक.
- 1997 में यूपी सरकार में कल्याण सिंह मंत्रीमंडल में पर्वतीय विकास विभाग के कैबिनेट मंत्री.
- 1999 में रामप्रकाश गुप्त की सरकार में संस्कृति पूर्त एवं धर्मस्व मंत्री.
- 2000 में उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद प्रदेश के पहले वित्त, राजस्व, कर, पेयजल सहित 12 विभागों के मंत्री.
- 2007 में उत्तराखंड सरकार में चिकित्सा स्वास्थ्य, भाषा व विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग के मंत्री.
- 2009 में उत्तराखंड प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री.
- 2012 में डोईवाला (देहरादून) क्षेत्र से विधायक निर्वाचित.
- 2014 में डोईवाला से इस्तीफा देकर हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित.
- वर्तमान में लोकसभा की सरकारी आश्वासन समिति के सभापति.