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फिर उठी बुंदेलखंड की मांग, MP चुनाव में BJP को हराने राम की कसम दिलाएगा बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा - एमपी चुनाव 2023

मध्यप्रदेश में हर बार पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग जोर पकडती है. इस बार भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने मिल रहा है. पृथक बुंदेलखंड की मांग को लेकर बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा 15 जून से एक नया अभियान शुरू करने जा रहा है.

Bundelkhand Nirman Morcha
फिर उठी बुंदेलखंड की मांग
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Published : May 19, 2023, 10:16 PM IST

Updated : May 19, 2023, 10:34 PM IST

फिर उठी बुंदेलखंड की मांग

सागर। जब भी मध्यप्रदेश या उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा चुनाव हो, हर बार पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग जोर पकडती है. चुनावों में हर राजनीतिक दल से मांग की जाती है कि वो बुंदेलखंड राज्य की मांग का समर्थन करें, लेकिन इस बार मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान बुंदेलखंड राज्य की मांग एक अलग अंदाज में जोर पकड़ रही है. पृथक बुंदेलखंड की मांग को लेकर बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा 15 जून से एक नया अभियान शुरू करने जा रहा है. इस अभियान के तहत रामबंधन बनवाया गया है और मोर्चा के सदस्य मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड की तमाम विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करेंगे. मतदाताओं को रामबंधन बांधकर मांग राम का कोल (कसम) दिलाएंगे कि वो भाजपा को वोट ना दें, क्योंकि 9 साल पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चुनाव के वक्त भाजपा के दिग्गज नेताओं और खुद प्रधानमंत्री ने तीन साल के भीतर बुंदेलखंड राज्य के गठन का वादा किया था, लेकिन 9 साल बाद भी वादा पूरा नहीं हआ है.

कितनी पुरानी है बुंदेलखंड राज्य की मांग: जहां तक बुंदेलखंड राज्य की मांग करें तो देश के आजाद होते ही इस मांग ने जोर पकड़ लिया था. 12 मार्च 1948 को क्षेत्र की देशी रियासतों का विलीनीकरण किया गया और भारत सरकार द्वारा लिखित सहमति पत्र में लिखा गया कि इस क्षेत्र के निवासियों का हित एक ऐसे राज्य की स्थापना से पूरा हो सकता है, जिसकी अपनी विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका हो. इस सहमति से संयुक्त राज्य विंध्य प्रदेश का निर्माण हुआ है. इसकी दो ईकाईयां बुंदेलखंड प्रदेश एवं बघेलखंड प्रदेश बनाई गयी है. बुंदेलखंड प्रदेश की राजधानी नौगांव बनायी गयी थी, जिसके मुख्यमंत्री स्वर्गीय कामता प्रसाद सक्सेना थे. 1953 में गठित प्रथम राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश पर वर्ष 1956 में बुंदेलखंड क्षेत्र को उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश राज्य में विभाजित कर दिया गया. बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भानु सहाय का कहना है कि 12 मार्च 1948 को बुंदेलखंड राज्य एक अलग राज्य के रूप में था, जिसके मुख्यमंत्री कामता प्रसाद सक्सेना थे और छतरपुर का नौगांव इसकी राजधानी हुआ करती थी. लेकिन 1956 में हम बुंदेलियों को आपस में बांटा और मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में बांट दिया गया. ये मांग तभी से शुरू हो गयी फिर 1970 में कुछ बडे़ लोगों के कारण मांग ने जोर पकड़ा, लेकिन जब शंकरलाल मल्होत्रा 1989 में आए और उन्होंने बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा बनाया. तो मप्र की उमा भारती, रामकृष्ण कुसमारिया, बृजेन्द्र सिंह राठौर, विठ्ठलभाई पटैल जैसे कई नेता जुड़कर इस आंदोलन को चलाते थे. हम लोग इनके पीछा रहा करते थे. धीरे-धीरे राजनीतिक उथल पुथल हुई, तो ये बडे़ नेता जो आगे हुआ करते थे, वो धीरे-धीरे अलग हो गए. विठ्ठलभाई पटेल शंकर लाल मल्होत्रा चले गए तो आंदोलन कमजोर पड़ गया, लेकिन हम लोग फिर सक्रिय और संगठित हुए और अब हम ऐसे मुकाम पर पहुंच गए हैं कि हम सामने वालों से टकराने के लिए तैयार हैं.

