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महिलाओं के हाथ में नोआमुंडी खदान की कमान, टाटा स्टील की पहल

महिलाओं के हाथ में नोआमुंडी खदान की कमान होने जा रही है. टाटा स्टील की पहल पर नए साल से इसकी शुरूआत हो जाएगी. इसके लिए 22 महिलाओं का चयन भी हो गया है.

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Published : Nov 30, 2021, 4:32 PM IST

Women will run Noamundi mines
Women will run Noamundi mines

रांची: झारखंड में पश्चिम सिंहभूम में महिलाओं के हाथ में नोआमुंडी खदान की कमान दी जा रही है. टाटा स्टील की पहल पर नए साल से इसकी शुरूआत हो जाएगी. झारखंड में लौह अयस्क खदान की कमान पूरी तरह महिलाओं के हाथ में होगी. फावड़ा से लेकर ड्रिलिंग तक और डंपर चलाने से लेकर डोजर-शॉवेल जैसी हेवी मशीनों का संचालन कुशल महिला कामगारों के हाथों में होगा.

ये भी पढ़ें- टाटा स्टील विवाद: स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को मिला वामदलों का साथ, आरजेडी ने सरकार पर उठाए सवाल

टाटा स्टील की पहल

टाटा स्टील की पहल से ये संभव हो रहा है. नये साल यानी 2022 में पश्चिम सिंहभूम जिले की नोआमुंडी आयरन ओर माइन्स को पूरी तरह महिलाओं के हाथ में सौंपने की तैयारी पूरी कर ली गयी है. ऐसा प्रयोग देश में पहली बार हो रहा है. टाटा स्टील के आयरन ओर एंड क्वेरीज डिविजन के महाप्रबंधक एके भटनागर ने बताया कि Noamundi mines में सभी शिफ्टों के लिए 30 सदस्यों वाली महिलाओं की टीम की तैनाती की जा रही है. खदान को स्वतंत्र रूप से महिलाओं के हाथों संचालित करने का यह टास्क कंपनी ने महिला सशक्तीकरण की परियोजना तेजस्विनी-2.0 के तहत लिया था और अब इसे सफलतापूर्वक लागू करने की तैयारियां पूरी कर ली गयी है.

टाटा स्टील देश की सबसे बड़ी स्टील उत्पादक कंपनी है. क्रूड स्टील के निर्माण में कोयला के अलावा लौह अयस्क कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल होता है. इसके लिए टाटा स्टील के पास अपनी माइंस है, जहां से हर दिन उत्पादन होता है. टाटा स्टील की Noamundi mines की कमान महिलाओं के हाथ में सौंपी जा रही है, उसे फाइव स्टार रेटिंग मिली है.

महिलाएं नोआमुंडी खदान चलाएंगी

बताया गया कि इस आयरन ओर माइन्स में बतौर ऑपरेटर तैनात की जानेवाली जिन 22 महिलाओं का चुनाव किया गया, उनके लिए लिखित परीक्षा और साक्षात्कार का आयोजन किया गया था. लिखित परीक्षा और साक्षात्कार में कुल 350 महिलाएं शामिल हुई थीं. ये सभी न्यूनतम मैट्रिक पास हैं. इनमें से कई आदिवासी परिवारों से आती हैं. सबसे दिलचस्प बात यह है कि चुनी गयी अधिकांश ऑपरेटरों में से किसी ने कभी दोपहिया गाड़ी तक नहीं चलायी थी, लेकिन अब ट्रेनिंग पूरी होने के बाद वे डोजर, डंपर सहित सभी तरह की हेवी मशीनें चला रही हैं.

टाटा स्टील के अधिकारियों के अनुसार इन सभी महिला ऑपरेटरों को खनन कार्य में शामिल करने से पहले उनके माता-पिता से अंडरटेकिंग ली गयी है. अकुशल महिला श्रमिकों को तकनीकी प्रशिक्षण देने के बाद खदानों में सबसे बड़ी जिम्मेदारी वाले कार्यों के लिए तैयार किया गया है. महिलाएं सुरक्षित रूप से काम कर सकें, इसके लिए खान सुरक्षा महानिदेशालय के निर्धारित सभी मानदंडों को पूरा किया गया है.

कंपनी ने खनन, विद्युत, यांत्रिक और खनिज प्रसंस्करण इंजीनियर समेत अलग-अलग सेक्शन में 10 महिला अधिकारियों की भी भर्ती की है. इनके लिए सैनिटरी वेंडिग मशीन, महिलाओं के लिए कैंटीन, रेस्ट रूम, एक शिफ्ट में कम से कम तीन के समूह में महिलाओं की तैनाती, महिला सुरक्षा गार्ड, ट्रांसपोटिर्ंग फैसिलिटी सहित तमाम प्रबंध किये गये हैं. जीपीएस और सीसीटीवी के जरिए निगरानी का सिस्टम भी लागू किया गया है. बताया गया कि कंपनी का लक्ष्य है कि वर्ष 2025 तक टाटा की वेस्ट बोकारो यूनिट के कार्यबल में 20 फीसद महिला अधिकारियों को शामिल किया जाए. कंपनी के एचआर ने इस पहल को वूमेन एट माइंस नाम दिया है.

