सरायकेला: साल 1972 में बिहार सरकार के अध्यादेश के बाद बिहार राज्य आवास बोर्ड का गठन किया गया. अध्यादेश साल 1982 में अधिनियम में परिवर्तित हो गया, जिसके बाद बिहार राज्य आवास बोर्ड पूरी तरह अस्तित्व में आया. बोर्ड गठन का एकमात्र और मुख्य उद्देश्य था जरूरतमंद और बेघरों को सस्ते और सुलभ तरीके से रहने के लिए मकान उपलब्ध कराना. बिहार राज्य से अलग होकर 15 नवंबर 2000 को जब झारखंड अलग राज्य का निर्माण हुआ तब आवास बोर्ड का भी बंटवारा हो गया और इसके बाद झारखंड राज्य आवास बोर्ड अस्तित्व में आया.
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ज्वाइंट वेंचर और पीपीपी मोड पर बने फ्लैट 38 से 47 लाख
तकरीबन 10 साल पूर्व झारखंड राज्य आवास बोर्ड ने ज्वाइंट वेंचर के तहत पीपीपी मोड पर निजी बिल्डरों के साथ करार करके राज्य के प्रमुख जिलों में फ्लैट्स का निर्माण कराया. आवास बोर्ड के बने यह फ्लैट और मकान इतने महंगे हैं कि मध्यम वर्गीय लोगों की पहुंच से बाहर हैं. कभी सभी बेघरों को आवास उपलब्ध कराने वाला यह आवास बोर्ड आधुनिक सुविधाओं से युक्त फ्लैट्स का निर्माण करा रहा है, जिसकी कीमत आसमान छूती है. हाल में झारखंड राज्य आवास बोर्ड ने पीपीपी मोड के तहत सरायकेला के आदित्यपुर और रांची में बनाए गए फ्लैट के आवंटन की प्रक्रिया शुरू की है. इसके तहत 18 जुलाई तक आवेदन की अंतिम तिथि रखी गई है. आदित्यपुर के भगवती एनक्लेव में 48 और रांची के सिंफनी अपार्टमेंट में 40 फ्लैट का आवंटन होना है. दोनों ही स्थानों पर हाई इनकम ग्रुप, यानी एचआईजी उच्च वर्ग और एमआईजी यानी मिडल इनकम ग्रुप के लिए फ्लैट्स बनाए गए हैं, जहां लॉटरी के आधार पर ही लोगों को घर मिलेंगे. इन फ्लैट की कीमत तकरीबन 38 लाख से 47 लाख रुपये तक है.
अब नहीं बनते लोअर इनकम ग्रुप(मध्यम वर्गीय आय) के लिए मकान
बेघरों को आवास उपलब्ध कराना झारखंड राज्य आवास बोर्ड की पहली प्राथमिकता में कभी शुमार होता था. उच्च आय वर्ग, मध्यम आय वर्ग और निम्न आय वर्ग के लोगों को पूर्व से ही रहने के लिए मकान और फ्लैट आवास बोर्ड की ओर से उपलब्ध कराए जाते रहे हैं. लेकिन हाल के दिनों में आवास बोर्ड लोअर इनकम ग्रुप यानी निम्न आय वर्ग के लोगों को पूरी तरह भूल चुका है. यानी अब लोअर इनकम ग्रुप के लोगों के लिए आवास बोर्ड ने मकान और फ्लैट्स बनाना पूरी तरह बंद कर दिया है. मध्यम वर्गीय परिवार और मजदूर तबके के लोग कभी मध्यम वर्गीय आय के इस फ्लैट में रहा करते थे, लेकिन अब अधिक मुनाफा कमाने की चाहत में बोर्ड शायद मध्यमवर्गीय आए कि लोगों को भूल चुका है.
