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Assembly Election 2022: कांग्रेस के लिए यूपी के चुनावी 'खेल' में बने रहना मुश्किल

विधानसभा चुनाव से पहले नई पहल और विचार लेकर उत्तर प्रदेश में 'गेमचेंजर' (Gamechanger in Uttar Pradesh) के रूप में उभरने की कोशिश कर रही कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. पार्टी के प्रमुख नेता इमरान मसूद (Party leader Imran Masood) अब सपा में शामिल होने की तैयारी कर चुके हैं. क्या इससे कांग्रेस यूपी के राजनीति के खेल में टिक पाएगी? ईटीवी संवाददाता नियामिका सिंह की रिपोर्ट.

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प्रतीकात्मक फोटो
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Published : Jan 10, 2022, 9:24 PM IST

Updated : Jan 10, 2022, 9:34 PM IST

नई दिल्ली : ऐसे समय में जब उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव नजदीक (Uttar Pradesh assembly elections near) आ रहे हैं, कांग्रेस पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा है. राज्य में पार्टी के बड़े नेताओं में से एक इमरान मसूद अब सपा में शामिल होने (imran masood now joining sp) के लिए पूरी तरह तैयार हैं.

एक तरफ कांग्रेस ने यह दावा किया है कि बिना उसके समर्थन के उत्तर प्रदेश में कोई सरकार नहीं बन सकती. वहीं पूर्व विधायक इमरान मसूद ने कहा कि यूपी भाजपा और सपा के बीच ही सीधी लड़ाई है. यह केवल अखिलेश यादव की पार्टी है जो योगी आदित्यनाथ को हरा सकती है. हालांकि कांग्रेस नेताओं का अब भी मानना ​​है कि उनके जाने से कांग्रेस के प्रदर्शन पर ज्यादा असर नहीं पड़ने वाला है. लेकिन आगामी चुनावों को देखते हुए यह निश्चित रूप से पार्टी के लिए अच्छा संकेत नहीं है.

यूपी कांग्रेस के एक नेता ने ईटीवी भारत को जवाब दिया कि उनकी क्षमता क्या है? उनके जाने से पार्टी के प्रदर्शन पर कोई असर नहीं पड़ेगा? उनका कोई जनाधार नहीं है. उन्हें सहारनपुर से टिकट मिल भी जाएगा तो कांग्रेस के लिए परेशानी नहीं है. जबकि अन्य कांग्रेस नेता जो कि मसूद के करीबी सहयोगी हैं, ने उनके फैसले पर निराशा व्यक्त करते हुए दावा किया कि उन्हें पार्टी से बहुत स्नेह और सम्मान मिला है. गांधी परिवार के साथ उनका संचार स्तर भी बहुत अच्छा है.

इमरान मसूद, जो कि अपने विचारों बारे में बहुत मुखर हैं, ने अक्टूबर में ईटीवी भारत से कहा था कि अगर कांग्रेस उत्तर प्रदेश में भाजपा को हराना चाहती है तो उसे समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करना चाहिए. पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा कि हमें कब तक गठबंधन में जाना है? किस बिंदु पर हमें अपने पैरों पर खड़ा होना है. हम दशकों से गठबंधन कर रहे हैं लेकिन इसका कोई फल नहीं मिला.

यहां तक ​​कि इससे पार्टी को कोई लाभ नहीं मिला है. सुझाव देना सबका अधिकार है लेकिन यह फैसला करना पार्टी आलाकमान का विशेषाधिकार है. यह भी बताया जा रहा है कि इमरान मसूद उत्तर प्रदेश में महिला उम्मीदवारों को 40% टिकट देने के पार्टी के फैसले के पक्ष में नहीं थे और उन्होंने पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के सामने भी अपनी चिंता व्यक्त की थी.

हालांकि राजनीतिक पर्यवेक्षक यह मान रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव अधिक महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इसके परिणाम 2024 के आम चुनावों में विपक्ष की राजनीति को आकार दे सकता है. यह चुनाव कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश की राजनीति के खेल में बने रहने के साथ-साथ देश में भाजपा के खिलाफ प्रमुख विपक्षी दल के रूप में बने रहने की चुनौती बनकर उभरेंगे.

