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रामरेखा धाम में कार्तिक मेले की शुरुआत, यहां भगवान श्री राम ने काटे थे वनवास के कुछ दिन

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Published : Nov 10, 2019, 3:37 PM IST

सिमडेगा के रामरेखा धाम में कार्तिक मेला की शुरुआत हो गई है. मेले में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है. यहां भगवान राम, सीता और लक्ष्मण ने वनवास के दौरान कुछ समय बिताए थे.

रामरेखा धाम में कार्तिक मेले की शुरुआत

सिमडेगा: जिला मुख्यालय से लगभग 22 किमी दूर एक ऐसा धार्मिक स्थल, जहां स्वयं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम सपत्नीक पधारे थे. रामरेखा धाम श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है, जो प्राकृतिक सौंदर्य से भी परिपूर्ण है. धार्मिक दृष्टिकोण से यह धाम बहुत महत्वपूर्ण है. रामरेखा धाम में हर साल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मेला का आयोजन किया जाता है.

देखें स्पेशल स्टोरी

रामरेखा धाम में 10 से 13 नवंबर तक मेला का आयोजन किया गया है. जिसकी तैयारी रामरेखा धाम विकास समिति और प्रशासनिक विभाग ने की है. कार्तिक पूर्णिमा में इस धाम के प्रति लोगों की आस्था का भव्य नजारा देखकर कोई भी अचंभित हो जाए. हजारों लोगों की उपस्थिति और जय श्रीराम के उद्घोष से गुंजायमान क्षेत्र को देखकर ऐसा प्रतीत होता है, जैसे स्वयं प्रभु दर्शन को पधारे हैं. रामरेखा की पावन धरती पर भगवान श्रीराम, सीता, लक्ष्मण के साथ वनवास के दौरान पधारे थे.

इसे भी पढ़ें:- हॉकी का गढ़ बना सिमडेगा, यहां से निकले 2 ओलंपियन, 12 इंटरनेशनल और 100 से अधिक नेशनल खिलाड़ी

भगवान राम ने खींची थी लकीरें
लोगों की मान्यता है कि बड़ी-बड़ी शिलाओं से ढके गुफा के अंदर छत में खींची गई लकीरें स्वयं प्रभु श्रीराम ने खींची है. इसी कारण से पावन धर्मस्थली का नाम रामरेखा धाम पड़ा है. प्रभु राम ने अपने 14 वर्षों के वनवास काल के दौरान कुछ समय यहां भी गुजारे थे.

कई पुरातात्विक संरचना मौजूद
रामरेखा धाम में ऐसे कई प्रमाण हैं, जिससे यहां पुरातात्विक संरचनाओं का पता चलता है. यहां पर सीता चूल्हा, गुप्त गंगा, भगवान के चरण पादुका आज भी मौजूद हैं. वनवास के दौरान मर्यादा पुरुषोत्तम इसी रास्ते से होकर गए थे. रामरेखाधाम परिसर में प्रभु श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान के अलावा भगवान शंकर की प्रतिमाएं हैं.

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कार्तिक पूर्णिमा में अन्य समुदाय के लोग भी दर्शन को आते हैं
वैसे तो यहां पूजा के लिए हर दिन श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन कार्तिक मेले के समय में पूर्णिमा के मौके पर बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं. झारखंड के अलावा कई राज्यों से यहां श्रद्धालु आते हैं. वैसे तो हर दिन यहां पूजा करने श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन कार्तिक पूर्णिमा के समय में यहां हजारों की संख्या में भक्त आते हैं. हिंदुओं के अलावा अन्य समुदायों में भी रामरेखा धाम को लेकर आस्था देखी जाती है. इस अवसर पर यहां अन्य समुदाय के लोग भी पहुंचकर सुखी जीवन की कामना करते हैं. इस बार भी मेला को लेकर ग्रामीणों में खासा उत्साह देखा जा रहा है. उनका कहना है कि वे पूरे साल इस मेले का इंतजार करते हैं.

सिमडेगा: जिला मुख्यालय से लगभग 22 किमी दूर एक ऐसा धार्मिक स्थल, जहां स्वयं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम सपत्नीक पधारे थे. रामरेखा धाम श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है, जो प्राकृतिक सौंदर्य से भी परिपूर्ण है. धार्मिक दृष्टिकोण से यह धाम बहुत महत्वपूर्ण है. रामरेखा धाम में हर साल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मेला का आयोजन किया जाता है.

देखें स्पेशल स्टोरी

रामरेखा धाम में 10 से 13 नवंबर तक मेला का आयोजन किया गया है. जिसकी तैयारी रामरेखा धाम विकास समिति और प्रशासनिक विभाग ने की है. कार्तिक पूर्णिमा में इस धाम के प्रति लोगों की आस्था का भव्य नजारा देखकर कोई भी अचंभित हो जाए. हजारों लोगों की उपस्थिति और जय श्रीराम के उद्घोष से गुंजायमान क्षेत्र को देखकर ऐसा प्रतीत होता है, जैसे स्वयं प्रभु दर्शन को पधारे हैं. रामरेखा की पावन धरती पर भगवान श्रीराम, सीता, लक्ष्मण के साथ वनवास के दौरान पधारे थे.

