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राज्यसभा में CAB पर मोदी सरकार का समीकरण, जानें सीटों का अंकगणित

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पेश कर दिया है. इसे मोदी सरकार के लिए परीक्षा माना जा रहा है. दरअसल, नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में भी ये बिल राज्यसभा से पास नहीं कराया जा सका था. अब दूसरे कार्यकाल में जब CAB लोकसभा से पास हो चुका है, तब इसे राज्यसभा में भी पास करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती मानी जा रही है. पढ़ें पूरी खबर...

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राज्यसभा में नागरिकता विधेयक
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Published : Dec 11, 2019, 8:09 AM IST

Updated : Dec 11, 2019, 4:38 PM IST

नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) लोकसभा में आसानी से पारित हो गया. इसके पक्ष में 311 सांसदों ने मतदान किया. इसके बाद आज भाजपा के लिए असली परीक्षा है. अमित शाह ने राज्यसभा में विधेयक पेश कर दिया है.

राज्यसभा में बीजेपी के पास संख्याबल कम है, जिससे उसके सामने इस संवेदनशील नागरिकता संशोधन विधेयक को पारित कराना बड़ी चुनौती होगी.

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राज्यसभा में मतों की संख्या का खेल

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का हालांकि कहना है कि उच्च सदन में विधेयक के पारित कराने में विभिन्न पार्टियों के बीच संतुलन बैठाने के लिए शीर्ष नेता, गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में अपनी भूमिका निभाएंगे.

भाजपा के एक महासचिव व एक अन्य राज्यसभा सदस्य का कहना है कि पार्टियों के बीच केमिस्ट्री बनाना ही राज्यसभा में विधेयक को पारित कराने का मार्ग प्रशस्त करेगा.

राज्यसभा में कुल 245 सदस्य होते हैं. लेकिन अब कुछ खाली सीटों के साथ सदन की ताकत 238 है. भाजपा को विधेयक को पारित करने के लिए 120 वोटों की आवश्यकता है. उच्च सदन में भाजपा के 83 सांसद हैं और उसके राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के पास कुल 94 सांसद हैं.

भाजपा के 83 सांसदों के अलावा, राजग में जनता दल (युनाइटेड) के छह सांसद, शिरोमणि अकाली दल के तीन और लोक जनशक्ति पार्टी व भारतीय रिपब्लिकन पार्टी के एक-एक सांसद भी हैं.

राज्यसभा में 12 मनोनीत सांसद हैं. भाजपा को 11 से समर्थन का भरोसा है, जिसमें सुब्रमण्यम स्वामी, स्वपन दासगुप्ता, राकेश सिन्हा भी शामिल हैं.

पढ़ें : नागरिकता संशोधन बिल : लोकसभा से आधी रात को मिली मंजूरी, 311 सांसदों का समर्थन

अगर 11 और राज्यसभा सदस्यों को जोड़ लिया जाए तो राजग के सदस्यों की गिनती 105 तक पहुंच जाएगी, जहां उसे अभी भी 15 सांसदों के समर्थन की आवश्यकता होगी. यहीं पर भाजपा की 'केमिस्ट्री' काम आ सकती है, जो नागरिकता संशोधन विधेयक के लिए एक सुगम मार्ग बना सकती है, ताकि पार्टी 120 के आंकड़े तक पहुंच सके.

भाजपा को उम्मीद है कि उसे अन्नाद्रमुक के 11 सांसदों का समर्थन मिलेगा. इससे उसके पास 116 सांसदों का समर्थन हो जाएगा. इसके बाद चार और सांसदों का समर्थन ही चाहिए होगा.

सूत्रों का कहना है ऊपरी सदन में विधेयक को पारित कराने के लिए संसद द्वारा सत्र शुरू होने से पहले ही नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल से संपर्क किया गया था.

एक सूत्र ने कहा, 'नवीन बाबू ही नहीं, बल्कि वी. कार्तिकेयन पांडियन को भी इस काम के लिए संपर्क किया गया था.' पांडियन को पटनायक का खासमखास माना जाता है. भाजपा का मानना है कि उसे बीजद के सभी सातों सांसदों का समर्थन मिलेगा.

इसके बाद पार्टी के पास जरूरत से तीन अधिक मत हो जाएंगे. लेकिन, भाजपा नेतृत्व की कोशिश इससे भी ज्यादा की है. उसे उम्मीद है कि आंध्र की वाईएसआरसीपी के दो सांसदों का समर्थन भी उसे मिलेगा.

भाजपा के एक महासचिव ने कहा, 'बस देखते रहिए, कल (बुधवार को) विजय हमारी होगी.'

राजग सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में भी इस विधेयक को पेश किया था और इसे लोकसभा की मंजूरी भी मिल गई थी. लेकिन, यहा राज्यसभा में पास नहीं हो सका था.

