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'मध्यप्रदेश चुनाव में बड़ा खेल, सरकारी कर्मचारियों को नहीं डालने दिया वोट', कांग्रेस ने लगाए आरोप, EC बोला- नहीं मिलेगा मौका

Employees not Allowed to Vote in MP: एमपी में चुनाव खत्म हो गए हैं, लेकिन आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है. ऐसे में अब ड्यूटी पर तैनात सरकारी कर्मचारियों को वोट न डालने को लेकर विवाद छिड़ गया है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि कई जगह पर कर्मचारियों को वोटिंग मामले में बड़ा खेल हुओ है. बता दें, 2018 के चुनाव में 10 विधानसभा सीटों पर हार जीत का अंतर एक हजार से भी कम रहा था.

MP Election 2023
मप्र विधानसभा चुनाव 2023
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 24, 2023, 6:01 PM IST

पवई से कांग्रेस उम्मीदवार मुकेश नायक ने लगाए आरोप

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मतदान भले ही हो गया हो, लेकिन चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारियों की वोटिंग को लेकर प्रदेश में बवाल मचा हुआ है. कर्मचारियों को वोट न डालने को लेकर अब पवई से कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व मंत्री मुकेश नायक ने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है. कर्मचारी संगठन भी मामले में चुनाव आयोग को शिकायत कर चुका है.

कांग्रेस का आरोप है कि हर विधानसभा में 700 से 800 कर्मचारी वोट नहीं डालने दिया गया. कांग्रेस आरोप लगा रही है कि पुरानी पेंशन बहाली को लेकर नाराजगी की वजह से कर्मचारियों की वोटिंग में सरकार के इशारे पर बड़ा खेल हुआ है. 2018 के चुनाव में करीब 10 विधानसभा सीटों पर हार जीत का अंतर 1 हजार से कम वोटों का था.

कांग्रेस नेता शिकायत करने फिर पहुंचे आयोग: पूर्व मंत्री और पवई से कांग्रेस उम्मीदवार मुकेश नायक ने चुनाव आयोग पहुंचकर चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारियों के वोट न डालने की शिकायत दर्ज कराई. मुकेश नायक ने अपनी शिकायत में कहा, 'पवई विधानसभा क्षेत्र में 800 कर्मचारियों को वोट नहीं डालने दिया. सभी जानते हैं कि कर्मचारी सरकार से नाराज है, इसलिए सोची समझी रणनीति के तहत कर्मचारियों को वोट नहीं डालने दिया. पवई विधानसभा क्षेत्र में 500 परिचालक और 300 से ज्यादा अतिथि शिक्षकों की अचानक ड्यूटी लगा दी गई. उन्हें डाक मतपत्र नहीं दिया गया, जिससे वे वोट नहीं डाल सके.'

उन्होंने कहा, 'मैंने खुद तीन बार कलेक्टर को फोन करके बताया, लेकिन जानकारी के बाद भी डाक नहीं डालने दिया. इससे साफ है कि वे किसी के इशारे पर काम कर रहे थे. सरकार ने हर जिले में कर्मचारियों को वोट नहीं डालने दिया. पन्ना, अमानगंज विधानसभा में भी 700 से 800 कर्मचारियों को वोट नहीं डालने दिया गया.'

कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता ने आरोप है, 'संबंधित जिलों से निर्धारित तारीख तक डाक मत पत्र भेजे ही नहीं जा सके, जिससे बड़ी संख्या में कर्मचारी वोट ही नहीं डाल पाए. ऐसे कर्मचारियों की संख्या हजारों में हैं. जिलों में कर्मचारियों की वोटिंग में बड़ा खेल हुआ है.'

कर्मचारी संगठनों से बुलाई जिलों से जानकारी: उधर कर्मचारियों के वोट न डाले जाने को लेकर कर्मचारी संगठनों ने कड़ी नाराजगी जताते हुए चुनाव आयोग को पत्र लिखा है. मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी महासंघ के प्रांताध्यक्ष जितेन्द्र सिंह के मुताबिक, 'इस बार के चुनाव में कर्मचारियों की भूमिका निर्णायक साबित होने जा रही है. यही वजह है कि चुनाव ड्यूटी में लगे बड़ी संख्या में कर्मचारियों को वोट से वंचित कर दिया गया. संगठन ने इसको लेकर चुनाव आयोग को पत्र लिखा है, साथ ही सभी जिलों से ऐसे कर्मचारियों की जानकारी बुलाई जा रही है.

