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बढ़ते वायु प्रदूषण से लोग हो रहे बीमार, खनन अधिकारियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं - ईटीवी झारखंड न्यूज

पश्चिम सिंहभूम जिले क्षेत्र में वायु प्रदूषण खतरनाक सीमा की ओर बढ़ रहा है.  पीएम 10 लेवल तक हाई हो चुका है. क्षेत्र में बढ़ते वायु प्रदूषण से लोगो को खतरनाक बीमारियां हो रही है.

वायु प्रदूषण से लोग परेशान
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Published : Jul 27, 2019, 5:46 PM IST

चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिले में सारंडा के बड़ाजामदा और नोवामुंडी गांव में वायु प्रदूषण खतरनाक सीमा की ओर बढ़ रहा है. जैसे-जैसे मनुष्य विकास की ओर अग्रसर होता जा रहा है वैसे-वैसे प्रदूषण की समस्या भी अपना विकराल रूप लेते जा रही है. इस दिशा में शीघ्र ही कोई महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने की आवश्यकता है.

देखें वीडियो में स्पेशल स्टोरी

सारंडा क्षेत्र में संचालित लोहा खदानों में हो रही खनन कार्य और लौह अयस्क की ट्रांसपोर्टेशन से वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी हो रही है. इसके अलावा वाहनों की संख्या में वृद्धि यातायात की सुदृढ़ व्यवस्था का ना होना भी वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है.

इसे भी पढ़ें:- CM के आश्वासन और प्रावधान के बाबजूद बिरहोर प्रजाति के दो भईयों को नहीं मिली नौकरी, 3 सालों से दफ्तर के लगा रहे है चक्कर
जिले का यह सत्र सबसे ज्यादा प्रदूषित
पश्चिम सिंहभूम जिले के बड़ाजामदा, गुआ, नोवामंडी आदि क्षेत्रों में वायु प्रदूषण सबसे अधिक है. इन क्षेत्रों में पीएम ट्रेन की मात्रा अत्यधिक बढ़ रही है. सारंडा स्थित वन विभाग की बराईबुरु हाथी चेक नाका पर लगाए गए एयर क्वालिटी इंडक्शन एनालाइजर में विगत कुछ दिनों से 110 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर तक रिकॉर्ड किया गया है.

क्या कहते हैं पर्यावरण विशेषज्ञ
पर्यावरण विशेषज्ञ की मानें तो पीएम 10 को रेस्पायरेबल-पार्टिकुलर मैटर कहते हैं. इन कणों का आकार 10 माइक्रोमीटर होता है. पीएम10 का सामान्य लेवल 100 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर (एमजीसीएम) होना चाहिए, लेकिन जिले में कई जगह यह 100 से अधिक है. पिछले 4 महीने में पीएम 10 में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. बड़ाजामदा और नोवामुंडी का क्षेत्र सबसे अधिक प्रदूषित है.


सड़कों पर प्रतिदिन सैकड़ों गाड़ियां उड़ा रही है धुआं
जिला परिवहन विभाग की आंकड़ों की बात करें तो 2009 से लेकर 2019 तक छोटी बड़ी वाहनों की संख्या 24,8011है. इसके अलावा सैकड़ों गाड़ियां प्रतिदिन पूर्वी सिंहभूम सरायकेला आदि जिलों में चलती है. जिले में पड़ोसी राज्य उड़ीसा की वाहनें भी यहां की वायु प्रदूषण की मात्रा को बढ़ा रही है.

लौह अयस्क खदानों में उत्खनन कार्य से भी फैल रही है प्रदूषण
क्षेत्र में संचालित अधिकतर लौह अयस्क खदानें मैकेनाइज्ड हैं, जहां प्रतिदिन खदानों में ब्लास्टिंग होते रहती है. खदानों में चल रही बड़ी मशीन और डंपर भी प्रदूषण का कारण है. खदानों से इतने धूल उड़ते हैं कि आसपास के सभी पेड़ मरने के कगार पर है. लौह अयस्क खदानों से निकलने वाली धूल और वाहनों से निकलने वाली जहरीला धुआं गुआ, बड़ाजामदा और नोवामंडी आदि विभिन्न क्षेत्रों के पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है.