इस बार सरकार के खिलाफ और अधिक विरोध प्रदर्शन होने के कारण गृह मंत्री अमित शाह व्यक्तिगत रूप से विधेयक पारित कराने के लिए रणनीति बनाने में जुटे हैं.

(आईएएनएस इनपुट)

नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) लोकसभा में आसानी से पारित हो गया. इसके पक्ष में 311 सांसदों ने मतदान किया. इसके बाद आज भाजपा के लिए असली परीक्षा है. अमित शाह ने राज्यसभा में विधेयक पेश कर दिया है.

राज्यसभा में बीजेपी के पास संख्याबल कम है, जिससे उसके सामने इस संवेदनशील नागरिकता संशोधन विधेयक को पारित कराना बड़ी चुनौती होगी.

citizenship-amendment-bill-2019-in-rajya-sabha
राज्यसभा में मतों की संख्या का खेल

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का हालांकि कहना है कि उच्च सदन में विधेयक के पारित कराने में विभिन्न पार्टियों के बीच संतुलन बैठाने के लिए शीर्ष नेता, गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में अपनी भूमिका निभाएंगे.

भाजपा के एक महासचिव व एक अन्य राज्यसभा सदस्य का कहना है कि पार्टियों के बीच केमिस्ट्री बनाना ही राज्यसभा में विधेयक को पारित कराने का मार्ग प्रशस्त करेगा.

राज्यसभा में कुल 245 सदस्य होते हैं. लेकिन अब कुछ खाली सीटों के साथ सदन की ताकत 238 है. भाजपा को विधेयक को पारित करने के लिए 120 वोटों की आवश्यकता है. उच्च सदन में भाजपा के 83 सांसद हैं और उसके राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के पास कुल 94 सांसद हैं.

भाजपा के 83 सांसदों के अलावा, राजग में जनता दल (युनाइटेड) के छह सांसद, शिरोमणि अकाली दल के तीन और लोक जनशक्ति पार्टी व भारतीय रिपब्लिकन पार्टी के एक-एक सांसद भी हैं.

राज्यसभा में 12 मनोनीत सांसद हैं. भाजपा को 11 से समर्थन का भरोसा है, जिसमें सुब्रमण्यम स्वामी, स्वपन दासगुप्ता, राकेश सिन्हा भी शामिल हैं.

पढ़ें : नागरिकता संशोधन बिल : लोकसभा से आधी रात को मिली मंजूरी, 311 सांसदों का समर्थन

अगर 11 और राज्यसभा सदस्यों को जोड़ लिया जाए तो राजग के सदस्यों की गिनती 105 तक पहुंच जाएगी, जहां उसे अभी भी 15 सांसदों के समर्थन की आवश्यकता होगी. यहीं पर भाजपा की 'केमिस्ट्री' काम आ सकती है, जो नागरिकता संशोधन विधेयक के लिए एक सुगम मार्ग बना सकती है, ताकि पार्टी 120 के आंकड़े तक पहुंच सके.

भाजपा को उम्मीद है कि उसे अन्नाद्रमुक के 11 सांसदों का समर्थन मिलेगा. इससे उसके पास 116 सांसदों का समर्थन हो जाएगा. इसके बाद चार और सांसदों का समर्थन ही चाहिए होगा.

सूत्रों का कहना है ऊपरी सदन में विधेयक को पारित कराने के लिए संसद द्वारा सत्र शुरू होने से पहले ही नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल से संपर्क किया गया था.

एक सूत्र ने कहा, 'नवीन बाबू ही नहीं, बल्कि वी. कार्तिकेयन पांडियन को भी इस काम के लिए संपर्क किया गया था.' पांडियन को पटनायक का खासमखास माना जाता है. भाजपा का मानना है कि उसे बीजद के सभी सातों सांसदों का समर्थन मिलेगा.

इसके बाद पार्टी के पास जरूरत से तीन अधिक मत हो जाएंगे. लेकिन, भाजपा नेतृत्व की कोशिश इससे भी ज्यादा की है. उसे उम्मीद है कि आंध्र की वाईएसआरसीपी के दो सांसदों का समर्थन भी उसे मिलेगा.

भाजपा के एक महासचिव ने कहा, 'बस देखते रहिए, कल (बुधवार को) विजय हमारी होगी.'

राजग सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में भी इस विधेयक को पेश किया था और इसे लोकसभा की मंजूरी भी मिल गई थी. लेकिन, यहा राज्यसभा में पास नहीं हो सका था.

इस बार सरकार के खिलाफ और अधिक विरोध प्रदर्शन होने के कारण गृह मंत्री अमित शाह व्यक्तिगत रूप से विधेयक पारित कराने के लिए रणनीति बनाने में जुटे हैं.

