नई दिल्ली : सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में बच्चों की हत्या के कोई सबूत नहीं मिले हैं. जांच एजेंसी ने शीर्ष न्यायालय को बताया कि दो कंकाल बरामद हुए थे लेकिन बाद में फॉरेंसिक जांच में पता चला कि ये कंकाल एक महिला और एक पुरूष के थे.
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने सीबीआई की स्थिति रिपोर्ट को मंजूर किया और जांच टीम से दो अधिकारियों को कार्यमुक्त करने की अनुमति दी.
जांच एजेंसी की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने कहा कि बच्चों के बलात्कार और यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच की गई और संबंधित अदालतों में आरोप पत्र दायर किए गए.
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वेणुगोपाल ने कहा कि जिन बच्चों की हत्या के आरोप लगे थे, वे बाद में जीवित पाए गए.
उन्होंने बताया कि सीबीआई ने बिहार में 17 आश्रय गृहों के मामलों की जांच की और इनमें से 13 में आरोप पत्र दायर किए, जबकि चार मामलों की शुरुआती जांच की गई और सबूत नहीं मिलने के कारण जांच बाद में बंद कर दी गई.
क्या है मामला
गौरतलब है कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में 40 नाबालिग बच्चियों और लड़कियों से दुष्कर्म होने की बात सामने आई थी. इस मामले में शेल्टर होम का संचालक बृजेश ठाकुर प्रमुख आरोपी है. इस मामले में ब्रजेश ठाकुर के अलावा शेल्टर होम के कर्मचारी और बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग के अधिकारी भी आरोपी हैं.
बिहार से दिल्ली ट्रांसफर हुआ थे केस
मामले के सुर्खियों में आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे बिहार से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया था, जिसके बाद साकेत कोर्ट में इसकी सुनवाई चल रही है. कोर्ट ने 20 मार्च 2018 को मामले में आरोप तय किए थे. आरोपियों में 8 महिलाएं और 12 पुरुष शामिल हैं. कोर्ट ने बृजेश ठाकुर समेत 21 आरोपियों के खिलाफ पॉक्सो, दुष्कर्म, आपराधिक साजिश और अन्य धाराओं के तहत आरोप तय किए थे.