मुंबई : देशभर में कोरोना वायरस का कहर जारी है. इस वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र है. इसी बीच बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर मुंबई के बांद्रा स्टेशन के बाहर पहुंचे. यह मजदूर घर भेजे जाने की मांग कर रहे थे. बांद्रा स्टेशन के बाहर मौजूद पुलिस ने मजदूरों को हटाने के लिए लाठीचार्ज किया. इस मामले पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य के लोगों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि सरकार इस महामारी से निबटने का हरसंभव प्रयास कर रही है. किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है.
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि यह सबकुछ ट्रेन चलने की अफवाह कारण हुआ है. उन्होंने कहा कि बांद्रा की घटना पर किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है. बाहरी मजदूरों के खाने-पीने के इंतजाम किया जा रहा है. इस महामारी से पूरी दुनिया परेशान है. उन्होंने कहा कि सभी त्योहारों के दौरान भी घर रहने पर मजबूर होना पड़ रहा है.
ठाकरे ने कहा कि किसानों की मदद की कोशिश की जारी रही है. कोरोना वायरस के खिलाफ गंभीरता से लड़ाई जारी है. उन्होंने कहा कि 20 अप्रैल तक सभी जिलों का मुआयना किया जाएगा. उन्होंने कहा कि 10 जिले कोरोना संक्रमण से अछूते हैं. इसे बनाए रखेंगे और कोशिश करेंगे कि सभी जिले जल्द से जल्द कोरोना मुक्त हों.
मुख्यमंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र सबसे ज्यादा कोरोना टेस्ट कर रहा है. मुंबई में 22 हजार सैंपल टेस्ट किए गए हैं. आज सुबह तक 2334 पॉजिटिव केस आए थे. लगभग 10 प्रतिशत लोग ठीक हो गए हैं.
उद्धव ठाकरे ने कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी ने संबोधित किया कि लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाया जाएगा. मैंने भी यही सलाह दी थी और इसके लिए पीएम मोदी का आभार व्यक्त करता हूं.'
इस मामले पर गृहमंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को फोन कर बात की और बांद्रा में जमा हुए मजदूरों को लेकर चिंता व्यक्त की.
गृहमंत्री ने कहा कि इस तरह की घटनाएं कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत को कमजोर करती हैं. ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सजग रहना जरूरी है. उन्होंने महाराष्ट्र सरकार को अपना पूरा समर्थन दिया.
वहीं इस मामले पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडवणीस ने राज्य सरकार को आड़े हाथ लिया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार मजदूरों की व्यवस्था करने में विफल रही है. हम पहले दिन से सरकार से कह रहे हैं कि जिन मजदूरों के पास राशन कार्ड नहीं है उनका इंतजाम करें. राज्य सरकार को जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि कैसे सभी को भोजन और राशन मिलेगा.
उन्होंने कहा कि बांद्रा जैसी जगह पर सरकार की नाक के नीचे इतने बड़े पैमाने पर मजदूर इकट्ठा होकर कहते हैं कि हमें या तो खाना दीजिए या तो वापिस जाने दीजिए. मैं सरकार से निवेदन करता हूं कि सबसे पहले ऐसे लोगों की सुध ले.
महाराष्ट्र के गृह मंत्री ने कहा, जिस तरह से लॉकडाउन बढ़ाया गया यह उसी का परिणाम है. लोग सोच रहे थे कि लॉकडाउन खत्म हो जाएगा और वह अपने घर जाएंगे लेकिन पीएम मोदी के संबोधन के बाद वह निराश हो गए और उनका गुस्सा फूटा तो सड़कों पर उतर आए.
इसके बाद आदित्य ठाकरे ने कहा कि केंद्र सरकार ने बांद्रा की घटना का संज्ञान लिया है और राज्य का सहयोग कर रही है. पीएम मोदी और गृहमंत्री का इसके लिए आभारी हूं क्योंकि वह स्थिति को समझ रहे हैं.
वहीं इस मामले पर मुंबई पुलिस के अधिकारी प्रणय अशोक ने कहा कि आज शाम चार बजे बांद्रा रेलवे स्टेशन के पास लगभग 1500 लोग इकट्ठा हुए. उनमें से ज्यादातर बाहर से आए प्रवासी मजदूर थे. वह लॉकडाउन बढ़ने से दुखी थे और अपने घरों को वापस जाना चाहते थे. उन्होंने प्रशासन के आगे अपनी मांग रखी.