आयोग बोला, अब नहीं मिलेगा वोट का मौका: उधर चुनाव आयोग के अधिकारी फिलहाल यह बता पाने की स्थिति में नहीं है कि प्रदेश में कितनी संख्या में कर्मचारी वोट नहीं डाल सके. हालांकि, अधिकारियों के मुताबिक जो कर्मचारियों को वोट के लिए तीन दिन का समय था, जो वोट नहीं डाल सके, उन्हें अब वोट का मौका नहीं मिलेगा.

डाक मत पत्र इस बार बदली गई व्यवस्था: दरअसल, चुनाव आयोग ने इस बार के चुनाव से डाक मत पत्र की व्यवस्था में बदलाव किया है. चुनाव ड्यूटी में लगने वाले कर्मचारी किसी दूसरे जिले या विधानसभा के होते हैं, जबकि उनकी ड्यूटी दूसरे जिले या विधानसभा क्षेत्र में लगती थी. ऐसे में कर्मचारियों को संबंधित जिले द्वारा कर्मचारी के घर पर डाक के जरिए तीन लिफाफों में मत पत्र भेजा जाता था, जिसे कर्मचारी वोटों की गिनती से पहले डाक के माध्यम से ही संबंधित जिले में भेज देता था.

इस बार के चुनाव में चुनाव आयोग ने डाक के जरिए मत पत्र भेजने की व्यवस्था को खत्म कर दिया. इस बार चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारियों के डाक मत को संबंधित जिलों से बुलाकर 8 नवंबर से 14 नवंबर तक ट्रेनिंग सेंटर पर ही सहायक रिर्टनिंग अधिकारी के सामने वोट कराया गया है.

पिछले चुनाव में 10 सीटों पर मामूली अंतर से हुई थी जीत-हार: माना जा रहा है कि चुनाव में पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे को लेकर कर्मचारी वर्ग की नाराजगी का खामियाजा सरकार को उठाना पड़ सकता है. यही वजह है कि कर्मचारियों के वोट न डालने के मामले में लगातार आयोग को शिकायतें की जा रही है. प्रदेश में कई जिले ऐसे हैं, जहां 4 हजार से ज्यादा वोट डाक मत पत्र से हुए हैं.

2018 के चुनाव में 10 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर हार-जीत का अंतर 1 हजार वोटों से कम रहा था. ऐसी विधानसभाओं में ग्वालियर दक्षिण, राजनगर, दमोह, कोलारस, जबलपुर उत्तर, ब्यावरा, राजपुर आदि विधानसभा सीट शामिल हैं.

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पवई से कांग्रेस उम्मीदवार मुकेश नायक ने लगाए आरोप

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मतदान भले ही हो गया हो, लेकिन चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारियों की वोटिंग को लेकर प्रदेश में बवाल मचा हुआ है. कर्मचारियों को वोट न डालने को लेकर अब पवई से कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व मंत्री मुकेश नायक ने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है. कर्मचारी संगठन भी मामले में चुनाव आयोग को शिकायत कर चुका है.

कांग्रेस का आरोप है कि हर विधानसभा में 700 से 800 कर्मचारी वोट नहीं डालने दिया गया. कांग्रेस आरोप लगा रही है कि पुरानी पेंशन बहाली को लेकर नाराजगी की वजह से कर्मचारियों की वोटिंग में सरकार के इशारे पर बड़ा खेल हुआ है. 2018 के चुनाव में करीब 10 विधानसभा सीटों पर हार जीत का अंतर 1 हजार से कम वोटों का था.

कांग्रेस नेता शिकायत करने फिर पहुंचे आयोग: पूर्व मंत्री और पवई से कांग्रेस उम्मीदवार मुकेश नायक ने चुनाव आयोग पहुंचकर चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारियों के वोट न डालने की शिकायत दर्ज कराई. मुकेश नायक ने अपनी शिकायत में कहा, 'पवई विधानसभा क्षेत्र में 800 कर्मचारियों को वोट नहीं डालने दिया. सभी जानते हैं कि कर्मचारी सरकार से नाराज है, इसलिए सोची समझी रणनीति के तहत कर्मचारियों को वोट नहीं डालने दिया. पवई विधानसभा क्षेत्र में 500 परिचालक और 300 से ज्यादा अतिथि शिक्षकों की अचानक ड्यूटी लगा दी गई. उन्हें डाक मतपत्र नहीं दिया गया, जिससे वे वोट नहीं डाल सके.'

