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असम नाव त्रासदी : पहले के हादसों से क्यों सबक नहीं ले रही सरकार ?

असम के जोरहाट जिले में ब्रह्मपुत्र नदी (Brahmaputra River) में नाव पलटने से कई लोग हताहत हुए. यह पहली बार नहीं है कि यहां पर ऐसे हादसे हुए हैं. लेकिन सरकार ने कोई सबक नहीं सीखा है. पढ़ें ईटीवी भारत असम डेस्क के प्रभारी अनूप शर्मा की रिपोर्ट.

Boat tragedy
Boat tragedy
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Published : Sep 9, 2021, 8:55 PM IST

हैदराबाद : ब्रह्मपुत्र नदी पर बुधवार दोपहर को हुई नाव दुर्घटना में एक की मौत हो गई और दो लापता हो गए, इसने न केवल असम सरकार के अंतर्देशीय जल परिवहन विभाग का पर्दाफाश किया है, बल्कि वोट हासिल करने के लिए सत्ता में बैठे दलों की राजनीतिक चालों को भी सामने लाया है.

नाव त्रासदी न केवल असम के एकमात्र द्वीप माजुली को राज्य की मुख्य भूमि से जोड़ने वाले एक बहुप्रचारित पुल की याद दिलाती है, जिसकी आधारशिला पिछले पांच वर्षों में दो बार रखी गई थी, बल्कि यह केंद्रित करती है कि राज्य में बाद की सरकारें किस तरह से पिछली दुर्घटनाओं से सबक लेने में विफल रही हैं.

माजुली को निमाटीघाट से जोड़ने वाला प्रस्तावित पुल 2016 में सत्ता में आई भाजपा के प्रमुख चुनावी वादों में से एक था. तत्कालीन केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भी प्रस्तावित 6.8 किलोमीटर लंबे पुल की आधारशिला रखी थी.

हालांकि इस परियोजना ने 2016 के चुनावों में भाजपा को जीताने में मुख्य भूमिका निभाई लेकिन इस परियोजना पर ध्यान नहीं दिया गया. 2021 में चुनाव के दौरान किसी ने इस परियोजना के बारे में बात तक नहीं की. फरवरी 2021 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पुल के लिए एक बार फिर भूमि पूजन शुरू किया, जो दशकों से माजुली के लोगों की मांग थी. 2021 के चुनावों से पहले, केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने इसका निर्माण कार्य यूपी स्टेट ब्रिज कॉर्पोरेशन लिमिटेड को सौंपा था. इसके लिए 927 करोड़ रुपये भी आवंटित किए गए थे. बावजूद इसके हाल ही में हुए नाव हादसे के बाद, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को माजुली के लोगों को आश्वस्त करना पड़ा कि आवश्यक प्रक्रिया चल रही है और नवंबर से पुल का निर्माण शुरू हो जाएगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि पुल को पूरा होने में चार साल लगेंगे और आश्वासन दिया कि निर्माण की प्रगति की समीक्षा के लिए एक मंत्री समूह (Group of Ministers) का गठन किया जाएगा.

सबक नहीं सीखा

बुधवार को हुई नाव त्रासदी ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया है कि राज्य सरकार 2012 और 2018 में राज्य में हुई कम से कम दो बड़ी नाव दुर्घटनाओं से सबक सीखने में विफल रही है. जबकि और हैं। 2012 में धुबरी जिले में ब्रह्मपुत्र नदी में हुए सबसे भीषण नाव त्रासदी में केवल 17 से अधिक शव बरामद हुए थे जबकि 70 से अधिक शव अभी भी लापता हैं. वहीं 2018 में ब्रह्मपुत्र नदी पर गुवाहाटी के पास हुई एक और बड़ी नाव दुर्घटना में तीन लोगों की मौत हो गई थी.

असम सरकार ने 2018 में नाव त्रासदी के बाद एक सख्त कानून भी बनाया था जिससे नदी परिवहन को प्रतिबंधित और विनियमित किया जा सके और राज्य में जहाजों पर आने-जाने वाले यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. हालांकि, अंतर्देशीय जल परिवहन विभाग द्वारा आज तक अधिनियम के किसी भी प्रावधान को लागू नहीं किया गया है.

पढ़ें :- असम नाव हादसा : 82 लोगों को बचाया गया, कई अब भी लापता, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

2018 की नाव त्रासदी के बाद असम में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने राज्य में मशीनीकृत नावों के चलने पर प्रतिबंध लगा दिया था और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी सिंगल इंजन फेरी को डबल इंजन फेरी में बदलने का फैसला किया था. फिर भी सिंगल इंजन मशीन बोट और फेरी अब तक चालू हैं.

सरकार ने जहाज में प्रत्येक यात्री के लिए कम से कम एक लाइफ जैकेट रखना अनिवार्य कर दिया था और कहा था कि प्रत्येक यात्री को जहाज पर चढ़ते समय लाइफ जैकेट पहनना अनिवार्य होगा. हालांकि हाल ही में हुई घटना में मशीन बोट में सवार यात्रियों में से किसी ने भी लाइफ जैकेट नहीं पहनी थी.

150 मिलियन यूएसजी कहां चला गया है?

बुधवार को नाव त्रासदी 150 मिलियन अमरीकी डालर के ऋण के बारे में भी याद दिलाती है, जिसे असम में अंतर्देशीय जल परिवहन बुनियादी ढांचे को पुनर्जीवित करने के लिए विश्व बैंक द्वारा स्वीकृत किया गया था. विश्व बैंक ने केंद्र सरकार, असम सरकार और विश्व बैंक के बीच त्रिपक्षीय समझौते के बाद बुनियादी ढांचे के उन्नयन के लिए 88 मिलियन अमरीकी डालर की पहली किस्त भी जारी की थी. समझौते पर 16 जनवरी, 2020 को हस्ताक्षर किए गए थे.