प्रणय अशोक ने कहा कि स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने मौके पर जाकर उनसे बात की और उन्हें समझाने की कोशिश की. इस दौरान भीड़ का एक हिस्सा हिंसक हो गया, इसलिए उन्हें नियंत्रित करने के लिए हल्के बल का इस्तेमाल करना पड़ा. भीड़ को तितर-बितर किया गया. पुलिस तैनात कर दी गई है. स्थिति सामान्य है.
प्रवासी मजदूरों का कहना है कि उनके पास खाने के लिए राशन नहीं है और उन्हें घर भेजा जाए.
इससे पहले एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि करीब 1000 दिहाड़ी मजदूर अपराह्न करीब तीन बजे रेलवे स्टेशन के पास मुंबई उपनगरीय क्षेत्र बांद्रा (पश्चिम) बस डिपो पर एकत्रित हो गए और सड़क पर बैठ गए.
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में छह लाख लोग प्रवासी मजदूर रहते हैं. केंद्र सरकार के सामने इन लोगों को घरों तक पहुंचाने का मुद्दा उठाया गया. बांद्रा में इकट्ठा हुए लोग फिलहाल चले गए हैं, लेकिन यह स्थिति इसलिए हैं क्योंकि केंद्र सरकार ने बात नहीं सुनी.
उन्होंने कहा कि जिस दिन से ट्रेन सेवाएं बंद की गई थी. उसी दिन 24 घंटे चलाने के लिए अनुरोध किया गया था, जिससे प्रवासी श्रमिक अपने घर जा सकें.
दिहाड़ी मजदूर पास के पटेल नगरी इलाके में झुग्गी बस्तियों में किराए पर रहते हैं, वे परिवहन सुविधा की व्यवस्था की मांग कर रहे हैं ताकि वे अपने मूल नगरों और गांवों को वापस जा सकें. वे मूल रूप से पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के रहने वाले हैं.
एक मजदूर ने अपना नाम बताए बिना कहा कि एनजीओ और स्थानीय निवासी प्रवासी मजदूरों को भोजन मुहैया करा रहे हैं, लेकिन वह लॉकडाउन के दौरान अपने मूल राज्यों को वापस जाना चाहते हैं, क्योंकि बंद से उनकी आजीविका बुरी तरह से प्रभावित हुई है.
उसने कहा, 'अब, हम भोजन नहीं चाहते हैं, हम अपने मूल स्थान वापस जाना चाहते हैं, हम (लॉकडाउन बढ़ाने की) घोषणा से खुश नहीं हैं.'
पश्चिम बंगाल के मालदा के रहने वाले असदुल्लाह शेख ने कहा, 'हमने लॉकडाउन के पहले चरण में अपनी बचत पहले ही खर्च कर दी है. अब हमारे पास खाने को कुछ नहीं है, हम केवल अपने मूल स्थान वापस जाना चाहते हैं, सरकार को हमारे लिए व्यवस्था करनी चाहिए.'
एक अन्य मजदूर, अब्दुल कय्युन ने कहा, 'मैं पिछले कई वर्षों से मुंबई में हूं, लेकिन ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी. सरकार को हमें यहां से हमारे मूल स्थान पर भेजने के लिए ट्रेनें शुरू करनी चाहिए.'
देशभर में जारी कोरोना कहर के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशव्यापी लॉकडाउन की अवधि को तीन मई तक बढ़ाने का फैसला लिया है.
महाराष्ट्र में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 2,337 हो गई है और 160 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 229 लोगों की अस्पताल से छुट्टी मिल गई है. मुंबई से आज कोरोना वायरस से संक्रमण के 204 नए केस सामने आए हैं और 11 लोगों की मौत हो गई है. वहीं मुंबई में संक्रमितों की कुल संख्या 1753 हो गई है.
बता दें कि देश में कोरोना के संक्रमित की कुल संख्या 10,815 हो गई है. इनमें से 9,272 का इलाज चल रहा है. 1189 को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है और 353 मौतें हुई हैं.
प्रधानमंत्री मोदी का एलान- देश में तीन मई तक जारी रहेगा लॉकडाउन