वायु प्रदूषण की स्थिति भयावह
सरेंडर डीएफओ रजनीश कुमार बताते हैं, कि हाथी चेक नाका से लेकर बड़ाजामदा तक की सड़कें ही बताती है कि क्षेत्र में वायु प्रदूषण की क्या स्थिति है. सारंडा क्षेत्र में संचालित लौह अयस्क खदानों से लोएस क्लास का निकलने वाली वाहनों के कारण क्षेत्र में वायु प्रदूषण फैल रहा है. इसके साथ ही सड़क किनारे लगे वृक्षों पर लाल मिट्टी की एक मोटी परत जम गई है, जिससे वायु प्रदूषण की स्थिति भयावह है.

नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार मानक

  • 0-5 - अच्छा
  • 51-100 - संतोषजनक
  • 101-200 - सुधार
  • 201-300 - खराब
  • 301 - 400 - बहुत खराब
  • 401 - 500 - खतरनाक

वायु प्रदूषण की चपेट में आने से 15 से 20 लोगों की हो चुकी हैं मौत
बड़ाजामदा पंचायत के मुखिया राजा तिर्की बताते हैं, कि अब तक उनके पंचायत में खदानों के भारी वाहन के परिचालन से वायु प्रदूषण के चपेट में आने से लगभग 15 से 20 लोगों की मौत हो चुकी है. उन्होंने कहा कि खदान प्रबंधकों द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.


अधिकांश लोग दमा, टीबी , निमोकोनोसिस रोग से ग्रस्त
बड़ाजामदा अस्पताल के डॉक्टर बेग बताते हैं, कि बड़ाजामदा और आस-पास क्षेत्र के 30 प्रतिशत लोग स्वांस रोग से ग्रसित हैं, जिसका मुख्य कारण खदानों से मुख्य सड़क को पर चलने वाली भारी वाहनों से उड़ने वाली धूल कण है. बड़ा जांदा क्षेत्र में 15% लोग टीबी से ग्रसित हैं. डॉक्टर बेग का कहना है कि क्षेत्र के अधिकांश लोग दमा, टीबी , निमोकोनोसिस आदि रोगों से ग्रस्त हैं, जिनसे अब तक क्षेत्र में कई लोगों की मौत भी हो चुकी हैं.

चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिले में सारंडा के बड़ाजामदा और नोवामुंडी गांव में वायु प्रदूषण खतरनाक सीमा की ओर बढ़ रहा है. जैसे-जैसे मनुष्य विकास की ओर अग्रसर होता जा रहा है वैसे-वैसे प्रदूषण की समस्या भी अपना विकराल रूप लेते जा रही है. इस दिशा में शीघ्र ही कोई महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने की आवश्यकता है.

देखें वीडियो में स्पेशल स्टोरी

सारंडा क्षेत्र में संचालित लोहा खदानों में हो रही खनन कार्य और लौह अयस्क की ट्रांसपोर्टेशन से वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी हो रही है. इसके अलावा वाहनों की संख्या में वृद्धि यातायात की सुदृढ़ व्यवस्था का ना होना भी वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है.

इसे भी पढ़ें:- CM के आश्वासन और प्रावधान के बाबजूद बिरहोर प्रजाति के दो भईयों को नहीं मिली नौकरी, 3 सालों से दफ्तर के लगा रहे है चक्कर
जिले का यह सत्र सबसे ज्यादा प्रदूषित
पश्चिम सिंहभूम जिले के बड़ाजामदा, गुआ, नोवामंडी आदि क्षेत्रों में वायु प्रदूषण सबसे अधिक है. इन क्षेत्रों में पीएम ट्रेन की मात्रा अत्यधिक बढ़ रही है. सारंडा स्थित वन विभाग की बराईबुरु हाथी चेक नाका पर लगाए गए एयर क्वालिटी इंडक्शन एनालाइजर में विगत कुछ दिनों से 110 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर तक रिकॉर्ड किया गया है.

