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सारंडा जंगल में प्रतिदिन लग रही आग, वन विभाग के कर्मचारियों को करनी पड़ रही मशक्कत

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Published : Apr 16, 2020, 5:13 PM IST

चाईबासा के सारंडा जंगल में गर्मी आते ही आग लगने का सिलसिला शुरू हो गया है. जंगल में आग लगते ही सैकड़ों की संख्या में पेड़-पैधें नष्ट हो जाते हैं. विभाग मानना है कि ये कुछ लोगों की लापरवही के कारण भी होता है. वहीं प्रतिदिन सारंडा वन क्षेत्र में आग लगने से वन विभाग के कर्मचारियों को आग बुझाने को लेकर भारी मशक्कत करनी पड़ रही है.

Everyday fire in Saranda forest in chaibasa
सारंडा जंगल में लगी आग

चाईबासा: एशिया प्रसिद्ध सारंडा के जंगलों में आग लगने का सिलसिला शुरू हो गया है. जंगल में आग लगते ही सैकड़ों की संख्या में पेड़ एवं नवजात पौधे आग की चपेट में आकर नष्ट हो जाते हैं. वन्य प्राणी इधर उधर भाग रहे हैं. प्रत्येक वर्ष सारंडा जंगल में सैकड़ों हेक्टेयर क्षेत्र में लगी आग से सैकड़ों जीव जंतु, पेड़ पौधे नष्ट हो जाते हैं. इधर, प्रतिदिन सारंडा वन क्षेत्र में आग लगने से वन विभाग के कर्मचारियों को आग बुझाने को लेकर भारी मशक्कत करनी पड़ रही है.

देखें पूरी खबर
गर्मी के मौसम में जंगल से महुआ चुनने वाले के साथ कुछ शरारती तत्व के लोग इस तरह की हरकत करते हैं तो कुछ लोगों का मानना है कि गर्मी के मौसम में तेज हवा से पेड़ों की डाली का घर्षण होते ही आग निकलने लगती है, लेकिन अक्सर ऐसा नहीं होता है. जंगल में लकड़ी एवं महुआ चुने जाने वाले लोगों के द्वारा भी आग लगा दी जाती है. जो देखते हीं देखते हवाओं के झोंको के साथ पुरी रफ्तार के साथ पूरे क्षेत्र को अपने कब्जे में ले ले रही है. हलांकि वन कर्मियों को इसकी सूचना मिलते हीं वन कर्मियों ने इस दिशा में एक विशेष पहल करते हुये आग बुझाने का भरसक प्रयास किया जाता रहा है. इसके बावजूद इन शरारती तत्वों द्वारा अपनी कुकृत्य करने में परहेज नहीं की जाती है.

ये भी पढ़ें- रांचीः कोरोना आपदा में नागरिकों को आसानी से मिलेंगी बुनियादी आवश्यकताएं, प्रशासन ने विभागीय अधिकारी नियुक्त कर दिए विशेष निर्देश

सारंडा के जंगलों में आग लगने की पुरानी है समस्या
सारंडा के डीएफओ रजनीश कुमार बताते हैं कि सारंडा के वनों में आग लगना एक बहुत पुरानी समस्या रही है. प्रत्येक वर्ष भारी संख्या में सारंडा के बड़े क्षेत्र में आग लगती है, लेकिन सभी आग ग्राउंड फायर है कोई भी आग क्रॉउन फायर नहीं होता है. यह आग महुआ चुनने के लिए लोग जमीन पर गिरे सूखे पत्तों में आग लगा दिया करते हैं. जंगल की आग बहुत तेजी से फैलने के कारण इस पर नियंत्रण कर पाना काफी कठिन हो जाता है.

