नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज अधिवक्ता एम एल शर्मा द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून ( रासुका ) को लागू करने से रोकने के लिए सरकार को निर्देश देने और दिल्ली के उप राज्यपाल की अधिसूचना को रद्द करने की मांग की गई थी.
दरअसल, उपराज्यपाल अनिल बैजल ने एक अधिसूचना जारी कर राष्ट्रीय राजधानी की पुलिस को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत लोगों को बिना सुनवाई 12 महीने तक हिरासत में रखने के लिए अधिकृत किया था.
याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक कानून व्यवस्था की समस्या न हो तब तक वह रासुका के इस्तेमाल पर रोक लगाने का आदेश नहीं दे सकती है, लेकिन अगर कोई रासुका का दुरुपयोग करता है तो कोर्ट दखल कर सकता है.
सुनवाई के दौरान न्यायधीश अरुण मिश्रा ने कहा कि यह कानून और व्यवस्था का मुद्दा है. हम इसमें कैसे हस्तक्षेप कर सकते हैं? लेकिन अगर अधिकरियों द्वारा व्यक्तिगत मामलों पर NSA का दुरुपयोग किया जाता है, और ऐसे मामलों को हमारे संज्ञान में लाया जाता है. तो हम निश्चित रूप से इसमें दखल देंगे.
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बता दें कि याचिकाकर्ता एम एल शर्मा ने दावा किया था कि यह आदेश सीएए, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर दबाव बनाने के लिए लागू किया गया है.
उन्होंने पुलिस को रासुका लगाने के लिए अधिकृत करने के लिए जारी अधिसूचना को अंसवैधानिक और संविधान के अनुच्छेद 19(1) (भाषण देने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद-21 (जीवन का अधिकार) का उल्लंघन बताया.