नई दिल्ली: केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान और अन्य उपयुक्त निर्दिष्ट क्षेत्रों में चीतों की निगरानी के लिए नौ सदस्यीय कार्यबल का गठन किया है. मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि यह कार्य बल चीतों की प्रगति की समीक्षा करेगा और उनके अनुकूलन एवं स्वास्थ्य की स्थिति की निगरानी करेगा. साथ ही यह पर्यटन संबंधी बुनियादी ढांचे के विकास पर सुझाव और सलाह भी देगा. पिछले महीने अपने मासिक रेडियो प्रसारण 'मन की बात' में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कार्यबल तय करेगा कि लोग राष्ट्रीय उद्यान में चीतों को कब देख सकते हैं.
कार्यबल के सदस्यों में मध्य प्रदेश के प्रमुख सचिव (वन), मध्य प्रदेश के प्रमुख सचिव (पर्यटन), मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख, मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) और मुख्य वन्यजीव वार्डन, मध्य प्रदेश के सेवानिवृत्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) और मुख्य वन्यजीव वार्डन आलोक कुमार, राजधानी दिल्ली स्थित राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के महानिरीक्षक डॉ. अमित मलिक, देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान की वैज्ञानिक डॉ. विष्णु प्रिया, मध्य प्रदेश के नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ (एनबीडब्ल्यूएल) के सदस्य अभिलाष खांडेकर और अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (एपीसीसीएफ) के सुभरंजन सेन शामिल हैं.
पर्यावरण मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) 'चीता कार्यबल' के कामकाज को सुविधाजनक बनाएगा और सभी आवश्यक सहायता प्रदान करेगा. यह कार्यबल दो साल की अवधि के लिए गठित किया गया है और एक उपसमिति नियुक्त कर सकता है, जो उनके द्वारा तय समय पर उन क्षेत्रों का नियमित रूप से दौरा करेगी जिनमें इन चीतों को छोड़ा गया है. मंत्रालय ने कहा कि चीतों को यहां ला कर छोड़ा जाना मूल चीता आवासों और उनकी जैव विविधता के संरक्षण के लिए तैयार एक मॉडल का हिस्सा है और इससे जैव विविधता के क्षरण और तेजी से नुकसान को रोकने में मदद मिलेगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर को अपने जन्मदिन के अवसर पर भारत से विलुप्त हो चुके जंगली चीतों को कुनो नेशनल पार्क में छोड़ा. नामीबिया से लाए गए इन चीतों को प्रोजेक्ट चीता के तहत भारत में बसाने का प्रयास हो रहा है. इन आठ चीतों में से पांच मादा और तीन नर हैं.
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