(आईएएनएस इनपुट)

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आज राज्यसभा में मोदी सरकार की परीक्षा, जानें क्या हैं समीकरण

summary

केंद्रीय गृह मंत्रालय आज राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल (CAB) पेश करेगा. इसे मोदी सरकार के लिए परीक्षा माना जा रहा है. नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में भी बिल राज्यसभा से पास नहीं कराया जा सका था. अब दूसरे कार्यकाल में जब CAB लोकसभा से पास हो चुका है, पूर्वोत्तर में भारी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. बिल के समक्ष चुनौतियों के बीच जानें राज्यसभा के समीकरण...



नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) लोकसभा में आसानी से पारित हो गया. इसके पक्ष में 311 सांसदों ने मतदान किया. इसके बाद आज भाजपा के लिए असली परीक्षा है. बिल राज्यसभा में दोपहर दो बजे पेश किया जाएगा.

राज्यसभा में बीजेपी के पास संख्याबल कम है, जिससे उसके सामने इस संवेदनशील नागरिकता संशोधन विधेयक को पारित कराना बड़ी चुनौती होगी.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का हालांकि कहना है कि उच्च सदन में विधेयक के पारित कराने में विभिन्न पार्टियों के बीच संतुलन बैठाने के लिए शीर्ष नेता, गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में अपनी भूमिका निभाएंगे.

भाजपा के एक महासचिव व एक अन्य राज्यसभा सदस्य का कहना है कि पार्टियों के बीच केमिस्ट्री बनाना ही राज्यसभा में विधेयक को पारित कराने का मार्ग प्रशस्त करेगा.

राज्यसभा में कुल 245 सदस्य होते हैं. लेकिन अब कुछ खाली सीटों के साथ सदन की ताकत 238 है. भाजपा को विधेयक को पारित करने के लिए 120 वोटों की आवश्यकता है. उच्च सदन में भाजपा के 83 सांसद हैं और उसके राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के पास कुल 94 सांसद हैं.

भाजपा के 83 सांसदों के अलावा, राजग में जनता दल (युनाइटेड) के छह सांसद, शिरोमणि अकाली दल के तीन और लोक जनशक्ति पार्टी व भारतीय रिपब्लिकन पार्टी के एक-एक सांसद भी हैं.

राज्यसभा में 12 मनोनीत सांसद हैं. भाजपा को 11 से समर्थन का भरोसा है, जिसमें सुब्रमण्यम स्वामी, स्वपन दासगुप्ता, राकेश सिन्हा भी शामिल हैं.

अगर 11 और राज्यसभा सदस्यों को जोड़ लिया जाए तो राजग के सदस्यों की गिनती 105 तक पहुंच जाएगी, जहां उसे अभी भी 15 सांसदों के समर्थन की आवश्यकता होगी. यहीं पर भाजपा की 'केमिस्ट्री' काम आ सकती है, जो नागरिकता संशोधन विधेयक के लिए एक सुगम मार्ग बना सकती है, ताकि पार्टी 120 के आंकड़े तक पहुंच सके.

भाजपा को उम्मीद है कि उसे अन्नाद्रमुक के 11 सांसदों का समर्थन मिलेगा. इससे उसके पास 116 सांसदों का समर्थन हो जाएगा. इसके बाद चार और सांसदों का समर्थन ही चाहिए होगा.

सूत्रों का कहना है ऊपरी सदन में विधेयक को पारित कराने के लिए संसद द्वारा सत्र शुरू होने से पहले ही नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल से संपर्क किया गया था.

एक सूत्र ने कहा, 'नवीन बाबू ही नहीं, बल्कि वी. कार्तिकेयन पांडियन को भी इस काम के लिए संपर्क किया गया था.' पांडियन को पटनायक का खासमखास माना जाता है. भाजपा का मानना है कि उसे बीजद के सभी सातों सांसदों का समर्थन मिलेगा.

इसके बाद पार्टी के पास जरूरत से तीन अधिक मत हो जाएंगे. लेकिन, भाजपा नेतृत्व की कोशिश इससे भी ज्यादा की है. उसे उम्मीद है कि आंध्र की वाईएसआरसीपी के दो सांसदों का समर्थन भी उसे मिलेगा.

भाजपा के एक महासचिव ने कहा, 'बस देखते रहिए, कल (बुधवार को) विजय हमारी होगी.'

राजग सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में भी इस विधेयक को पेश किया था और इसे लोकसभा की मंजूरी भी मिल गई थी. लेकिन, यहा राज्यसभा में पास नहीं हो सका था.

इस बार सरकार के खिलाफ और अधिक विरोध प्रदर्शन होने के कारण गृह मंत्री अमित शाह व्यक्तिगत रूप से विधेयक पारित कराने के लिए रणनीति बनाने में जुटे हैं.

(आईएएनएस इनपुट)


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Last Updated : Dec 11, 2019, 4:38 PM IST
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