भाजपा ने की वादा खिलाफी: बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा अध्यक्ष भानु सहाय का कहना है कि 2014 में 3 साल के भीतर रामराजा सरकार और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को साक्षी मानकर बुंदेलखंड राज्य बनवा देने का वादा उमा भारती, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राजनाथ सिंह ने किया था. 3 साल की जगह 9 साल का समय गुजर गया, लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक कार्रवाई भी शुूरू नहीं की. इन सभी नेताओं ने हम बुंदेलियों को झूठे वादे के मायाजाल में फंसाकर वोट की फसल काटने का काम किया है. भानु सहाय बताते हैं कि हम सभी ने मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के सभी प्रतिनिधियों को 8 बार पत्र लिखकर आग्रह किया कि आप एक पत्र प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री को लिखकर बुंदेलखंड राज्य जल्द बनाए जाने की मांग कीजिए, लेकिन इन जनप्रतिनिधियों ने राज्य निर्माण की मांग को ठुकराते हुए पत्र ना लिखकर जनता को ये बता दिया कि राज्य निर्माण की बात मात्र वोट पाने के लिए करते हैं. अब ऐसे बहरूपियों को सबक सिखाने का समय आ गया है. राज्य निर्माण समर्थक सभी अन्य राजनीतिक एवं गैर राजनीतिक संस्थाओं के साथ बैठक कर रणनीति बनाई जाएगी कि इन बहरूपियों और वादाखिलाफ लोगों को आने वाले विधानसभा चुनाव में हराया जाए.

  1. बीजेपी के बागी विधायक नारायण त्रिपाठी ने की नई पार्टी के गठन की घोषणा, जानें बड़ी वजह...
  2. हमारा विंध्य प्रदेश हमें लौटा दें...मैहर विधायक ने पीएम मोदी के नाम जारी किया बयान

भाजपा को हराने अटल जी बने प्रेरणा: बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भानु सहाय कहते हैं कि इस बार हमारी प्रेरणा पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी बने हैं. एक बार हम लोगों ने पृथक बुंदेलखंड की मांग को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मुलाकात की तो उन्होंने कहा था कि आप जब जनप्रतिनिधियों को हराने की ताकत एकत्रित कर लेंगे, तो फिर ये जनप्रतिनिधि राज्य निर्माण के लिए चिल्लाना शुरू कर देंगे. इस बार हम लोगों ने अटल वाक्य को सत्यता प्रदान करने के लिए प्रण लिया है कि जिन्होंने हमें बरगलाकर के वोट ले लिया और वादाखिलाफी करके भाग गए, तो इस बार हम उन्हें हराने का काम करेंगे.

मतदाताओं को राम बंधन बांध भाजपा को वोट ना देने की लेंगे कसम: मोर्चा के अध्यक्ष भानु सहाय का कहना है कि रामराजा सरकार को साक्षी मानकर तीन साल के भीतर बुंदेलखंड राज्य बनवा देने का वादा करने वालों को राम का कौल चढ़ाकर राम बंधन बांधकर इन छलियों को सबक सिखाया जाएगा. बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा ने ओरछा में श्री राजाराम सरकार के चरणों में लाखों रामबंधन पुजवाकर मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में लाखों राम बंधन का प्रयोग किया जाएगा क्योंकि मोर्चा ने रामबंधन बांधने का काम यूपी विधानसभा चुनाव किया था, जिसका सकारात्मक परिणाम आया है. भाजपा की वादाखिलाफी को लेकर मई में 9 साल हो गए हैं. अभी तक इनके कान पर जूं तक नहीं रेंगी. ये 9 साल इन लोगों ने गवां दिए है. इस बार हम लोगों ने लाखों राम बंधन बनवाकर रामराजा सरकार के चरणों में पुजवाया है. हम मतदाताओं से निवेदन करेंगे कि तुम्हें राम का कोल (कसम) है, इस बार बुंदेलखंड राज्य और अपनी माटी का कर्ज अदा करने कि लिए इनको हरा दो, तुम्हें किसको वोट देना है, ये तुम जाने और अगर तुम्हारी उंगली किसी दूसरे दल के लिए वोट देने तैयार नहीं हो,तो नोटा का बटन दबा दो. जब तुम इनको हराओगे तो ये चेत जाएंगे, जब ये चेतेंगे तो बुंदेलखंड राज्य चिल्लाएंगे. 2024 का चुनाव हमें निर्णायक होगा, क्योंकि हाल ही में उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड में चुनाव में हारे और मध्यप्रदेश में हारेंगे, तो 2024 के चुनाव में इन्हें समझ आ जाएगा कि अगर बुंदेलखंड के लोगों से वादाखिलाफी करेंगे,तो हम चुनाव नहीं जीत पाएंगे.