क्या कहते हैं पर्यावरण विशेषज्ञ
पर्यावरण विशेषज्ञ की मानें तो पीएम 10 को रेस्पायरेबल-पार्टिकुलर मैटर कहते हैं. इन कणों का आकार 10 माइक्रोमीटर होता है. पीएम10 का सामान्य लेवल 100 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर (एमजीसीएम) होना चाहिए, लेकिन जिले में कई जगह यह 100 से अधिक है. पिछले 4 महीने में पीएम 10 में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. बड़ाजामदा और नोवामुंडी का क्षेत्र सबसे अधिक प्रदूषित है.


सड़कों पर प्रतिदिन सैकड़ों गाड़ियां उड़ा रही है धुआं
जिला परिवहन विभाग की आंकड़ों की बात करें तो 2009 से लेकर 2019 तक छोटी बड़ी वाहनों की संख्या 24,8011है. इसके अलावा सैकड़ों गाड़ियां प्रतिदिन पूर्वी सिंहभूम सरायकेला आदि जिलों में चलती है. जिले में पड़ोसी राज्य उड़ीसा की वाहनें भी यहां की वायु प्रदूषण की मात्रा को बढ़ा रही है.

लौह अयस्क खदानों में उत्खनन कार्य से भी फैल रही है प्रदूषण
क्षेत्र में संचालित अधिकतर लौह अयस्क खदानें मैकेनाइज्ड हैं, जहां प्रतिदिन खदानों में ब्लास्टिंग होते रहती है. खदानों में चल रही बड़ी मशीन और डंपर भी प्रदूषण का कारण है. खदानों से इतने धूल उड़ते हैं कि आसपास के सभी पेड़ मरने के कगार पर है. लौह अयस्क खदानों से निकलने वाली धूल और वाहनों से निकलने वाली जहरीला धुआं गुआ, बड़ाजामदा और नोवामंडी आदि विभिन्न क्षेत्रों के पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है.


वायु प्रदूषण की स्थिति भयावह
सरेंडर डीएफओ रजनीश कुमार बताते हैं, कि हाथी चेक नाका से लेकर बड़ाजामदा तक की सड़कें ही बताती है कि क्षेत्र में वायु प्रदूषण की क्या स्थिति है. सारंडा क्षेत्र में संचालित लौह अयस्क खदानों से लोएस क्लास का निकलने वाली वाहनों के कारण क्षेत्र में वायु प्रदूषण फैल रहा है. इसके साथ ही सड़क किनारे लगे वृक्षों पर लाल मिट्टी की एक मोटी परत जम गई है, जिससे वायु प्रदूषण की स्थिति भयावह है.

नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार मानक

  • 0-5 - अच्छा
  • 51-100 - संतोषजनक
  • 101-200 - सुधार
  • 201-300 - खराब
  • 301 - 400 - बहुत खराब
  • 401 - 500 - खतरनाक

वायु प्रदूषण की चपेट में आने से 15 से 20 लोगों की हो चुकी हैं मौत
बड़ाजामदा पंचायत के मुखिया राजा तिर्की बताते हैं, कि अब तक उनके पंचायत में खदानों के भारी वाहन के परिचालन से वायु प्रदूषण के चपेट में आने से लगभग 15 से 20 लोगों की मौत हो चुकी है. उन्होंने कहा कि खदान प्रबंधकों द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.


अधिकांश लोग दमा, टीबी , निमोकोनोसिस रोग से ग्रस्त
बड़ाजामदा अस्पताल के डॉक्टर बेग बताते हैं, कि बड़ाजामदा और आस-पास क्षेत्र के 30 प्रतिशत लोग स्वांस रोग से ग्रसित हैं, जिसका मुख्य कारण खदानों से मुख्य सड़क को पर चलने वाली भारी वाहनों से उड़ने वाली धूल कण है. बड़ा जांदा क्षेत्र में 15% लोग टीबी से ग्रसित हैं. डॉक्टर बेग का कहना है कि क्षेत्र के अधिकांश लोग दमा, टीबी , निमोकोनोसिस आदि रोगों से ग्रस्त हैं, जिनसे अब तक क्षेत्र में कई लोगों की मौत भी हो चुकी हैं.

