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ऐतिहासिक : 'हेपाटेक्टोमी सर्जरी' से सात वर्षीय मासूम को मिली नई जिंदगी - हल्की सर्जरी से गुजरना

सात वर्षीय रोशनी जब अहमदाबाद के विन्जोल से अपने घर लौट रही थी, तो उसे एक ट्रैक्टर ने टक्कर मार दी. हादसा कुछ ऐसा था कि बच्ची के पेट में ट्रैक्टर का एक हिस्सा जा लगा, जिससे बच्ची बुरी तरह से घायल हो गई. जब बच्ची के पिता को पता चला, तो वह तुरंत रोशनी को एंबुलेंस से सिविल अस्पताल लेकर आए. इसके बाद जो हुआ वह एक इतिहास बनकर रह गया.

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सात वर्षीय मासूम को मिली नई जिंदगी
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Published : Oct 16, 2020, 9:30 AM IST

Updated : Oct 16, 2020, 1:55 PM IST

अहमदाबाद : सात वर्षीय मासूम रोशनी सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो गई. रोशनी को 30 सितंबर को जब सिविल अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में लाया गया, तो उसकी हालत बहुत नाजुक बनी हुई थी. उसके पेट से लगातार खून बह रहा था, जिसे तुरंत रोकना बहुत जरूरी था. सोनोग्राफी में पता लगा कि उसके लिवर में गंभीर चोटें आईं थी. इस वजह से उसके पेट से काफी खून बह रहा था. बच्ची की हालत को देखते हुए अस्पताल के सर्जरी विभाग ने हेपाटेक्टोमी सर्जरी करने का फैसला लिया.

गौरतलब है कि गंभीर रूप से घायल रोशनी को हल्की सर्जरी से गुजरना था, ताकि खून को रोका जा सके. सिविल सर्जरी अस्पताल के डॉक्टर मौलिक मेहता और उनकी पूरी टीम ने लिवर प्रत्यारोपण विशेषज्ञ के साथ मिलकर सिविल कॉम्प्लेक्स में किडनी हॉस्पिटल में रोशनी का इलाज करने लगे. वैभव सुतारिया के निर्देश के साथ सात वर्षीय बच्ची की सर्जरी कराई गई.

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सर्जरी के बाद सात वर्षीय रोशनी

क्या होती है हेपाटेक्टोमी (Hepatectomy) सर्जरी?
इस सर्जरी को हेपाटोक्टोमी नाम से जाना जाता है. इसमें मरीज के लिवर के एक हिस्से को काटा जाता है. यह उस समय बहुत जरूरी हो जाती है, जब लगातार खून बह रहा हो और शरीर के अन्य हिस्सों में संक्रमण फैलने की आशंका हो.

इस तरह की सर्जरी में मरीज के फेफड़ों के घावों को ठीक करने के लिए ट्यूब डाली जाती है.

सर्जरी करने वाले सहायक प्रोफेसर डॉक्टर मेहता बताते हैं कि सीटी स्कैन रिपोर्ट बताती है कि लिवर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त था. रक्त स्त्राव रोकने के बाद भी हालत में सुधार नहीं हो रहा था. बच्ची का हीमोग्लोबिन भी सात तक पहुंच गया था. इसके बाद उसके पेट में दर्द बढ़ने लगा. इन सभी कारणों को देखते हुए हमने हेपाटेक्टोमी सर्जरी करने का फैसला लिया.

हेपाटेक्टोमी से रोशनी से लिवर का एक हिस्सा काट दिया गया, जो कि स्वाभाविक रूप से दो से तीन महीनों में दोबारा बन जाएगा.

उन्होंने बताया कि आज सर्जरी को 12 दिन पूरे हो चुके हैं. रोशनी बिल्कुल ठीक है और घर लौट जाएगी.

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सर्जरी के बाद रोशनी के साथ डॉक्टर्स की टीम

डॉ मेहता ने कहा कि सिविल अस्पताल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि अस्पताल के सर्जरी विभाग ने सात साल की बच्ची का लिवर इम्प्यूट किया गया हो और वह पूरी तरह स्वस्थ होकर घर लौटी हो.