फिर उठी बुंदेलखंड की मांग

सागर। जब भी मध्यप्रदेश या उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा चुनाव हो, हर बार पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग जोर पकडती है. चुनावों में हर राजनीतिक दल से मांग की जाती है कि वो बुंदेलखंड राज्य की मांग का समर्थन करें, लेकिन इस बार मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान बुंदेलखंड राज्य की मांग एक अलग अंदाज में जोर पकड़ रही है. पृथक बुंदेलखंड की मांग को लेकर बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा 15 जून से एक नया अभियान शुरू करने जा रहा है. इस अभियान के तहत रामबंधन बनवाया गया है और मोर्चा के सदस्य मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड की तमाम विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करेंगे. मतदाताओं को रामबंधन बांधकर मांग राम का कोल (कसम) दिलाएंगे कि वो भाजपा को वोट ना दें, क्योंकि 9 साल पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चुनाव के वक्त भाजपा के दिग्गज नेताओं और खुद प्रधानमंत्री ने तीन साल के भीतर बुंदेलखंड राज्य के गठन का वादा किया था, लेकिन 9 साल बाद भी वादा पूरा नहीं हआ है.

कितनी पुरानी है बुंदेलखंड राज्य की मांग: जहां तक बुंदेलखंड राज्य की मांग करें तो देश के आजाद होते ही इस मांग ने जोर पकड़ लिया था. 12 मार्च 1948 को क्षेत्र की देशी रियासतों का विलीनीकरण किया गया और भारत सरकार द्वारा लिखित सहमति पत्र में लिखा गया कि इस क्षेत्र के निवासियों का हित एक ऐसे राज्य की स्थापना से पूरा हो सकता है, जिसकी अपनी विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका हो. इस सहमति से संयुक्त राज्य विंध्य प्रदेश का निर्माण हुआ है. इसकी दो ईकाईयां बुंदेलखंड प्रदेश एवं बघेलखंड प्रदेश बनाई गयी है. बुंदेलखंड प्रदेश की राजधानी नौगांव बनायी गयी थी, जिसके मुख्यमंत्री स्वर्गीय कामता प्रसाद सक्सेना थे. 1953 में गठित प्रथम राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश पर वर्ष 1956 में बुंदेलखंड क्षेत्र को उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश राज्य में विभाजित कर दिया गया. बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भानु सहाय का कहना है कि 12 मार्च 1948 को बुंदेलखंड राज्य एक अलग राज्य के रूप में था, जिसके मुख्यमंत्री कामता प्रसाद सक्सेना थे और छतरपुर का नौगांव इसकी राजधानी हुआ करती थी. लेकिन 1956 में हम बुंदेलियों को आपस में बांटा और मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में बांट दिया गया. ये मांग तभी से शुरू हो गयी फिर 1970 में कुछ बडे़ लोगों के कारण मांग ने जोर पकड़ा, लेकिन जब शंकरलाल मल्होत्रा 1989 में आए और उन्होंने बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा बनाया. तो मप्र की उमा भारती, रामकृष्ण कुसमारिया, बृजेन्द्र सिंह राठौर, विठ्ठलभाई पटैल जैसे कई नेता जुड़कर इस आंदोलन को चलाते थे. हम लोग इनके पीछा रहा करते थे. धीरे-धीरे राजनीतिक उथल पुथल हुई, तो ये बडे़ नेता जो आगे हुआ करते थे, वो धीरे-धीरे अलग हो गए. विठ्ठलभाई पटेल शंकर लाल मल्होत्रा चले गए तो आंदोलन कमजोर पड़ गया, लेकिन हम लोग फिर सक्रिय और संगठित हुए और अब हम ऐसे मुकाम पर पहुंच गए हैं कि हम सामने वालों से टकराने के लिए तैयार हैं.

