नई दिल्ली : अफगानिस्तान-तालिबान संकट (Afghan Taliban Crisis) को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक बुलाई. सीसीएस की बैठक में पीएम मोदी के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ, सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, गृह मंत्री अमित शाह मौजूद रहे.
अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के नियंत्रण के बाद वहां पैदा हुई स्थिति के मद्देनजर सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को सुरक्षित वापस लाने व भारत से मदद की उम्मीद कर रहे अफगान नागरिकों को हरसंभव मदद देने के साथ ही वहां के इच्छुक अल्पसंख्यक सिखों व हिंदुओं को शरण देने का अधिकारियों को निर्देश दिया. इस बैठक में विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, अफगानिस्तान में भारत के राजदूत आर टंडन सहित कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे.
सरकारी सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने अधिकारियों को अफगानिस्तान से सभी भारतीय नागरिकों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने और अफगानिस्तान से भारत आने के इच्छुक सिख, हिंदू अल्पसंख्यकों को शरण देने के लिए कहा.
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने अधिकारियों को भारत से मदद की उम्मीद कर रहे अफगान नागरिकों को हर संभव सहायता प्रदान करने का भी निर्देश दिया.
इससे पहले अफगानिस्तान-तालिबान संकट (Afghan Taliban Crisis) को लेकर सूत्रों ने कहा कि भारत 'वेट एंड वॉच' की पॉलिसी पर काम करेगा. सूत्रों ने यह भी कहा कि भारत यह देखेगा कि अन्य लोकतंत्र तालिबान शासन पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं. सूत्रों ने यह भी बताया कि कश्मीर में सुरक्षा चौकसी बढ़ाई जाएगी लेकिन चीजें नियंत्रण में हैं. सूत्रों के मुताबिक अफगानिस्तान में पाकिस्तान स्थित समूहों के पास स्थिति का उपयोग करने की क्षमता बहुत कम है.
इसी बीच एएनआई ने सूत्रों के अनुसार बताया है कि अफगानिस्तान-तालिबान से जुड़ी स्थिति को लेकर पीएम मोदी लगातार अधिकारियों के संपर्क में हैं. सूत्रों के मुताबिक पीएम देर रात तक स्थिति का जायजा ले रहे थे.
सूत्रों ने बताया कि काबुल से भारत लाए जा रहे लोगों के साथ जब फ्लाइट ने उड़ान भरी तो उन्हें अपडेट किया गया. पीएम ने निर्देश दिए कि जामनगर लौटने वाले सभी लोगों के लिए भोजन सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था की जाए.
समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि इस बात की सुरक्षा चिंताएं हैं कि अफगानिस्तान इस्लामिक आतंकवाद का पहला केंद्र बन सकता है जिसके पास एक देश है, उनके पास उन सभी हथियारों तक पहुंच है जो अमेरिकियों ने आपूर्ति की है और 3 लाख से अधिक अफगान राष्ट्रीय सेना के जवानों के हथियार भी हैं.
सूत्रों के मुताबिक लश्कर-ए-तैयबा और लश्कर-ए-झांगवी जैसे पाकिस्तान स्थित समूहों की अफगानिस्तान में कुछ मौजूदगी है. उन्होंने तालिबान के साथ काबुल के कुछ गांवों और कुछ हिस्सों में चेक पोस्ट बनाए हैं.
सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई तालिबान को प्रभावित करने की कोशिश करेगी. हालांकि, इसका बहुत सीमित प्रभाव होगा क्योंकि तालिबान की ताकत बढ़ी है और तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता हासिल कर ली है.
सूत्रों के मुताबिक ISI केवल कमजोर तालिबान को प्रभावित कर सकता है, लेकिन वर्तमान स्थिति में इसकी संभावना कम ही दिखती है.
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बता दें कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर चले जाने के बाद रविवार को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया. इसके बाद से वहां अफरा-तफरी का माहौल है.
इसके बाद काबुल में भारतीय राजदूत एवं दूतावास के कर्मियों समेत 120 लोगों को लेकर भारतीय वायुसेना का एक विमान मंगलवार को अफगानिस्तान से भारत पहुंचा.
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत सभी भारतीयों की अफगानिस्तान से सकुशल वापसी को लेकर प्रतिबद्ध है और काबुल हवाईअड्डे से वाणिज्यिक उड़ानों की बहाली होते ही वहां फंसे अन्य भारतीयों को स्वदेश लाने का प्रबंध किया जाएगा.
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काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान ने लचीला रुख अपनाते हुए पूरे अफगानिस्तान में 'आम माफी' की घोषणा की और महिलाओं से उसकी सरकार में शामिल होने का आह्वान किया. इसके साथ ही तालिबान ने लोगों की आशंका दूर करने की कोशिश है, जो एक दिन पहले उसके शासन से बचने के लिए काबुल छोड़कर भागने की कोशिश करते दिखे थे और जिसकी वजह से हवाई अड्डे पर अफरा-तफरी का माहौल पैदा होने के बाद कई लोग मारे गए थे.