चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिले में सारंडा के बड़ाजामदा और नोवामुंडी गांव में वायु प्रदूषण खतरनाक सीमा की ओर बढ़ रहा है. जैसे-जैसे मनुष्य विकास की ओर अग्रसर होता जा रहा है वैसे-वैसे प्रदूषण की समस्या भी अपना विकराल रूप लेते जा रही है. इस दिशा में शीघ्र ही कोई महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने की आवश्यकता है.
सारंडा क्षेत्र में संचालित लोहा खदानों में हो रही खनन कार्य और लौह अयस्क की ट्रांसपोर्टेशन से वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी हो रही है. इसके अलावा वाहनों की संख्या में वृद्धि यातायात की सुदृढ़ व्यवस्था का ना होना भी वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है.
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जिले का यह सत्र सबसे ज्यादा प्रदूषित
पश्चिम सिंहभूम जिले के बड़ाजामदा, गुआ, नोवामंडी आदि क्षेत्रों में वायु प्रदूषण सबसे अधिक है. इन क्षेत्रों में पीएम ट्रेन की मात्रा अत्यधिक बढ़ रही है. सारंडा स्थित वन विभाग की बराईबुरु हाथी चेक नाका पर लगाए गए एयर क्वालिटी इंडक्शन एनालाइजर में विगत कुछ दिनों से 110 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर तक रिकॉर्ड किया गया है.
क्या कहते हैं पर्यावरण विशेषज्ञ
पर्यावरण विशेषज्ञ की मानें तो पीएम 10 को रेस्पायरेबल-पार्टिकुलर मैटर कहते हैं. इन कणों का आकार 10 माइक्रोमीटर होता है. पीएम10 का सामान्य लेवल 100 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर (एमजीसीएम) होना चाहिए, लेकिन जिले में कई जगह यह 100 से अधिक है. पिछले 4 महीने में पीएम 10 में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. बड़ाजामदा और नोवामुंडी का क्षेत्र सबसे अधिक प्रदूषित है.
सड़कों पर प्रतिदिन सैकड़ों गाड़ियां उड़ा रही है धुआं
जिला परिवहन विभाग की आंकड़ों की बात करें तो 2009 से लेकर 2019 तक छोटी बड़ी वाहनों की संख्या 24,8011है. इसके अलावा सैकड़ों गाड़ियां प्रतिदिन पूर्वी सिंहभूम सरायकेला आदि जिलों में चलती है. जिले में पड़ोसी राज्य उड़ीसा की वाहनें भी यहां की वायु प्रदूषण की मात्रा को बढ़ा रही है.
लौह अयस्क खदानों में उत्खनन कार्य से भी फैल रही है प्रदूषण
क्षेत्र में संचालित अधिकतर लौह अयस्क खदानें मैकेनाइज्ड हैं, जहां प्रतिदिन खदानों में ब्लास्टिंग होते रहती है. खदानों में चल रही बड़ी मशीन और डंपर भी प्रदूषण का कारण है. खदानों से इतने धूल उड़ते हैं कि आसपास के सभी पेड़ मरने के कगार पर है. लौह अयस्क खदानों से निकलने वाली धूल और वाहनों से निकलने वाली जहरीला धुआं गुआ, बड़ाजामदा और नोवामंडी आदि विभिन्न क्षेत्रों के पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है.
वायु प्रदूषण की स्थिति भयावह
सरेंडर डीएफओ रजनीश कुमार बताते हैं, कि हाथी चेक नाका से लेकर बड़ाजामदा तक की सड़कें ही बताती है कि क्षेत्र में वायु प्रदूषण की क्या स्थिति है. सारंडा क्षेत्र में संचालित लौह अयस्क खदानों से लोएस क्लास का निकलने वाली वाहनों के कारण क्षेत्र में वायु प्रदूषण फैल रहा है. इसके साथ ही सड़क किनारे लगे वृक्षों पर लाल मिट्टी की एक मोटी परत जम गई है, जिससे वायु प्रदूषण की स्थिति भयावह है.
नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार मानक
- 0-5 - अच्छा
- 51-100 - संतोषजनक
- 101-200 - सुधार
- 201-300 - खराब
- 301 - 400 - बहुत खराब
- 401 - 500 - खतरनाक
वायु प्रदूषण की चपेट में आने से 15 से 20 लोगों की हो चुकी हैं मौत
बड़ाजामदा पंचायत के मुखिया राजा तिर्की बताते हैं, कि अब तक उनके पंचायत में खदानों के भारी वाहन के परिचालन से वायु प्रदूषण के चपेट में आने से लगभग 15 से 20 लोगों की मौत हो चुकी है. उन्होंने कहा कि खदान प्रबंधकों द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
अधिकांश लोग दमा, टीबी , निमोकोनोसिस रोग से ग्रस्त
बड़ाजामदा अस्पताल के डॉक्टर बेग बताते हैं, कि बड़ाजामदा और आस-पास क्षेत्र के 30 प्रतिशत लोग स्वांस रोग से ग्रसित हैं, जिसका मुख्य कारण खदानों से मुख्य सड़क को पर चलने वाली भारी वाहनों से उड़ने वाली धूल कण है. बड़ा जांदा क्षेत्र में 15% लोग टीबी से ग्रसित हैं. डॉक्टर बेग का कहना है कि क्षेत्र के अधिकांश लोग दमा, टीबी , निमोकोनोसिस आदि रोगों से ग्रस्त हैं, जिनसे अब तक क्षेत्र में कई लोगों की मौत भी हो चुकी हैं.