हैदराबाद : ब्रह्मपुत्र नदी पर बुधवार दोपहर को हुई नाव दुर्घटना में एक की मौत हो गई और दो लापता हो गए, इसने न केवल असम सरकार के अंतर्देशीय जल परिवहन विभाग का पर्दाफाश किया है, बल्कि वोट हासिल करने के लिए सत्ता में बैठे दलों की राजनीतिक चालों को भी सामने लाया है.

नाव त्रासदी न केवल असम के एकमात्र द्वीप माजुली को राज्य की मुख्य भूमि से जोड़ने वाले एक बहुप्रचारित पुल की याद दिलाती है, जिसकी आधारशिला पिछले पांच वर्षों में दो बार रखी गई थी, बल्कि यह केंद्रित करती है कि राज्य में बाद की सरकारें किस तरह से पिछली दुर्घटनाओं से सबक लेने में विफल रही हैं.

माजुली को निमाटीघाट से जोड़ने वाला प्रस्तावित पुल 2016 में सत्ता में आई भाजपा के प्रमुख चुनावी वादों में से एक था. तत्कालीन केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भी प्रस्तावित 6.8 किलोमीटर लंबे पुल की आधारशिला रखी थी.

हालांकि इस परियोजना ने 2016 के चुनावों में भाजपा को जीताने में मुख्य भूमिका निभाई लेकिन इस परियोजना पर ध्यान नहीं दिया गया. 2021 में चुनाव के दौरान किसी ने इस परियोजना के बारे में बात तक नहीं की. फरवरी 2021 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पुल के लिए एक बार फिर भूमि पूजन शुरू किया, जो दशकों से माजुली के लोगों की मांग थी. 2021 के चुनावों से पहले, केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने इसका निर्माण कार्य यूपी स्टेट ब्रिज कॉर्पोरेशन लिमिटेड को सौंपा था. इसके लिए 927 करोड़ रुपये भी आवंटित किए गए थे. बावजूद इसके हाल ही में हुए नाव हादसे के बाद, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को माजुली के लोगों को आश्वस्त करना पड़ा कि आवश्यक प्रक्रिया चल रही है और नवंबर से पुल का निर्माण शुरू हो जाएगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि पुल को पूरा होने में चार साल लगेंगे और आश्वासन दिया कि निर्माण की प्रगति की समीक्षा के लिए एक मंत्री समूह (Group of Ministers) का गठन किया जाएगा.

सबक नहीं सीखा

बुधवार को हुई नाव त्रासदी ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया है कि राज्य सरकार 2012 और 2018 में राज्य में हुई कम से कम दो बड़ी नाव दुर्घटनाओं से सबक सीखने में विफल रही है. जबकि और हैं। 2012 में धुबरी जिले में ब्रह्मपुत्र नदी में हुए सबसे भीषण नाव त्रासदी में केवल 17 से अधिक शव बरामद हुए थे जबकि 70 से अधिक शव अभी भी लापता हैं. वहीं 2018 में ब्रह्मपुत्र नदी पर गुवाहाटी के पास हुई एक और बड़ी नाव दुर्घटना में तीन लोगों की मौत हो गई थी.

असम सरकार ने 2018 में नाव त्रासदी के बाद एक सख्त कानून भी बनाया था जिससे नदी परिवहन को प्रतिबंधित और विनियमित किया जा सके और राज्य में जहाजों पर आने-जाने वाले यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. हालांकि, अंतर्देशीय जल परिवहन विभाग द्वारा आज तक अधिनियम के किसी भी प्रावधान को लागू नहीं किया गया है.

पढ़ें :- असम नाव हादसा : 82 लोगों को बचाया गया, कई अब भी लापता, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

2018 की नाव त्रासदी के बाद असम में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने राज्य में मशीनीकृत नावों के चलने पर प्रतिबंध लगा दिया था और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी सिंगल इंजन फेरी को डबल इंजन फेरी में बदलने का फैसला किया था. फिर भी सिंगल इंजन मशीन बोट और फेरी अब तक चालू हैं.

सरकार ने जहाज में प्रत्येक यात्री के लिए कम से कम एक लाइफ जैकेट रखना अनिवार्य कर दिया था और कहा था कि प्रत्येक यात्री को जहाज पर चढ़ते समय लाइफ जैकेट पहनना अनिवार्य होगा. हालांकि हाल ही में हुई घटना में मशीन बोट में सवार यात्रियों में से किसी ने भी लाइफ जैकेट नहीं पहनी थी.

150 मिलियन यूएसजी कहां चला गया है?

बुधवार को नाव त्रासदी 150 मिलियन अमरीकी डालर के ऋण के बारे में भी याद दिलाती है, जिसे असम में अंतर्देशीय जल परिवहन बुनियादी ढांचे को पुनर्जीवित करने के लिए विश्व बैंक द्वारा स्वीकृत किया गया था. विश्व बैंक ने केंद्र सरकार, असम सरकार और विश्व बैंक के बीच त्रिपक्षीय समझौते के बाद बुनियादी ढांचे के उन्नयन के लिए 88 मिलियन अमरीकी डालर की पहली किस्त भी जारी की थी. समझौते पर 16 जनवरी, 2020 को हस्ताक्षर किए गए थे.

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