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MP: कृषि विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस में 4 साल से लटक रहा CBI का ताला, प्रबंधन ने भेजा 51 लाख का बिल

ग्वालियर में राजमाता विजयाराजे कृषि विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस में बीते 4 साल से CBI का ताला लगा हुआ है. कमरे का किराया 50 लाख से अधिक हो चुका है. विश्वविद्यालय प्रबंधन कमरे के किराए के लिए भटक रहा है और प्रशासन को बार-बार पत्र लिख रहा है जानें क्या है पूरा मामला...

Rajmata Vijayaraje Agricultural University
राजमाता विजयाराजे कृषि विश्वविद्यालय
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Published : Apr 29, 2023, 7:42 PM IST

राजमाता विजयाराजे कृषि विश्वविद्यालय में फंसा मामला

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक अनोखा मामला सामने आया है. राजमाता विजयाराजे कृषि विश्वविद्यालय में स्थित इंटरनेशनल गेस्ट हाउस के कमरों में पिछले चार सालों से CBI का ताला लटका हुआ है. साल 2019 में व्यापम घोटाले की जांच करने के लिए ग्वालियर आई सीबीआई की टीम ने इस इंटरनेशनल गेस्ट हाउस के कुछ कमरों को बुक किया था लेकिन जांच के बाद सीबीआई की टीम कमरों में ताला लगा कर रवाना हो गई. तब से इन कमरों में ताला लगा हुआ है और खास बात यह है इस गेस्ट हाउस के कमरों का अभी तक किराया 51 लाख रुपए से अधिक हो गया है जिसके लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन एसपी और कलेक्टर को कई बार पत्र लिख चुका है.

व्यापम जांच के लिए आई थी CBI टीम: साल 2015 में व्यापम कांड की जांच के लिए 20 सदस्यों की सीबीआई की टीम ग्वालियर आई हुई थी. कलेक्टर के आदेश पर इनके रहने के लिए राजमाता विजयराजे कृषि विश्वविद्यालय में स्थित इंटरनेशनल गेस्ट हाउस के 10 कमरों को बुक किया था. उसके बाद यह सीबीआई की टीम जांच करने के बाद 31 मार्च 2017 को वापस चली गई थी. इसके बाद CBI के कुछ अफसर 4 नवंबर 2019 को ग्वालियर आए हुए थे. उन्हें पुलिस अधीक्षक के कहने पर विश्वविद्यालय ने पुराने गेस्ट हाउस में चार कमरे दिए थे. जांच के बाद यह अफसर वापस लौट गए और उसके बाद उन्हें यह भी ध्यान नहीं रहा कि जो उन्होंने कमरे बुक किए थे उनमें आज भी ताला लटका हुआ है.

4 साल से लटक रहा CBI का ताला: विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि 4 साल हो चुके हैं और इन चारों कमरों में आज भी ताला लटका हुआ है. विश्वविद्यालय प्रबंधन को डर लग रहा है कि कहीं इन कमरों में कोई व्यापम से जुड़े कागजात तो नहीं रखे हैं इसलिए कई बार अधिकारियों को सूचना दे चुके हैं लेकिन अधिकारी भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. यही कारण है कि विश्वविद्यालय प्रबंधन ने कई बार इन चार कमरों का ताला खोलने के लिए पत्र लिखा है लेकिन इसका जवाब कोई भी अधिकारी देने के लिए तैयार नहीं है.

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CBI पर लाखों का कर्ज: सबसे खास बात यह है कि सीबीआई के द्वारा इस इंटरनेशनल गेस्ट हाउस में जो कमरे बुक किए गए थे उनका किराया विश्वविद्यालय प्रबंधन को नहीं मिला है. वर्तमान में 10 कमरों का किराया कुल 51 लाख रुपए से अधिक हो गया है. उन्होंने बताया है कि इंटरनेशनल गेस्ट हाउस के 10 कमरों का किराया 26 लाख 3 हजार 800 हो गया है. ऐसे में पुराने गेस्ट हाउस के चार कमरों का किराया भी अब 25 लाख 16 हजार तक पहुंच गया है. इस तरह सीबीआई को आवंटित कमरों के किराए के रूप में विश्वविद्यालय का कुल 51 लाख 9 हजार 800 रुपए बकाया है.