यह भी पढ़ें- सेटेलाइट से जुड़ा हाईटेक रथ, 3D स्टूडियो वाली वर्चुअल रैली, कुछ ऐसा होगा BJP का 'डिजिटल कैंपेन'

इमरान मसूद का सियासी सफर

इमरान मसूद ने 2007 का विधानसभा चुनाव निर्दलीय के रूप में जीता था. फिर कांग्रेस के टिकट पर 2012 का चुनाव लड़ा लेकिन हार गए और बाद में 2013 में समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. हालांकि वह अगले ही साल कांग्रेस में वापस आ गए और सहारनपुर से 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन दोनों में हार मिली.

नई दिल्ली : ऐसे समय में जब उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव नजदीक (Uttar Pradesh assembly elections near) आ रहे हैं, कांग्रेस पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा है. राज्य में पार्टी के बड़े नेताओं में से एक इमरान मसूद अब सपा में शामिल होने (imran masood now joining sp) के लिए पूरी तरह तैयार हैं.

एक तरफ कांग्रेस ने यह दावा किया है कि बिना उसके समर्थन के उत्तर प्रदेश में कोई सरकार नहीं बन सकती. वहीं पूर्व विधायक इमरान मसूद ने कहा कि यूपी भाजपा और सपा के बीच ही सीधी लड़ाई है. यह केवल अखिलेश यादव की पार्टी है जो योगी आदित्यनाथ को हरा सकती है. हालांकि कांग्रेस नेताओं का अब भी मानना ​​है कि उनके जाने से कांग्रेस के प्रदर्शन पर ज्यादा असर नहीं पड़ने वाला है. लेकिन आगामी चुनावों को देखते हुए यह निश्चित रूप से पार्टी के लिए अच्छा संकेत नहीं है.

यूपी कांग्रेस के एक नेता ने ईटीवी भारत को जवाब दिया कि उनकी क्षमता क्या है? उनके जाने से पार्टी के प्रदर्शन पर कोई असर नहीं पड़ेगा? उनका कोई जनाधार नहीं है. उन्हें सहारनपुर से टिकट मिल भी जाएगा तो कांग्रेस के लिए परेशानी नहीं है. जबकि अन्य कांग्रेस नेता जो कि मसूद के करीबी सहयोगी हैं, ने उनके फैसले पर निराशा व्यक्त करते हुए दावा किया कि उन्हें पार्टी से बहुत स्नेह और सम्मान मिला है. गांधी परिवार के साथ उनका संचार स्तर भी बहुत अच्छा है.

इमरान मसूद, जो कि अपने विचारों बारे में बहुत मुखर हैं, ने अक्टूबर में ईटीवी भारत से कहा था कि अगर कांग्रेस उत्तर प्रदेश में भाजपा को हराना चाहती है तो उसे समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करना चाहिए. पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा कि हमें कब तक गठबंधन में जाना है? किस बिंदु पर हमें अपने पैरों पर खड़ा होना है. हम दशकों से गठबंधन कर रहे हैं लेकिन इसका कोई फल नहीं मिला.

यहां तक ​​कि इससे पार्टी को कोई लाभ नहीं मिला है. सुझाव देना सबका अधिकार है लेकिन यह फैसला करना पार्टी आलाकमान का विशेषाधिकार है. यह भी बताया जा रहा है कि इमरान मसूद उत्तर प्रदेश में महिला उम्मीदवारों को 40% टिकट देने के पार्टी के फैसले के पक्ष में नहीं थे और उन्होंने पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के सामने भी अपनी चिंता व्यक्त की थी.

हालांकि राजनीतिक पर्यवेक्षक यह मान रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव अधिक महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इसके परिणाम 2024 के आम चुनावों में विपक्ष की राजनीति को आकार दे सकता है. यह चुनाव कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश की राजनीति के खेल में बने रहने के साथ-साथ देश में भाजपा के खिलाफ प्रमुख विपक्षी दल के रूप में बने रहने की चुनौती बनकर उभरेंगे.

यह भी पढ़ें- सेटेलाइट से जुड़ा हाईटेक रथ, 3D स्टूडियो वाली वर्चुअल रैली, कुछ ऐसा होगा BJP का 'डिजिटल कैंपेन'

इमरान मसूद का सियासी सफर

इमरान मसूद ने 2007 का विधानसभा चुनाव निर्दलीय के रूप में जीता था. फिर कांग्रेस के टिकट पर 2012 का चुनाव लड़ा लेकिन हार गए और बाद में 2013 में समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. हालांकि वह अगले ही साल कांग्रेस में वापस आ गए और सहारनपुर से 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन दोनों में हार मिली.

Last Updated : Jan 10, 2022, 9:34 PM IST
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