सिविल सुप्रीटेंडेंट डॉ जे पी मोदी ने कहा कि अहमदाबाद सिविल अस्पताल का सर्जरी विभाग लगातार बेहद जटिल सर्जरी कर रहा है. सिविल अस्पतालों में आपात स्थिति में इलाज के लिए पूरे गुजरात से मरीज ट्रामा सेंटर आते हैं. केवल सितंबर के महीने में, अहमदाबाद सिविल अस्पताल के सर्जरी विभाग द्वारा 325 आपातकालीन सर्जरी की गईं.

अहमदाबाद : सात वर्षीय मासूम रोशनी सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो गई. रोशनी को 30 सितंबर को जब सिविल अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में लाया गया, तो उसकी हालत बहुत नाजुक बनी हुई थी. उसके पेट से लगातार खून बह रहा था, जिसे तुरंत रोकना बहुत जरूरी था. सोनोग्राफी में पता लगा कि उसके लिवर में गंभीर चोटें आईं थी. इस वजह से उसके पेट से काफी खून बह रहा था. बच्ची की हालत को देखते हुए अस्पताल के सर्जरी विभाग ने हेपाटेक्टोमी सर्जरी करने का फैसला लिया.

गौरतलब है कि गंभीर रूप से घायल रोशनी को हल्की सर्जरी से गुजरना था, ताकि खून को रोका जा सके. सिविल सर्जरी अस्पताल के डॉक्टर मौलिक मेहता और उनकी पूरी टीम ने लिवर प्रत्यारोपण विशेषज्ञ के साथ मिलकर सिविल कॉम्प्लेक्स में किडनी हॉस्पिटल में रोशनी का इलाज करने लगे. वैभव सुतारिया के निर्देश के साथ सात वर्षीय बच्ची की सर्जरी कराई गई.

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सर्जरी के बाद सात वर्षीय रोशनी

क्या होती है हेपाटेक्टोमी (Hepatectomy) सर्जरी?
इस सर्जरी को हेपाटोक्टोमी नाम से जाना जाता है. इसमें मरीज के लिवर के एक हिस्से को काटा जाता है. यह उस समय बहुत जरूरी हो जाती है, जब लगातार खून बह रहा हो और शरीर के अन्य हिस्सों में संक्रमण फैलने की आशंका हो.

इस तरह की सर्जरी में मरीज के फेफड़ों के घावों को ठीक करने के लिए ट्यूब डाली जाती है.

सर्जरी करने वाले सहायक प्रोफेसर डॉक्टर मेहता बताते हैं कि सीटी स्कैन रिपोर्ट बताती है कि लिवर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त था. रक्त स्त्राव रोकने के बाद भी हालत में सुधार नहीं हो रहा था. बच्ची का हीमोग्लोबिन भी सात तक पहुंच गया था. इसके बाद उसके पेट में दर्द बढ़ने लगा. इन सभी कारणों को देखते हुए हमने हेपाटेक्टोमी सर्जरी करने का फैसला लिया.

हेपाटेक्टोमी से रोशनी से लिवर का एक हिस्सा काट दिया गया, जो कि स्वाभाविक रूप से दो से तीन महीनों में दोबारा बन जाएगा.

उन्होंने बताया कि आज सर्जरी को 12 दिन पूरे हो चुके हैं. रोशनी बिल्कुल ठीक है और घर लौट जाएगी.

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सर्जरी के बाद रोशनी के साथ डॉक्टर्स की टीम

डॉ मेहता ने कहा कि सिविल अस्पताल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि अस्पताल के सर्जरी विभाग ने सात साल की बच्ची का लिवर इम्प्यूट किया गया हो और वह पूरी तरह स्वस्थ होकर घर लौटी हो.

सिविल सुप्रीटेंडेंट डॉ जे पी मोदी ने कहा कि अहमदाबाद सिविल अस्पताल का सर्जरी विभाग लगातार बेहद जटिल सर्जरी कर रहा है. सिविल अस्पतालों में आपात स्थिति में इलाज के लिए पूरे गुजरात से मरीज ट्रामा सेंटर आते हैं. केवल सितंबर के महीने में, अहमदाबाद सिविल अस्पताल के सर्जरी विभाग द्वारा 325 आपातकालीन सर्जरी की गईं.

Last Updated : Oct 16, 2020, 1:55 PM IST
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