भाजपा ने की वादा खिलाफी: बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा अध्यक्ष भानु सहाय का कहना है कि 2014 में 3 साल के भीतर रामराजा सरकार और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को साक्षी मानकर बुंदेलखंड राज्य बनवा देने का वादा उमा भारती, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राजनाथ सिंह ने किया था. 3 साल की जगह 9 साल का समय गुजर गया, लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक कार्रवाई भी शुूरू नहीं की. इन सभी नेताओं ने हम बुंदेलियों को झूठे वादे के मायाजाल में फंसाकर वोट की फसल काटने का काम किया है. भानु सहाय बताते हैं कि हम सभी ने मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के सभी प्रतिनिधियों को 8 बार पत्र लिखकर आग्रह किया कि आप एक पत्र प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री को लिखकर बुंदेलखंड राज्य जल्द बनाए जाने की मांग कीजिए, लेकिन इन जनप्रतिनिधियों ने राज्य निर्माण की मांग को ठुकराते हुए पत्र ना लिखकर जनता को ये बता दिया कि राज्य निर्माण की बात मात्र वोट पाने के लिए करते हैं. अब ऐसे बहरूपियों को सबक सिखाने का समय आ गया है. राज्य निर्माण समर्थक सभी अन्य राजनीतिक एवं गैर राजनीतिक संस्थाओं के साथ बैठक कर रणनीति बनाई जाएगी कि इन बहरूपियों और वादाखिलाफ लोगों को आने वाले विधानसभा चुनाव में हराया जाए.

  1. बीजेपी के बागी विधायक नारायण त्रिपाठी ने की नई पार्टी के गठन की घोषणा, जानें बड़ी वजह...
  2. हमारा विंध्य प्रदेश हमें लौटा दें...मैहर विधायक ने पीएम मोदी के नाम जारी किया बयान

भाजपा को हराने अटल जी बने प्रेरणा: बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भानु सहाय कहते हैं कि इस बार हमारी प्रेरणा पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी बने हैं. एक बार हम लोगों ने पृथक बुंदेलखंड की मांग को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मुलाकात की तो उन्होंने कहा था कि आप जब जनप्रतिनिधियों को हराने की ताकत एकत्रित कर लेंगे, तो फिर ये जनप्रतिनिधि राज्य निर्माण के लिए चिल्लाना शुरू कर देंगे. इस बार हम लोगों ने अटल वाक्य को सत्यता प्रदान करने के लिए प्रण लिया है कि जिन्होंने हमें बरगलाकर के वोट ले लिया और वादाखिलाफी करके भाग गए, तो इस बार हम उन्हें हराने का काम करेंगे.

मतदाताओं को राम बंधन बांध भाजपा को वोट ना देने की लेंगे कसम: मोर्चा के अध्यक्ष भानु सहाय का कहना है कि रामराजा सरकार को साक्षी मानकर तीन साल के भीतर बुंदेलखंड राज्य बनवा देने का वादा करने वालों को राम का कौल चढ़ाकर राम बंधन बांधकर इन छलियों को सबक सिखाया जाएगा. बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा ने ओरछा में श्री राजाराम सरकार के चरणों में लाखों रामबंधन पुजवाकर मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में लाखों राम बंधन का प्रयोग किया जाएगा क्योंकि मोर्चा ने रामबंधन बांधने का काम यूपी विधानसभा चुनाव किया था, जिसका सकारात्मक परिणाम आया है. भाजपा की वादाखिलाफी को लेकर मई में 9 साल हो गए हैं. अभी तक इनके कान पर जूं तक नहीं रेंगी. ये 9 साल इन लोगों ने गवां दिए है. इस बार हम लोगों ने लाखों राम बंधन बनवाकर रामराजा सरकार के चरणों में पुजवाया है. हम मतदाताओं से निवेदन करेंगे कि तुम्हें राम का कोल (कसम) है, इस बार बुंदेलखंड राज्य और अपनी माटी का कर्ज अदा करने कि लिए इनको हरा दो, तुम्हें किसको वोट देना है, ये तुम जाने और अगर तुम्हारी उंगली किसी दूसरे दल के लिए वोट देने तैयार नहीं हो,तो नोटा का बटन दबा दो. जब तुम इनको हराओगे तो ये चेत जाएंगे, जब ये चेतेंगे तो बुंदेलखंड राज्य चिल्लाएंगे. 2024 का चुनाव हमें निर्णायक होगा, क्योंकि हाल ही में उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड में चुनाव में हारे और मध्यप्रदेश में हारेंगे, तो 2024 के चुनाव में इन्हें समझ आ जाएगा कि अगर बुंदेलखंड के लोगों से वादाखिलाफी करेंगे,तो हम चुनाव नहीं जीत पाएंगे.

Last Updated : May 19, 2023, 10:34 PM IST
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