भोपाल। बागेश्वर सरकार के नाम से मशहूर पंडित धीरेंद्र शास्त्री इन दिनों बहुत चर्चा में हैं. जब से नागपुर की एक संस्था ने पंडित धीरेंद्र शास्त्री के चमत्कारों को चुनौती दी है. छत्तीसगढ़ के रायपुर में कथा कर रहे पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने संस्था की चुनौती स्वीकार भी कर ली. लिहाजा अब विवाद को और हवा मिल गई है. बागेश्वर सरकार की चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है. जिसका बागेश्वर सरकार के समर्थक अब इसका विरोध जता रहे हैं. समर्थकों का कहना है कि पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने पठान फिल्म का विरोध जताया, इसलिए यह संस्था अब उनका विरोध कर रही है.
पीछे हटने वाले नहीं धीरेंद्र शास्त्री: एमपी का छतरपुर जिला इन दिनों खजुराहो के लिए लिए नहीं, बल्कि बागेश्वर धाम और कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री के नाम के कारण चर्चा में है. चर्चा भी पंडित धीरेंद्र शास्त्री की कथा नहीं, बल्कि उनके साथ जुड़े विवाद हैं. ताजा विवाद नागपुर में होने वाली कथा को लेकर है. कहा जा रहा है कि नागपुर महाराष्ट्र की एक संस्था की चुनौती से घबराकर पंडित धीरेंद्र शास्त्री अधूरी कथा छोड़कर भाग आए, लेकिन जब ईटीवी भारत ने पंडित धीरेंद्र शास्त्री के गांव में रहने वाले उनके साथियों से बात की तो एक नए तर्क के साथ जवाब मिले. उनके स्कूली साथी और बागेश्वर धाम के नाम से सोशल मीडिया चैनल चलाने वाले बृजेश चतुर्वेदी कहते हैं कि उनके पंडित धीरेंद्र शास्त्री पीछे हटने वालों में से नहीं है.
पठान के विरोध पर हो रहा विरोध: समर्थकों के अनुसार बागेश्वर धाम ने सनातन धर्म का मजाक उड़ाने वालों के खिलाफ अभियान चलाया हुआ था. हाल ही में जब शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण की मूवी पठान का बेशर्म रंग गाना आया तो उन्होंने कहा कि हमारे धर्म और धार्मिक प्रतीक चिन्ह का मजाक उड़ाने वाली मूवी को हमें नहीं देखना है. इस अपील के कुछ दिन बाद बाबा की कथा नागपुर महाराष्ट्र में आयोजित की गई. बाबा जब नागपुर पहुंचे तो वहां की एक संस्था ने जादू टोना विरोधी कानून के तहत कार्रवाई की मांग कर डाली और चुनौती दी कि अगर वे सबके बारे में जान लेते हैं तो अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति के सामने आएं. जीत गए तो 30 लाख रुपए दिए जाएंगे. आरोप है कि पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने चुनौती स्वीकार नहीं की और 13 जनवरी तक चलने वाली कथा को 11 जनवरी तक समाप्त करके वापस आ गए.
MP: बागेश्वर सरकार के बिगड़े बोल, 'हाथी चले बाजार, कुत्ते भौंके हजार'
शपथ कसम खाओ नहीं देखेंगे सनातन विरोधी फिल्म: बागेश्वर धाम भक्त जिस मूवी के विरोध में शपथ की बात कर रहे हैं. वह उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर में आयोजित कार्यक्रम में दिलाई गई थी. करीब एक महीने पहले ऐसा एक वीडियो वायरल हुआ था. इसके बाद महाराज का एक नया रूप लोगों के सामने आया था.
हम छतरपुर वाले हैं और गारी नहीं देते, तंज और ठिठोली की भाषा है ये नागपुर में चुनौती विवाद के मामले में नेशनल चैनल की एक टीवी एंकर ने जब ट्वीट किया तो भक्त उन पर भड़क गए. ट्वीट में बागेश्वर महाराज अपनी स्थानीय भाषा में बात करते दिखाई दे रहे हैं. इसमें कई शब्द ऐसे हैं, जिन्हें अश्लील माना जाता है. लेकिन बागेश्वर धाम के भक्तों ने ईटीवी को बताया कि यह सब स्थानीय भाषा का हिस्सा हैं, जो प्रेम और ठिठोली की भाषा है. यहां इसे गाली नहीं मानते हैं.
प्री-प्लान होता है सब: बागेश्वर धाम आश्रम से जुड़े लाेग बताते हैं कि महाराज का कोई भी कार्यक्रम अचानक न तो आयोजित होता है और न ही रोका जाता है. सब कुछ योजना का हिस्सा है. दरअसल कुछ साल पहले तक बाबा की आईटी टीम का काम उनके गांव के नौजवान और स्कूल के साथी देखते थे, लेकिन अब एक धार्मिक चैनल की टीम पूरा काम संभाल रही है. यह टीम पहले से ही शेड्यूल बनाकर रखती है. उसी के हिसाब से कार्यक्रम होते हैं. आश्रम का मैनेजमेंट एमबीएस पास युवक देखते हैं.