किराए के लिए भटक रहा विश्वविद्यालय: विश्वविद्यालय किराए की वसूली के लिए दर-दर भटक रहा है. कृषि विश्वविद्यालय के कुल सचिव अनिल सक्सेना का कहना है कि सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल और पुराने गेस्ट हाउस में कमरे दिए गए थे. सीबीआई से भुगतान कराने को लेकर जिला प्रशासन को कई बार पत्र लिख चुके हैं और प्रशासन से निवेदन कर चुके हैं कि गेस्ट हाउस पूरी तरह जर्जर हो चुका है कमरे अभी खाली नहीं है. इसके किराए का भुगतान किया जाए, लेकिन कोई भी अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है.

राजमाता विजयाराजे कृषि विश्वविद्यालय में फंसा मामला

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक अनोखा मामला सामने आया है. राजमाता विजयाराजे कृषि विश्वविद्यालय में स्थित इंटरनेशनल गेस्ट हाउस के कमरों में पिछले चार सालों से CBI का ताला लटका हुआ है. साल 2019 में व्यापम घोटाले की जांच करने के लिए ग्वालियर आई सीबीआई की टीम ने इस इंटरनेशनल गेस्ट हाउस के कुछ कमरों को बुक किया था लेकिन जांच के बाद सीबीआई की टीम कमरों में ताला लगा कर रवाना हो गई. तब से इन कमरों में ताला लगा हुआ है और खास बात यह है इस गेस्ट हाउस के कमरों का अभी तक किराया 51 लाख रुपए से अधिक हो गया है जिसके लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन एसपी और कलेक्टर को कई बार पत्र लिख चुका है.

व्यापम जांच के लिए आई थी CBI टीम: साल 2015 में व्यापम कांड की जांच के लिए 20 सदस्यों की सीबीआई की टीम ग्वालियर आई हुई थी. कलेक्टर के आदेश पर इनके रहने के लिए राजमाता विजयराजे कृषि विश्वविद्यालय में स्थित इंटरनेशनल गेस्ट हाउस के 10 कमरों को बुक किया था. उसके बाद यह सीबीआई की टीम जांच करने के बाद 31 मार्च 2017 को वापस चली गई थी. इसके बाद CBI के कुछ अफसर 4 नवंबर 2019 को ग्वालियर आए हुए थे. उन्हें पुलिस अधीक्षक के कहने पर विश्वविद्यालय ने पुराने गेस्ट हाउस में चार कमरे दिए थे. जांच के बाद यह अफसर वापस लौट गए और उसके बाद उन्हें यह भी ध्यान नहीं रहा कि जो उन्होंने कमरे बुक किए थे उनमें आज भी ताला लटका हुआ है.

4 साल से लटक रहा CBI का ताला: विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि 4 साल हो चुके हैं और इन चारों कमरों में आज भी ताला लटका हुआ है. विश्वविद्यालय प्रबंधन को डर लग रहा है कि कहीं इन कमरों में कोई व्यापम से जुड़े कागजात तो नहीं रखे हैं इसलिए कई बार अधिकारियों को सूचना दे चुके हैं लेकिन अधिकारी भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. यही कारण है कि विश्वविद्यालय प्रबंधन ने कई बार इन चार कमरों का ताला खोलने के लिए पत्र लिखा है लेकिन इसका जवाब कोई भी अधिकारी देने के लिए तैयार नहीं है.

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CBI पर लाखों का कर्ज: सबसे खास बात यह है कि सीबीआई के द्वारा इस इंटरनेशनल गेस्ट हाउस में जो कमरे बुक किए गए थे उनका किराया विश्वविद्यालय प्रबंधन को नहीं मिला है. वर्तमान में 10 कमरों का किराया कुल 51 लाख रुपए से अधिक हो गया है. उन्होंने बताया है कि इंटरनेशनल गेस्ट हाउस के 10 कमरों का किराया 26 लाख 3 हजार 800 हो गया है. ऐसे में पुराने गेस्ट हाउस के चार कमरों का किराया भी अब 25 लाख 16 हजार तक पहुंच गया है. इस तरह सीबीआई को आवंटित कमरों के किराए के रूप में विश्वविद्यालय का कुल 51 लाख 9 हजार 800 रुपए बकाया है.

किराए के लिए भटक रहा विश्वविद्यालय: विश्वविद्यालय किराए की वसूली के लिए दर-दर भटक रहा है. कृषि विश्वविद्यालय के कुल सचिव अनिल सक्सेना का कहना है कि सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल और पुराने गेस्ट हाउस में कमरे दिए गए थे. सीबीआई से भुगतान कराने को लेकर जिला प्रशासन को कई बार पत्र लिख चुके हैं और प्रशासन से निवेदन कर चुके हैं कि गेस्ट हाउस पूरी तरह जर्जर हो चुका है कमरे अभी खाली नहीं है. इसके किराए का भुगतान किया जाए, लेकिन कोई भी अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है.

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