मुंबई : पूरी दुनिया पिछले छह महीने से कोरोना महामारी से जूझ रही है. कई रोगियों को उपलब्ध दवा का उपयोग करके ठीक किया जा रहा है, कुछ रोगी दुर्भाग्यवश मर रहे हैं. इस बीमारी के कारण न केवल बुजुर्ग, बल्कि युवा भी मारे जा रहे हैं. अभी तक, चिकित्सा जगत में कोई ऐसा ठोस इलाज नहीं है, जो कोरोना को मिटा सके. दुनिया भर के वैज्ञानिक अलग-अलग दवाओं की अलग-अलग खुराक पर शोध कर रहे हैं और उनमें से कुछ का उपयोग रोगियों पर चल रहा है.
कई कंपनियां इस बीमारी के खिलाफ टीका बनाने के लिए दिन-रात काम कर रही हैं, लेकिन वर्तमान में सभी कंपनियां दावा कर रही हैं कि वे इस टीके को बनाने के अंतिम चरण में हैं.
देशभर में मरीजों और कोरोना से हो रही मौतों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. स्वास्थ्य प्रणाली इन सभी संकटों में मजबूती से जकड़ी हुई है और दैनिक आधार पर रोगियों के इलाज के लिए सफल प्रयास कर रही है.
ऐसी स्थिति में ईटीवी भारत की टीम ने यह पता लगाने की कोशिश की कि वास्तव में एक वैक्सीन क्या है? ईटीवी भारत ने हॉफकिन संस्था (haffkine institute) के डॉक्टर शशिकांत वैद्य और माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉक्टर संदीपन मुखर्जी और पवन कुमार से बातचीत की.
वैक्सीन मतलब क्या ?
वैक्सीन एक ऐसा जैविक पदार्थ है, जिसे यह बीमारी से लड़ने के लिए एंटीबॉडी मतलब बीमारी से लड़ने की शक्ति देता है.
वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया-
- वैक्सीन बनाने के पहले चरण में, जिस बीमार के लिए वैक्सीन बनानी है, उसके बारे में वास्तविक जानकारी जुटाई जाती है. इस पर विशेषज्ञ गहन चर्चा करते हैं.
- दूसरे चरण में वैक्सीन का परीक्षण किसी प्राणी में किया जाता है. अगर इसमें सफलता मिली, तो अगले चरण में वैक्सीन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है.
- अगले चरण में सरकारी संस्था एफडीए को वैक्सीन के बारे में विवरण (एक प्रकार की बुकलेट) दिया जाता है, जिसमें वैक्सीन की पूरी जानकारी होती है. इसके बाद अगर खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) से अनुमति मिली, तो इसका परीक्षण इंसानों पर किया जाता है, जिनमें अलग-अलग उम्र के स्त्री-पुरुष होते हैं.
- ये परीक्षण मर्यादित रुग्ण संख्या में किया जाता है और अगर वैक्सीन ने सकारात्मक नतीजे दिए, तो अगले चरण के परीक्षण में वैक्सीन को भेजा जाता है.
- यह चरण बहुत महत्वपूर्ण और आखिरी पड़ाव होता है. इस चरण में वैक्सीन की टेस्टिंग हजारों बीमार रोगियों पर की जाती है और अगर नतीजे अच्छे मिले, तो FDA की निगरानी में कंपनी वैक्सीन को बाजार में लाती है.
वैक्सीन पर बात करते हुए माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉक्टर संदीपन मुखर्जी ने बताया-
- वैक्सीन बनाते वक्त मानव शरीर पर इसका क्या परिणाम हो सकता है, यह ध्यान में रखना जरूरी है. शरीर पर वैक्सीन के क्या सकारात्मक परिणाम हो सकते हैं और नकारात्मक परिणाम को कैसे टाला जाए, यह प्राथमिकता होती है.
माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉक्टर पवन कुमार बताते हैं-
- वैक्सीन बनाने के बाद उस वैक्सीन का आणविक अध्ययन किया जाता है, साथ में किए गए परीक्षणों की भी स्टडी की जाती है.