Intro:स्पेशल,
चाईबासा। पश्चिम सिंहभूम जिले के सारंडा, बड़ाजामदा एवं गांव मंडी क्षेत्र में वायु प्रदूषण खतरनाक सीमा की ओर बढ़ रहा है। जैसे-जैसे मनुष्य विकास की ओर अग्रसर होता जा रहा है वैसे-वैसे प्रदूषण की समस्या भी अपना विकराल रूप लेती जा रही है। इस दिशा में शीघ्र ही कोई महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। वायु प्रदूषण अपनी रफ्तार से बढ़ रही है और लोगों की जान दांव पर लगी हुई है। मनुष्य हर पल प्रदूषित वायु लेकर अपने फेफड़ों में जहर घोल रहा है।




Body:खदानों में खनन व लोहा अयस्क की ट्रांसपोर्टेशन से वायु प्रदूषण-
वायु प्रदूषण की बढ़ोतरी पश्चिम सिंहभूम जिले के सारंडा क्षेत्र में संचालित लोहा खदानों में हो रही खनन कार्य एवं लौह अयस्क की ट्रांसपोर्टेशन से बढ़ रही है इसके अलावा वाहनों की संख्या में वृद्धि यातायात की सुदृढ़ व्यवस्था का ना होना भी वायु प्रदूषण के प्रमुख कारकों में शुमार है। शहरी क्षेत्रों में भारी वाहनों के प्रवेश लोहा इस्क नदी खुली गाड़ियों और शहर में चलने वाले पुराने वाहन प्रदूषण स्तर को पढ़ा रहे हैं।

जिले का यह सत्र सबसे ज्यादा प्रदूषित -
पश्चिम सिंहभूम जिला का बड़ाजामदा, गुआ, नोवामंडी आदि क्षेत्र में वायु प्रदूषण सबसे अधिक है यह जानकर हैरानी होगी कि जिले के इन क्षेत्रों में पीएम ट्रेन की मात्रा अत्यधिक बढ़ रही है। सारंडा स्थित वन विभाग की बराईबुरु हाथी चेक नाका पर लगाए गए एयर क्वालिटी इंडक्शन एनालाइजर में विगत कुछ दिनों से 110 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर रिकॉर्ड किया है।

पर्यावरण विशेषज्ञ की मानें तो पीएम 10 को रेस्पायरेबल- पार्टिकुलर मैटर कहते हैं। इन कणों का आकार 10 माइक्रोमीटर होता है पीएम10 का सामान्य लेवल 100 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर (एमजीसीएम) होना चाहिए। लेकिन जिले में कई जगह यह 100 से अधिक है पिछले 4 माह में पीएम 10 में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है बड़ाजामदा और नोवामुंडी का क्षेत्र सबसे अधिक प्रदूषित है। जो स्थानीय लोगों के लिए घातक साबित हो रहा है।

सड़कों पर प्रतिदिन सैकड़ों गाड़ियां उड़ा रही है धुआं-
जिला परिवहन विभाग की आंकड़ों की बात करें तो 2009 से लेकर 2019 तक छोटी बड़ी 24,8011 जिले की सड़कों पर उड़ा रही है आंकड़ा सिर्फ पश्चिम सिंहभूम जिले का ही है इसके अलावा सैकड़ों गाड़ियां प्रतिदिन पूर्वी सिंहभूम सरायकेला आदि जिलों के है इसके अलावा पड़ोसी राज्य उड़ीसा की वाहने भी यहां की वायु प्रदूषण की मात्रा को बढ़ा रही है।

