नई दिल्ली : महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख की जमानत के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. दो बजे इस पर सुनवाई संभव है. मुंबई हाईकोर्ट ने अनिल देशमुख को जमानत प्रदान कर दी थी.
अपनी जमानत याचिका में देशमुख ने अपना बचाव किया था. सीबीआई की विशेष अदालत में भी सौंपी गई अर्जी में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता ने यह भी दावा किया कि उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप सिर्फ जांच एजेंसियों की 'सनक और कल्पनाओं' पर आधारित हैं, जो उन बयानों पर भी सवाल उठाते हैं जिनके आधार पर केन्द्रीय अण्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने यह पूरा मामला बनाया है.
गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की जा रही धन शोधन मामले की जांच के तहत राकांपा के 73 वर्षीय नेता को नवंबर, 2021 में गिरफ्तार किया गया था. वह फिलहाल ऑर्थर रोड जेल में बंद हैं. बंबई उच्च न्यायालय ने ईडी द्वारा दर्ज धन शोधन के मामले में मंगलवार को उन्हें जमानत दे दी लेकिन साथ ही 13 अक्टूबर तक के लिए स्थगनादेश भी जारी किया, जिसके कारण एजेंसी फैसले के खिलाफ अपील नहीं कर पा रही है. वहीं, सीबीआई देखमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक मामले की जांच भी कर रही है.
देखमुख ने भ्रष्टाचार के मामले में अपने वकीलों अनिकेत निकम और इन्द्रपाल सिंह के माध्यम से सीबीआई की विशेष अदालत में न्यायाधीश एस. एच. ग्वालानी के समक्ष जमानत अर्जी दी थी. अर्जी में देशमुख ने दावा किया कि उनके खिलाफ दर्ज मामला जांच एजेंसी की सनक और कल्पनाओं पर आधारित है.
अर्जी के अनुसार सीबीआई का पूरा मामला जिस बयान पर आधारित है वह पूरी तरह संदेहास्पद है और उन सभी लोगों की साख पर गंभीर सवाल उठाता है. अर्जी के अनुसार पूरा मामला परम बीर सिंह और भ्रष्ट पुलिसकर्मी सचिन वाजे के बयानों पर आधारित है, जिनके खिलाफ तमाम ठोस सबूत उपलब्ध हैं कि बार मालिकों से अवैध रूप से हप्ता वसूलने में वह अकेला शामिल था.
देशमुख की जमानत अर्जी में दावा किया गया, 'यह बेहद गंभीर चिंता का विषय है कि सचिन वाजे, जो वर्षों तक निलंबित रहा, उसकी वापस बहाली की गई और तत्कालीन पुलिस आयुक्त ने उसे महत्वपूर्ण काम सौंपे.' उसमें कहा गया है, 'दोनों ने आपस में सांठगांठ की और अपने आप को बचाने के लिए आवेदक (देशमुख) पर आरोप मढ दिए। बिलकुल फर्जी बयान दिए गए जिनकी ना कोई साख है और ना ही साक्ष्य के तौर पर उनका कोई महत्व है.'