चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिला अंतर्गत जल संसाधन विभाग की ओर से मझगांव और हाटगम्हरीया प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों गांव को जोड़ते हुए क्यु कंस्ट्रक्शन घाटशिला की ओर से सिंचाई नहर का निर्माण कराया जा रहा है. यास चक्रवात के कारण हुई बारिश में नहर की गुणवत्ता की पोल खुल गई. जल संसाधन विभाग की ओर से लगभग 16 किलोमीटर पक्की नहर के लिए 17 करोड़ 60 लाख रुपए की लागत से इसका निर्माण हुआ था.
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इस नहर के लिए क्षेत्र के हजारों किसान लगभग 20 वर्षों से सरकार से मांग करते रहे है लेकिन क्षेत्र के किसानों का दुर्भाग्य रहा कि नहर निर्माण में सिर्फ ठेकेदारी की जा रही है. रविवार को क्षेत्र के किसानों की एक आवश्यक बैठक की गई. इसमें किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मजगांव जिला परिषद सदस्य के नाम आवेदन सौंपकर सरकार से कहा गया कि नहर निर्माण के संवेदक की ओर से घटिया निर्माण करवाया जा रहा है. एक ही बार में नहर की गुणवत्ता का पोल खुल गई. लगभग हर जगह नहर के निर्माण में दरार आ गई हैं और सैकड़ों जगह नहर टूट गई है.
इतना ही नहीं ढलाई लगभग जगह मात्र 1 इंच ही की गई है. निर्माण के पहले से ही क्षेत्र के किसानों ने घटिया निर्माण की शिकायत संबंधित क्षेत्र के जेई सहित अन्य पदाधिकारियों से कर चुके थे, लेकिन किसी पदाधिकारी ने किसानों की बात को संज्ञान में नहीं लिया. इसके कारण आज गुड़गांव के सादोमसाई तक 2.5 किमी नहर जर्जर अवस्था में है.
नहर का दोबारा निर्माण करवाएं
किसानों की मांग है कि विभाग फिर से पूरी तरह जांच बैठाकर करोड़ों रुपए की लागत से बन रही सिंचाई नहर का दोबारा निर्माण करवाएं, अगर विभाग इस पर संज्ञान नहीं लेता है तो संबंधित क्षेत्र के सभी किसान सड़क पर उतरकर सरकार के विरोध में धरना प्रदर्शन करने को विवश हो जाएंगे.
मजगांव प्रखंड क्षेत्र के अंतर्गत गुडगांव, सोदोमसाई, गाडासाई, खैरपाल, बारुसाई, जुडीपादा और हॉटगम्हरिया प्रखंड अंतर्गत कुसमुंडा, तिरिलपी, कोटाचौरा, आदि कई गांव के किसान इस योजना से लाभांवित होते हैं.
जल संसाधन विभाग एसडीओ दुर्गाचरण मारडी ने कहा कि भारी बारिश के कारण कुछ जगहों पर दरार आईं हैं और जिन जगहों पर खराब हुई है वहां जगहों को दोबारा तोड़कर बनवाया जाएगा. कार्य आरंभ है और कंपनी की ओर से 3 वर्षों तक देखरेख की जाएगी.
मझगांव जिप सदस्य राजेश पिंगुवा ने कहा कि किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने आवेदन सौंपकर खराब गुणवत्ता की शिकायत की है. कार्य का निरीक्षण कर जल संसाधन विभाग को अवगत करवाया जाएगा.