उन्होंने कहा, 'मैंने खुद तीन बार कलेक्टर को फोन करके बताया, लेकिन जानकारी के बाद भी डाक नहीं डालने दिया. इससे साफ है कि वे किसी के इशारे पर काम कर रहे थे. सरकार ने हर जिले में कर्मचारियों को वोट नहीं डालने दिया. पन्ना, अमानगंज विधानसभा में भी 700 से 800 कर्मचारियों को वोट नहीं डालने दिया गया.'

कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता ने आरोप है, 'संबंधित जिलों से निर्धारित तारीख तक डाक मत पत्र भेजे ही नहीं जा सके, जिससे बड़ी संख्या में कर्मचारी वोट ही नहीं डाल पाए. ऐसे कर्मचारियों की संख्या हजारों में हैं. जिलों में कर्मचारियों की वोटिंग में बड़ा खेल हुआ है.'

कर्मचारी संगठनों से बुलाई जिलों से जानकारी: उधर कर्मचारियों के वोट न डाले जाने को लेकर कर्मचारी संगठनों ने कड़ी नाराजगी जताते हुए चुनाव आयोग को पत्र लिखा है. मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी महासंघ के प्रांताध्यक्ष जितेन्द्र सिंह के मुताबिक, 'इस बार के चुनाव में कर्मचारियों की भूमिका निर्णायक साबित होने जा रही है. यही वजह है कि चुनाव ड्यूटी में लगे बड़ी संख्या में कर्मचारियों को वोट से वंचित कर दिया गया. संगठन ने इसको लेकर चुनाव आयोग को पत्र लिखा है, साथ ही सभी जिलों से ऐसे कर्मचारियों की जानकारी बुलाई जा रही है.

आयोग बोला, अब नहीं मिलेगा वोट का मौका: उधर चुनाव आयोग के अधिकारी फिलहाल यह बता पाने की स्थिति में नहीं है कि प्रदेश में कितनी संख्या में कर्मचारी वोट नहीं डाल सके. हालांकि, अधिकारियों के मुताबिक जो कर्मचारियों को वोट के लिए तीन दिन का समय था, जो वोट नहीं डाल सके, उन्हें अब वोट का मौका नहीं मिलेगा.

डाक मत पत्र इस बार बदली गई व्यवस्था: दरअसल, चुनाव आयोग ने इस बार के चुनाव से डाक मत पत्र की व्यवस्था में बदलाव किया है. चुनाव ड्यूटी में लगने वाले कर्मचारी किसी दूसरे जिले या विधानसभा के होते हैं, जबकि उनकी ड्यूटी दूसरे जिले या विधानसभा क्षेत्र में लगती थी. ऐसे में कर्मचारियों को संबंधित जिले द्वारा कर्मचारी के घर पर डाक के जरिए तीन लिफाफों में मत पत्र भेजा जाता था, जिसे कर्मचारी वोटों की गिनती से पहले डाक के माध्यम से ही संबंधित जिले में भेज देता था.

इस बार के चुनाव में चुनाव आयोग ने डाक के जरिए मत पत्र भेजने की व्यवस्था को खत्म कर दिया. इस बार चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारियों के डाक मत को संबंधित जिलों से बुलाकर 8 नवंबर से 14 नवंबर तक ट्रेनिंग सेंटर पर ही सहायक रिर्टनिंग अधिकारी के सामने वोट कराया गया है.

पिछले चुनाव में 10 सीटों पर मामूली अंतर से हुई थी जीत-हार: माना जा रहा है कि चुनाव में पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे को लेकर कर्मचारी वर्ग की नाराजगी का खामियाजा सरकार को उठाना पड़ सकता है. यही वजह है कि कर्मचारियों के वोट न डालने के मामले में लगातार आयोग को शिकायतें की जा रही है. प्रदेश में कई जिले ऐसे हैं, जहां 4 हजार से ज्यादा वोट डाक मत पत्र से हुए हैं.

2018 के चुनाव में 10 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर हार-जीत का अंतर 1 हजार वोटों से कम रहा था. ऐसी विधानसभाओं में ग्वालियर दक्षिण, राजनगर, दमोह, कोलारस, जबलपुर उत्तर, ब्यावरा, राजपुर आदि विधानसभा सीट शामिल हैं.

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