करनाल: हरियाणा के करनाल जिले के रहने वाले पूर्व नौसैनिक, पूर्व एक्स चीफ पेटी ऑफिसर सुजान सिंह ने 102 वां जन्मदिन मनाया. इस मौके पर नेवी के वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन और कमोडोर आलोक आनंद अपनी टीम के साथ उनके जन्मदिन कार्यक्रम में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने सुजान सिंह को सम्मानित भी किया. करनाल के जिमखाना क्लब में डिफेंस की तरफ से पूर्व नौसैनिक पूर्व एक्स चीफ पेटी ऑफिसर सुजान सिंह का 102 वां बर्थडे मनाया गया.
नेवी चीफ ने की वीडियो कॉल: इस कार्यक्रम में चीफ ऑफ नेवी स्टाफ एडमिरल हरिकुमार को आना था. किन्हीं कारणों से वो नहीं आ पाए, लेकिन उन्होंने अपने 8 अफसरों को सुजान सिंह को सम्मानित करने के लिए भेजा. केक काटने के बाद नेवी चीफ खुद भी कार्यक्रम से वीडियो कॉल के जरिए जुड़े. उन्होंने सुजान सिंह से 4 मिनट बात की. इस दौरान उन्होंने सुजान सिंह को जन्मदिन की बधाई दी और उनके स्वास्थ्य के बारे में जाना.
नेवी चीफ ने उनसे 102 साल के होने के अनुभव भी पूछे. उन्होंने सुजान सिंह के बेटे-बेटी से भी बात की. कार्यक्रम के दौरान वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन ने कहा कि हमें आज खुशी और गर्व महसूस हो रहा है. हमें पूर्व नौसैनिक सरदार सुजान सिंह से मिलकर उनका जन्मदिन मनाने का मौका मिला और नौसेना की तरफ से उनको शुभकामनाएं दी. भारतीय नौसेना कभी अपने जवानों को भूलती नहीं है. उनकी खुशियों और गम को बांटने के लिए नेवी पहुंच जाती है.
उम्रदराज पूर्व सैनिक हैं सुजान सिंह: कृष्णा स्वामीनाथन ने कहा कि सरदार सुजान सिंह सबसे उम्रदराज भूतपूर्व सैनिक हैं. वो आज भी उनके बीच है, ये एक खुशी की बात है. उन्होंने कहा कि दुनियाभर में अपने प्रोफेशनलिज्म के लिए नेवी जानी जाती है. ये प्रोफेशनलिज्म सरदार सुजान सिंह जैसे लोगों के जुड़ने से आता है. नेवी को जो भी काम सौंपा जाता है. वो बड़ी ही शिद्दत के साथ करते हैं और अपनी ड्यूटी को स्ट्रॉन्ग तरीके से करके नेवी को और भी मजबूत बनाते हैं.
उन्होंने कहा कि नेवी इतना मजबूत इसलिए है, क्योंकि सरदार सुजान सिंह जैसे लोगों ने नेवी में काम किया है. सरदार सुजान सिंह की उम्र भले ही 102 वर्ष की हो चुकी हो, लेकिन आज भी वो शारीरिक और मानसिक रूप से फिट हैं. जिसका कारण वो हर रोज सुबह शाम जिम में एक्सरसाइज करते हैं. स्वतंत्रता से पहले और स्वतंत्रता के बाद भी सरदार सुजान सिंह ने अपनी बहादुरी का लोहा मनवाया. जिम में बैठकर भी वे लोगों को अपनी बहादुरी के किस्से सुनाते रहते हैं.
सुजान सिंह भारत की आजादी से पहले अंग्रेजी हुकूमत वाली रॉयल नेवी के अफसर रहे हैं. पूर्व चीफ मैकेनिकल इंजीनियर सरदार सुजान सिंह मौजूदा समय में भारतीय नौ सेना से सबसे उम्रदराज पूर्व अफसर हैं. जब देश स्वतंत्र हुआ, तब वो कराची में तैनात थे, लेकिन जब भारत और पाकिस्तान को चुनने की बारी आई तो उन्होंने गर्व के साथ हिंदुस्तान को चुना. इतना ही नहीं, 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाने में उन्होंने अपना अहम योगदान दिया था.
उत्तर प्रदेश के मेरठ में 16 अगस्त 1921 को जन्मे सरदार सुजान सिंह के पिता उजागर सिंह विर्क भी फौज में ब्रिग्रेडियर रहे. सुजान ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पिंड काडियाल चक सितारा, जिला शेखूपुरा (अब पाकिस्तान) में हासिल की थी. परिवार की आर्थिक हालत कमजोर थी. इस कारण वो 18 अगस्त 1944 को घर से निकल पड़े और लाहौर आकर सेना भर्ती प्रक्रिया में शामिल हो गए. 15 अगस्त 1947 को सिर्फ देश के साथ सेनाएं भी विभाजित हुई थी.
बंटवारे के दिन वो पाकिस्तान के कराची में तैनात थे. उन्होंने बताया कि जब उनसे उनकी इच्छा जानी गई कि वो पाकिस्तान नेवी में रहना चाहते हैं या फिर भारत नेवी में, तो उन्होंने गर्व से भारतीय नौसेना को चुना था. उन्होंने आईएनएस सहित पांच जहाजों पर सेवा दी हैं. 1962 में जब गोवा ऑपरेशन हुआ. तब सरदार सुजान सिंह भी इस आपरेशन में शामिल थे. उन्होंने इसमें अहम भूमिका निभाई थी.