छतरपुर। एमपी के छतरपुर जिले में रहने वाली मरजीना बानो एक ऐसी गौ सेवक हैं, जिन्होंने गौ सेवा के लिए अपना सब कुछ दाव लगा दिया है. मरजीना बानो (Gau Sevak Marjeena Bano) मुस्लिम समुदाय से संबंध रखती हैं, यही वजह है कि उन्हीं के समुदाय (मुस्लिम समाज) के लोग अब उनका विरोध करने लगे है. विरोध इतना बढ़ गया है कि अब उनका सामाजिक बहिष्कार भी शुरू हो गया है. मरजीना बानो की मानें तो उनके धर्म के लोगों ने उन्हें किसी भी धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों में बुलाना बंद कर दिया है. मोहल्ले में कोई भी शादी या अन्य सामाजिक कार्यक्रम होता है, तो उन्हें बुलाया नहीं जाता है.
गौ सेवा बन गया जुनून: मरजीना बानो 'नंदी ग्राम' नाम से एक गौ शाला चलातीं है, जिसमे लगभग 18 गौ वंश हैं. इसमे गाय, बछड़े और बैल भी शामिल हैं, गौ शाला में गायों के लिए खानें पीने से लेकर ठंड से बचने के लिए आग की व्यवस्था भी गई है. फिलहाल गौ शाला कुछ लोगों के आर्थिक सहयोग एवं मरजीना अपने निजी खर्चे से चला रही हैं. मरजीना बानो (Marjeena Bano) बताती हैं कि "4 साल पहले मैंने एक नंदी को खाना खिलाया था, जिसके बाद शुरू हुआ ये सिलसिला अभी तक जारी है. पहले लॉकडाउन में आवारा घूम रहे गौ वंशों की सेवा की और अब यह दैनिक दिनचर्या में शामिल हो गया है. मेरे इस काम में मेरी बेटी (जैनम खान) भी मदद करती है."
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परिवार का मिला साथ, समाज ने किया बहिष्कार: मरजीना के परिवार में दो बेटियां एवं एक बेटा है, उनके पति डॉक्टर हैं. मरजीना बताती हैं कि "मेरे परिवार के सभी लोग मुझे गौ सेवा के लिए न सिर्फ सहयोग करते हैं, बल्कि मेरा मनोबल भी बढ़ाते हैं. मेरी बड़ी बेटी (जैनम खान) हमेशा गौ सेवा कराने में मेरा हाथ बटाती है. हालांकि हमारी समाज (मुस्लिम समाज) के लोग गाय के गोबर को छूना या गाय की सेवा करने को हराम मानते हैं. यही कारण है कि अब हमें हमारी ही समाज के लोग काफिर कहने लगे हैं." बता दें कि काफिर शब्द का प्रयोग उन लोगों के लिए किया जाता है, जो ईश्वर में विश्वास नहीं रखते या जो दूसरे धर्म के होते हैं. (Chhatarpur Marjina Bano News)