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भगवान राम ने खींची थी लकीरें
लोगों की मान्यता है कि बड़ी-बड़ी शिलाओं से ढके गुफा के अंदर छत में खींची गई लकीरें स्वयं प्रभु श्रीराम ने खींची है. इसी कारण से पावन धर्मस्थली का नाम रामरेखा धाम पड़ा है. प्रभु राम ने अपने 14 वर्षों के वनवास काल के दौरान कुछ समय यहां भी गुजारे थे.

कई पुरातात्विक संरचना मौजूद
रामरेखा धाम में ऐसे कई प्रमाण हैं, जिससे यहां पुरातात्विक संरचनाओं का पता चलता है. यहां पर सीता चूल्हा, गुप्त गंगा, भगवान के चरण पादुका आज भी मौजूद हैं. वनवास के दौरान मर्यादा पुरुषोत्तम इसी रास्ते से होकर गए थे. रामरेखाधाम परिसर में प्रभु श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान के अलावा भगवान शंकर की प्रतिमाएं हैं.

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कार्तिक पूर्णिमा में अन्य समुदाय के लोग भी दर्शन को आते हैं
वैसे तो यहां पूजा के लिए हर दिन श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन कार्तिक मेले के समय में पूर्णिमा के मौके पर बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं. झारखंड के अलावा कई राज्यों से यहां श्रद्धालु आते हैं. वैसे तो हर दिन यहां पूजा करने श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन कार्तिक पूर्णिमा के समय में यहां हजारों की संख्या में भक्त आते हैं. हिंदुओं के अलावा अन्य समुदायों में भी रामरेखा धाम को लेकर आस्था देखी जाती है. इस अवसर पर यहां अन्य समुदाय के लोग भी पहुंचकर सुखी जीवन की कामना करते हैं. इस बार भी मेला को लेकर ग्रामीणों में खासा उत्साह देखा जा रहा है. उनका कहना है कि वे पूरे साल इस मेले का इंतजार करते हैं.

Intro:रामरेखाधाम में सभी तैयारियां पूरी, कार्तिक पूर्णिमा का मेला कल से प्रारंभ

प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण झारखंड राज्य एक ऐसा धाम, जहां पधारे थे भगवान श्रीराम...प्रभु श्रीराम, माता सीता सहित लक्ष्मण ने बिताये थे वनवास

सिमडेगा: जिला मुख्यालय से लगभग 22 किमी दूर अवस्थित ऐसा धार्मिक स्थल जहां स्वयं मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम सपत्नीक पधारे थे. जिले वासियों के श्रद्धा व आस्था का प्रतीक यह पवित्र रामरेखाधाम प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है. धार्मिक दृष्टिकोण से विख्यात इस रामरेखाधाम में प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मेला का आयोजन किया जाता है. इस बार यह मेला 10 से 13 नवंबर तक आयोजित होगा. जिसकी तैयारी रामरेखाधाम विकास समिति और प्रशासनिक स्तर पर लगभग पूरी कर ली गयी है. कार्तिक पूर्णिमा में रामरेखाधाम के प्रति लोगों की आस्था का भव्य नजारा देखकर कोई भी अचंभित हो जाए. हजारों लोगों की उपस्थिति और जय श्रीराम के उद्घोष से गुंजायमान क्षेत्र को देखकर ऐसा प्रतित होता है जैसे स्वयं प्रभु दर्शन को आ गये हो. रामरेखा की पावन धरती पर भगवान श्रीराम, माता सीता एवं भाई लक्ष्मण के साथ वनवास के दौरान पधारे थे.


लोगों की मान्यता है कि बड़ी-बड़ी शिलाओं से ढके गुफा के अंदर छत में खींची गई लकीरें स्वयं प्रभु श्रीराम द्वारा खींची गयी है. इसी कारण पावन धर्मस्थली का नाम रामरेखाधाम पड़ा. प्रभु राम अपने 14 वर्षों के वनवास काल के दौरान कुछ समयावधि के लिए यहां रुके थे.

आज भी इस पावन भूमि धरती पर ऐसे कई प्रमाण देखे जा सकते हैं. जिनमें सीता चूल्हा, गुप्त गंगा, चरण पादुका आदि पुरातात्विक संरचनाओं का पता चलता है. वनवास के दौरान मर्यादा पुरुषोत्तम ने इसी मार्ग का अनुसरण किया था. इस रामरेखाधाम परिसर में प्रभु श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण, हनुमान सहित भगवान शिव की प्रतिमाएं मंदिरों में स्थापित है. झारखंड के अलावा पड़ोसी राज्यों के श्रद्धालु भी हजारों की संख्या में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर दर्शन को आते हैं. हिंदुओं के अलावा अन्य समुदायों में भी रामरेखाधाम को लेकर आस्था देखी जाती है. कार्तिक पूर्णिमा पर अन्य समुदाय के लोग भी यहां पहुंचकर सुखी जीवन की कामना करते हैं.

वैसे तो प्रतिदिन यहां पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं। परंतु कार्तिक एवं माघ पूर्णिमा के मौके पर बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं.

इधर मेला को लेकर आसपास निवास करने वाले ग्रामीणों में खासा उत्साह है. जो हस्त निर्मित विभिन्न सामानों की बिक्री हेतू मेले में आते हैं. इन ग्रामीणों का कहना है कि वे पूरे साल इस मेले का इंतजार करते हैं.Body:NoConclusion:No
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