लौह अयस्क खदानो में उत्खनन कार्य से भी फैल रही है प्रदूषण-
क्षेत्र में संचालित अधिकतर लौह अयस्क खदाने मैकेनाइज्ड है, जहां प्रतिदिन खदानों में ब्लास्टिंग होती रहती है। इसके साथ ही स्वचालित बड़ी बड़ी मशीन है एवं डंपर से काम लिया जाता है। जिस कारण खदानों से भारी मात्रा में लौह अयस्क के धूल कणों उड़ते हैं। जिससे खदानों के आसपास लगे वृक्ष एवं सड़कों के किनारे लगा गए वृक्षों के पत्तों पर एक मोटी लाल मिट्टी की परत देखी जा सकती है। इसके साथ ही खदानों से निकलने वाले धूल पर हवा के माध्यम से उड़कर वायुमंडल को भी प्रदूषित करती है। लौह अयस्क खदानों से निकलने वाली धूल एवं वाहनों से निकलने वाली जहरीले धुएं गुआ, बड़ाजामदा एवं नोवामंडी आदि विभिन्न क्षेत्रों के पर्यावरण को प्राणघातक नुकसान पहुंचा रही है।

वायु प्रदूषण की स्थिति भयावह -
सरेंडर डीएफओ रजनीश कुमार बताते हैं कि हाथी चेक नाका से लेकर बड़ाजामदा तक की सड़कें ही बताती है कि क्षेत्र में वायु प्रदूषण की क्या स्थिति है सारंडा क्षेत्र में संचालित लौह अयस्क खदानों से लोएस क्लास का निकलने वाली वाहनों के कारण क्षेत्र में वायु प्रदूषण फैल रहा है इसके साथ ही सड़कों किनारे लगे वृक्षों पर लाल मिट्टी की एक मोटी परत देखी जा सकती है। जिससे यह प्रतीत होता है कि वायु प्रदूषण की स्थिति भयावह है।

नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार मानक -
0-5 - अच्छा
51-100 - संतोषजनक
101-200 - सुधार
201-300 - खराब
301 - 400 - बहुत खराब
401 - 500 - खतरनाक

वायु प्रदूषण की चपेट में आने से 15 से 20 लोगों की हो चुकी हैं मौतें-
बड़ाजामदा पंचायत के मुखिया राजा तिर्की बताते हैं कि अब तक उनके पंचायत में खदानों के भारी वाहन के परिचालन से वायु प्रदूषण के चपेट में आने से लग 15 से 20 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। खदान प्रबंधको द्वारा भी नियमित रूप से सड़कों पर पानी का सर का नहीं किया जाता है। इस कारण भारी वाहनों के परिचालन से काफी धूल करते हैं स्थानीय लोगों को सर को पर चलना एवं सांस लेना दूभर हो गया है।

अधिकांश लोग दमा, टीबी , निमोकोनोसिस रोग से ग्रस्त -
इधर बड़ाजामदा अस्पताल के डॉक्टर बेग बताते हैं कि बड़ाजामदा व आस पास क्षेत्र के 30 प्रतिशत लोग स्वांस रोग से ग्रसित है जिसका मुख्य कारण खदानों से मुख्य सड़क को पर चलने वाली आरी वाहनों से उड़ने वाली धूल कण है जिसे स्थानीय लोगों को स्वांस रोग होना स्वाभाविक है। इसके अलावा बड़ा जांदा क्षेत्र में 15% लोग टीबी से ग्रसित हैं। डॉक्टर बेग बताते हैं कि क्षेत्र के अधिकांश लोग दमा, टीबी , निमोकोनोसिस आदि रोगों से ग्रस्त हैं। जिनसे अब तक क्षेत्र में कई लोगों की मौतें भी हो चुकी हैं।



Conclusion:समय रहते वायु प्रदूषण पर रोक लगाने को लेकर पहल नहीं कि तो वो दिन दूर नहीं की क्षेत्र के अधिकांश लोग काल के गाल में समा जाएंगे।
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