नई दिल्ली : संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेता हन्नान मोल्लाह ने तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने को 'ऐतिहासिक' कदम बताते हुए शुक्रवार को कहा कि अभी किसानों का केवल आधा मकसद पूरा हुआ है और वे अब न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने वाले कानून के लिए दबाव बनाएंगे.
हन्नान मोल्लाह ने प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा को 'देर आए दुरुस्त आए' बताया. उन्होने कहा कि यही निर्णय यदि 10 महीने पहले सरकार ने ले लिया होता तो आज 700 से ज्यादा किसानों की जान नहीं जाती. किसान सभा ने आंदोलन के दौरान हुई मौतों और हिंसा के लिए भी सरकार को ही जिम्मेदार ठहराया है. साथ ही कहा कि संसद में कानून निरस्त किए जाने तक वह सतर्क रहेंगे, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार 'विश्वसनीय नहीं' है.
हन्नान मोल्लाह ने कहा, 'यह वास्तव में हम सबके लिए एक ऐतिहासिक जीत है. हालांकि मैं थोड़ा सतर्क हूं और इस सरकार पर तब तक भरोसा नहीं करना चाहता, जब तक इन तीनों कानूनों को संसद में निरस्त नहीं कर दिया जाता.' उन्होंने कहा, 'ऐसे उदाहरण है, जब इस सरकार ने कहा कि वह किसी अध्यादेश को वापस ले रही है, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया. हम इस सरकार पर भरोसा नहीं करते क्योंकि इसका कुछ कहकर उसके बिल्कुल विपरीत कदम उठाने का पुराना रिकॉर्ड रहा है.'
अखिल भारतीय किसान सभा के नेता ने कहा कि जब तक सरकार एमएसपी पर कानून नहीं बनाती तब तक आंदोलन का उद्देश्य पूरा नहीं होता. ऐसे में आंदोलन अभी समाप्त नहीं होगा और इसके आगे की रूप रेखा क्या होगी यह संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में सभी नेताओं के साथ चर्चा करके तय किया जाएगा.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के पोलितब्यूरो सदस्य हन्नान मोल्लाह ने कहा कि किसानों की केवल आधी मांगें पूरी हुई हैं. उन्होंने कहा, 'किसानों का आंदोलन दो मांगों को लेकर शुरू हुआ था. तीन कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी की गारंटी देने वाला नया कानून लाना. इसलिए हमारी आधी मांगें पूरी हुई हैं. अब आंदोलन कैसा होगा, इसका फैसला विचार-विमर्श के बाद किया जाएगा.'
किसान सभा की तरफ से यह भी कहा गया है कि संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से सभी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम यथावत चलते रहेंगे. तय कार्यक्रम में 22 नवंबर को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में बड़ी किसान रैली शामिल है.
घोषणा की टाइमिंग पर उठाए सवाल
हन्नान मोल्लाह ने प्रधानमंत्री की घोषणा के टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी को लगा कि आने वाले 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा तब उन्होंने यह घोषणा की है. ये सरकार सिर्फ वोट की चोट समझती है. यदि उन्हें किसानों की चिंता होती तो एक साल तक किसानों को सड़क पर इंतजार नहीं करवाते.
बॉर्डर से किसानों की घर वापसी पर हन्नान मोल्लाह बोले कि किसान न प्रधानमंत्री के निमंत्रण पर आए थे और न ही उनके आग्रह पर वापस जाएंगे. आंदोलन का नेतृत्व कर रहा संयुक्त किसान मोर्चा और उनके नेता ही मिल कर तय करेंगे कि वापस कब जाना है.
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गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए शुक्रवार को घोषणा की कि सरकार ने उन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है, जिनके खिलाफ किसान पिछले करीब एक साल से प्रदर्शन कर रहे थे.