आईएएनएस

रांची: झारखंड में पश्चिम सिंहभूम में महिलाओं के हाथ में नोआमुंडी खदान की कमान दी जा रही है. टाटा स्टील की पहल पर नए साल से इसकी शुरूआत हो जाएगी. झारखंड में लौह अयस्क खदान की कमान पूरी तरह महिलाओं के हाथ में होगी. फावड़ा से लेकर ड्रिलिंग तक और डंपर चलाने से लेकर डोजर-शॉवेल जैसी हेवी मशीनों का संचालन कुशल महिला कामगारों के हाथों में होगा.

ये भी पढ़ें- टाटा स्टील विवाद: स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को मिला वामदलों का साथ, आरजेडी ने सरकार पर उठाए सवाल

टाटा स्टील की पहल

टाटा स्टील की पहल से ये संभव हो रहा है. नये साल यानी 2022 में पश्चिम सिंहभूम जिले की नोआमुंडी आयरन ओर माइन्स को पूरी तरह महिलाओं के हाथ में सौंपने की तैयारी पूरी कर ली गयी है. ऐसा प्रयोग देश में पहली बार हो रहा है. टाटा स्टील के आयरन ओर एंड क्वेरीज डिविजन के महाप्रबंधक एके भटनागर ने बताया कि Noamundi mines में सभी शिफ्टों के लिए 30 सदस्यों वाली महिलाओं की टीम की तैनाती की जा रही है. खदान को स्वतंत्र रूप से महिलाओं के हाथों संचालित करने का यह टास्क कंपनी ने महिला सशक्तीकरण की परियोजना तेजस्विनी-2.0 के तहत लिया था और अब इसे सफलतापूर्वक लागू करने की तैयारियां पूरी कर ली गयी है.

टाटा स्टील देश की सबसे बड़ी स्टील उत्पादक कंपनी है. क्रूड स्टील के निर्माण में कोयला के अलावा लौह अयस्क कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल होता है. इसके लिए टाटा स्टील के पास अपनी माइंस है, जहां से हर दिन उत्पादन होता है. टाटा स्टील की Noamundi mines की कमान महिलाओं के हाथ में सौंपी जा रही है, उसे फाइव स्टार रेटिंग मिली है.

महिलाएं नोआमुंडी खदान चलाएंगी

बताया गया कि इस आयरन ओर माइन्स में बतौर ऑपरेटर तैनात की जानेवाली जिन 22 महिलाओं का चुनाव किया गया, उनके लिए लिखित परीक्षा और साक्षात्कार का आयोजन किया गया था. लिखित परीक्षा और साक्षात्कार में कुल 350 महिलाएं शामिल हुई थीं. ये सभी न्यूनतम मैट्रिक पास हैं. इनमें से कई आदिवासी परिवारों से आती हैं. सबसे दिलचस्प बात यह है कि चुनी गयी अधिकांश ऑपरेटरों में से किसी ने कभी दोपहिया गाड़ी तक नहीं चलायी थी, लेकिन अब ट्रेनिंग पूरी होने के बाद वे डोजर, डंपर सहित सभी तरह की हेवी मशीनें चला रही हैं.

टाटा स्टील के अधिकारियों के अनुसार इन सभी महिला ऑपरेटरों को खनन कार्य में शामिल करने से पहले उनके माता-पिता से अंडरटेकिंग ली गयी है. अकुशल महिला श्रमिकों को तकनीकी प्रशिक्षण देने के बाद खदानों में सबसे बड़ी जिम्मेदारी वाले कार्यों के लिए तैयार किया गया है. महिलाएं सुरक्षित रूप से काम कर सकें, इसके लिए खान सुरक्षा महानिदेशालय के निर्धारित सभी मानदंडों को पूरा किया गया है.

कंपनी ने खनन, विद्युत, यांत्रिक और खनिज प्रसंस्करण इंजीनियर समेत अलग-अलग सेक्शन में 10 महिला अधिकारियों की भी भर्ती की है. इनके लिए सैनिटरी वेंडिग मशीन, महिलाओं के लिए कैंटीन, रेस्ट रूम, एक शिफ्ट में कम से कम तीन के समूह में महिलाओं की तैनाती, महिला सुरक्षा गार्ड, ट्रांसपोटिर्ंग फैसिलिटी सहित तमाम प्रबंध किये गये हैं. जीपीएस और सीसीटीवी के जरिए निगरानी का सिस्टम भी लागू किया गया है. बताया गया कि कंपनी का लक्ष्य है कि वर्ष 2025 तक टाटा की वेस्ट बोकारो यूनिट के कार्यबल में 20 फीसद महिला अधिकारियों को शामिल किया जाए. कंपनी के एचआर ने इस पहल को वूमेन एट माइंस नाम दिया है.

आईएएनएस

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