चाईबासा: शहर के असैनिक शल्य चिकित्सक कार्यालय प्रांगण में झारखंड राज्य आउटसोर्सिंग कर्मचारी संघ के आह्वान पर स्वास्थ्य विभाग के आउटसोर्सिंग कर्मी 10 सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरना पर बैठ गए हैं.
कोविड-19 महामारी में आउटसोर्सिंग कर्मी ने किया काम
संघ के अध्यक्ष अरविंद लोहार ने कहा कि प्रधान सचिव स्वास्थ्य, चिकित्सा, शिक्षा और परिवार कल्याण की ओर से आउटसोर्सिंग कर्मियों के छंटनी के लिए पत्र निर्गत किया जाना तानशाही का प्रतीक है. पूर्ववर्ती राज्य सरकार और वर्तमान राज्य सरकार दोनों ने झारखंड के शिक्षित बेरोजगारों की जिंदगी के साथ बहुत बड़ा मजाक किया है. स्वास्थ्य विभाग की आउटसोर्सिंग कर्मियों को ठेकेदार के हाथों मे गिरवी रख दिया गया है. कोविड-19 महामारी में आउटसोर्सिंग कर्मी जान जोखिम में डालकर दिन रात सेवा कार्य में मौजूद रहे, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव आउटसोर्सिंग कर्मियों को सेवा से हटाने में आगे दिख रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य में हेमंत सोरेन जो वादा कर सरकार में आए थे, उसके विपरीत कार्य राज्य में बैठे पदाधिकारी कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी 10 सूत्री मांगे जायज है. इस पर सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए.
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स्वास्थ्य विभाग में रिक्त पदों पर नियुक्ति
झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के राज्य उपाध्यक्ष सदानंज होता ने कहा कि महासंघ आंदोलन और जायज मांगों का समर्थन करता है. राज्य सरकार में भ्रष्ट पदाधिकारी और ठेकेदार पर कार्रवाई करनी चाहिए. स्वास्थ्य विभाग में रिक्त पदों पर आउटसोर्सिंग कर्मियों को नियुक्ति किया जाना चाहिए. पदाधिकारी और ठेकेदार मिलकर आउटसोर्सिंग कर्मियों को आधा मानदेय देकर कार्य करा रहे हैं, जो श्रम कानून का उल्लंघन है.
धरना में शामिल लोग
धरना में मुख्य रुप से जतरू कारवा, विमलेश कुमार, सोमा संवैया, पीलू कारवा, नजमुस साकिव, सुशेन महतो, शिवा बानरा, फूल कुमारी बेहरा शशांक प्रधान घनश्याम महतो संतोष गोप, उमा कारवा, शांति कारवा, राजू केशरी, विद्याधर नायक योगेंद्र मुखी मालती मुखी राजा मुखी बिंदु रानी महतो गणेश सिंह अभिजीत नाग, सतीश खाखा और अन्य कर्मी उपस्थित थें.