सागर। मध्यप्रदेश की राजनीति में बुंदेलखंड के एक नेता अखंड प्रताप सिंह यादव को अगर मध्यप्रदेश का सबसे बडा दलबदलू कहा जाए, तो राजनीति का लेखा जोखा रखने वालों को अचरज नहीं होगा क्योकिं अखंड प्रताप सिंह यादव ने उम्र के 80 साल के पड़ाव में फिर दलबदल कर बता दिया है कि सियासत में अभी जोर बाकी है. खास बात ये है कि जनाब का जलवा ऐसा है कि उन्होंने मध्यप्रदेश में सक्रिय करीब सभी दलों में शामिल होकर देख लिया है और आने वाले 2023 चुनाव में वो आम आदमी पार्टी में नजर आएंगे. अखंड प्रताप सिंह यादव एक बार जनता पार्टी, एक बार कांग्रेस तो एक बार भाजपा से विधायक और मंत्री रहे. कांग्रेस और भाजपा सरकार में मंत्री भी बनाए गए. बसपा से भी चुनाव लड़ी, तो निर्दलीय भी किस्मत आजमायी.
खास बात ये है कि 2023 चुनाव के लिए उनकी बातचीत समाजवादी पार्टी से चल रही थी और मार्च के महीने में अखिलेश यादव से मुलाकात में बड़ी-बड़ी बातें भी हुईं लेकिन अखंड प्रताप सिंह यादव ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया. मौजूदा दौर की बात करें तो अखंड प्रताप सिंह का अपने पुराने ट्रैक रिकार्ड के चलते सियासत में जलवा भले बरकरार है,लेकिन वो अपना जनाधार खो चुके हैं.
सपा में जाने की थी अटकलें आप में हो गए शामिल: जहां तक अखंड प्रताप सिंह यादव की बात करें तो 28 मार्च 2023 को अखंड प्रताप सिंह यादव की समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के साथ सोशल मीडिया पर जमकर तस्वीरें वायरल हुई थी और सियासी गलियारों में चर्चा थी कि इस बार अखंड प्रताप सिंह यादव साइकिल की सवारी करते नजर आएंगे. लेकिन ना जाने क्यों अखंड प्रताप सिंह यादव को साइकिल पर बैठना रास नहीं आया और उन्होंने आम आदमी पार्टी की झाडू़ थाम ली. नगरीय निकाय चुनावों में सिंगरौली महापौर चुनाव जीतने के बाद विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी खाता खोलने की उम्मीद लगा रही है और अखंड प्रताप सिंह का ट्रैक रिकार्ड को देखकर आप की उम्मीदें जागी हैं.
कौन है अखंड प्रताप सिंह यादव: अखंड प्रताप सिंह यादव की बात करें तो उनका जन्म 4 अक्टूबर 1944 को टीकमगढ़ जिले के जेवर ग्राम में एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पन्नालाल यादव के यहां हुआ. उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है. अखंड प्रताप यादव की गिनती बुंदलेखंड में यादव समाज के कद्दावर और जनाधार वाले नेताओं में होती है. पिता के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होने के कारण बचपन से ही राजनीति में सक्रिय रहे और सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में प्रवेश किया और शुरूआती दौर में पलेरा जनपद पंचायत उपाध्यक्ष और अध्यक्ष चुने गए हैं.
पहली बार टीमकगढ़ जिले की जतारा विधानसभा से 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर छठवीं विधान सभा में विधायक चुने गए. इसके बाद 1993 में कांग्रेस के टिकट पर दसवीं विधान सभा के विधायक निर्वाचित हुए और पशुपालन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बने. 2003 में तीसरी बार भाजपा के टिकट पर विधायक बने और खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण और पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बने. 2008 में टीकमगढ़ विधानसभा से अखंड यादव भाजपा की तरफ से चुनाव हार गए और उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया फिर कांग्रेस छोडकर बसपा में शामिल हो गए. 2018 में फिर उन्होंने बीजेपी से नजदीकी बढ़ाई और पृथ्वीपुर में उनके जनाधार को देखते हुए उनके बेटे अभय अखंड प्रताप सिंह को 2018 के विधानसभा चुनाव में उतारा, लेकिन उनका बेटा चौथे नंबर रहा.
सत्ता के लोभ लालच में हो गई मानसिकता खराब: मप्र कांग्रेस के प्रवक्ता संदीप सबलोक का कहना है कि मुझे आज ये भी नहीं पता कि अखंड प्रताप सिंह यादव आज से पहले किस दल में थे. आप से ही पता चला कि वो आम आदमी पार्टी में आ गए. ये तो समझ आ गया कि वो आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता या नेता हो गए, इसके पहले वो किस दल में है क्योकिं अब तक का उनका इतिहास देखा जाए तो उन्होंने हर पांच साल में अपनी पार्टी और अपना चोला बदलने का काम किया है. जिस समय वो कांग्रेस पार्टी में थे उनकी एक कद्दावर नेता के रूप में छवि थी. वे कांग्रेस के विधायक रहे और सरकार में मंत्री रहे.
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि सत्ता का लोभ लालच व्यक्ति की मानसिकता को खराब कर देता है तो मुझे लगता है कि अखंड प्रताप सिंह ने कांग्रेस छोड़कर जो गलती की, उसके बाद उनका दलबदल का लगातार सिलसिला चला आ रहा है. वे आम आदमी पार्टी में चले गए और मुझे ऐसी जानकारी है कि वो आम आदमी पार्टी से भाजपा में गए हैं. तो ये समय ऐसा है कि भाजपा का जहाज डूब रहा है ऐसे लोग जो अवसरवादी लोग है, जो सत्ता की मलाई चाटने के आदि हो चुके हैं. ऐसे लोग भी भाजपा को छोड़कर भाग रहे हैं. इससे साफ जाहिर है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार कमलनाथ के नेतृत्व में बनने जा रही है. ये एक सुखद संकेत है.
भजन की उम्र में बुंदेलखंड को कर रहे बदनाम: भाजपा नेता विक्रम सोनी का कहना है कि सबसे पहले में ये कहना चाहूंगा कि अखंड प्रताप सिंह एक वरिष्ठ और बुजुर्ग नेता हैं और अब उन्हें श्री राम भजन में मन लगाना चाहिए. इस उम्र में दलबदल करना ठीक नहीं है. उनका दलबदल का इतिहास रहा है. एक बडे़ नेता के तौर पर कहीं ना कहीं बुंदेलखंड की भी छवि धूमिल कर रहे हैं.