10 हेक्टेयर में लगी आग पर पाया गया काबू

आग की संख्या ज्यादा होने के कारण कुल अभी तक 8 क्यूआर टीम ने काम शुरू कर दिया है. प्रत्येक रेंज में दो दो टीम कार्यरत है प्रतिदिन 10 से 15 जगहों पर आग बुझाई जा रही है. त्वरित कार्रवाई के कारण कोई बहुत बड़ा क्षेत्र नुकसान नहीं हुआ है. अभी तक जो भी आग लगे हैं उन्हें 10 हेक्टेयर के अंदर ही बुझा लिया गया है. कई बार आग बुझाने में 6 से 7 घंटे भी लग जाया करते हैं. गांव वाले के सहयोग एवं वन रक्षी के अत्यधिक मेहनत से कोई भी आग अभी तक अनियंत्रित नहीं हुई है. लेकिन यह बहुत ही कठिन एवं चुनौती भरा समय है.

चाईबासा: एशिया प्रसिद्ध सारंडा के जंगलों में आग लगने का सिलसिला शुरू हो गया है. जंगल में आग लगते ही सैकड़ों की संख्या में पेड़ एवं नवजात पौधे आग की चपेट में आकर नष्ट हो जाते हैं. वन्य प्राणी इधर उधर भाग रहे हैं. प्रत्येक वर्ष सारंडा जंगल में सैकड़ों हेक्टेयर क्षेत्र में लगी आग से सैकड़ों जीव जंतु, पेड़ पौधे नष्ट हो जाते हैं. इधर, प्रतिदिन सारंडा वन क्षेत्र में आग लगने से वन विभाग के कर्मचारियों को आग बुझाने को लेकर भारी मशक्कत करनी पड़ रही है.

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गर्मी के मौसम में जंगल से महुआ चुनने वाले के साथ कुछ शरारती तत्व के लोग इस तरह की हरकत करते हैं तो कुछ लोगों का मानना है कि गर्मी के मौसम में तेज हवा से पेड़ों की डाली का घर्षण होते ही आग निकलने लगती है, लेकिन अक्सर ऐसा नहीं होता है. जंगल में लकड़ी एवं महुआ चुने जाने वाले लोगों के द्वारा भी आग लगा दी जाती है. जो देखते हीं देखते हवाओं के झोंको के साथ पुरी रफ्तार के साथ पूरे क्षेत्र को अपने कब्जे में ले ले रही है. हलांकि वन कर्मियों को इसकी सूचना मिलते हीं वन कर्मियों ने इस दिशा में एक विशेष पहल करते हुये आग बुझाने का भरसक प्रयास किया जाता रहा है. इसके बावजूद इन शरारती तत्वों द्वारा अपनी कुकृत्य करने में परहेज नहीं की जाती है.

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सारंडा के जंगलों में आग लगने की पुरानी है समस्या
सारंडा के डीएफओ रजनीश कुमार बताते हैं कि सारंडा के वनों में आग लगना एक बहुत पुरानी समस्या रही है. प्रत्येक वर्ष भारी संख्या में सारंडा के बड़े क्षेत्र में आग लगती है, लेकिन सभी आग ग्राउंड फायर है कोई भी आग क्रॉउन फायर नहीं होता है. यह आग महुआ चुनने के लिए लोग जमीन पर गिरे सूखे पत्तों में आग लगा दिया करते हैं. जंगल की आग बहुत तेजी से फैलने के कारण इस पर नियंत्रण कर पाना काफी कठिन हो जाता है.

10 हेक्टेयर में लगी आग पर पाया गया काबू

आग की संख्या ज्यादा होने के कारण कुल अभी तक 8 क्यूआर टीम ने काम शुरू कर दिया है. प्रत्येक रेंज में दो दो टीम कार्यरत है प्रतिदिन 10 से 15 जगहों पर आग बुझाई जा रही है. त्वरित कार्रवाई के कारण कोई बहुत बड़ा क्षेत्र नुकसान नहीं हुआ है. अभी तक जो भी आग लगे हैं उन्हें 10 हेक्टेयर के अंदर ही बुझा लिया गया है. कई बार आग बुझाने में 6 से 7 घंटे भी लग जाया करते हैं. गांव वाले के सहयोग एवं वन रक्षी के अत्यधिक मेहनत से कोई भी आग अभी तक अनियंत्रित नहीं हुई है. लेकिन यह बहुत ही कठिन एवं चुनौती भरा समय है.

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