यूं होती है आवास बोर्ड में मकान आवंटन प्रक्रिया
झारखंड राज्य आवास बोर्ड द्वारा बनाए गए मकानों फ्लैट आवंटन में प्रमुख रूप से जो आवंटन की प्रक्रिया अपनाई जाती है, वह इस प्रकार है, आवास बोर्ड आवंटन में वैसे आवेदकों को प्राथमिकता देता है, जिन का मकान या जमीन आवास बोर्ड द्वारा अर्जित किया गया है. इसके अलावा वैसे आवेदक जो झारखंड के निवासी हैं और पिछले 5 साल से झारखंड में निवास कर रहे हैं, वो मकानों के लिए आवेदन कर सकते हैं. आवेदक राज्य के किसी भी जिला का निवासी हो. इसके अलावा आवासीय भू-संपदा सुधार न्यास या सरकारी उपक्रम के 8 किलोमीटर की परिधि में आवेदक का कोई मकान फ्लैट या प्लॉट आंशिक रूप से फ्रीहोल्ड या लीज होल्ड के आधार पर ना हो. वहीं, आवेदक पर किसी प्रकार का आपराधिक मुकदमा दर्ज ना हो इससे संबंधित शपथ पत्र भी दाखिल करना होता है.
बोर्ड ने इस प्रकार बांटा है आय वर्ग को
1- वर्ग वार्षिक आय
2- आर्थिक दृष्टि से कमजोर 3 लाख तक वार्षिक आय
3- अल्प आय वर्ग - 3 लाख से छह लाख रुपए वार्षिक आय तक
4- मध्यम आय वर्ग- छह लाख से 12 लाख रुपए तक वार्षिक आय
5- उच्च आय वर्ग- 12 लाख रुपए से अधिक
6- महंगा और आम आदमी के पहुंच के बाहर कारण नहीं बिक रहे आवास बोर्ड के यह फ्लैट
अधिक कीमत होने के कारण झारखंड राज्य आवास बोर्ड के फ्लैट खरीदारी में लोगों की रुचि नहीं दिख रही है. पिछले साल सितंबर में आवास बोर्ड ने रांची, हजारीबाग, डालटनगंज समेत जमशेदपुर में फ्लैट बेचने के लिए नोटिस और विज्ञापन निकाला, लेकिन आवेदन काफी कम आए. इसके बाद आवास बोर्ड ने दोबारा से इन फ्लैट के लिए आवेदन भी निकाले. वहीं, अब पीपीपी मोड पर जमशेदपुर, सरायकेला के आदित्यपुर और रांची में बने 48 फ्लैट्स का आवंटन 23 जुलाई को लॉटरी प्रक्रिया के तहत होगा. इन फ्लैट्स के आवंटन के लिए आवेदन करने की अंतिम तारीख 18 जुलाई है. ऐसे में एक बार फिर देखना दिलचस्प होगा कि आम लोग आवास बोर्ड के इन आधुनिक और महंगे फ्लैट्स में रहने के लिए कितनी दिलचस्पी दिखाते हैं.
राज्य भर में आवास बोर्ड के 2016 आवासीय फ्लैट और 215 प्लॉट पर है अतिक्रमण
राज्य भर में झारखंड राज्य आवास बोर्ड के 2016 आवासीय फ्लैट और तकरीबन 215 प्लॉट अतिक्रमणकारियों के कब्जे में हैं. यह फ्लैट और प्लॉट राजधानी रांची, जमशेदपुर, आदित्यपुर, धनबाद, दुमका, डालटनगंज समेत कई शहरों में हैं. इनमें से अधिकांश प्लॉट और फ्लैट आवास बोर्ड की ओर से मूल आवंटी को आवंटित किया जा चुका है और आवंटित की ओर से पूरी रकम बोर्ड के खाते में जमा की जा चुकी है. इसके बावजूद कई साल से आवंटियों को मालिकाना हक बोर्ड आज तक नहीं दिला पाया और ना ही अतिक्रमण को हटा पाया है. झारखंड राज्य आवास बोर्ड ने साल 2011 में 209 लोगों से प्लॉट के लिए आवेदन और पैसे लिए थे, लेकिन ना तो उन्हें आवास बोर्ड की ओर से जमीन दी गई, ना ही प्लॉट. झारखंड हाई कोर्ट ने आवास बोर्ड को इस दिशा में कार्रवाई करने का आदेश भी दिया, लेकिन एक बार फिर यह मामला ठंडे बस्ते में है.
आधुनिक सुविधाओं से युक्त बन रहे मकान और फ्लैट: एमडी
इधर, आवास बोर्ड के मकान और फ्लैट्स में अप्रत्याशित मूल्य वृद्धि के मुद्दे को लेकर जब झारखंड राज्य आवास बोर्ड के प्रबंध निदेशक ब्रजमोहन कुमार से बात की गई तो, उन्होंने तर्क दिया कि पूर्व में निम्न गुणवत्ता के साथ आवास बोर्ड की ओर से मकान और फ्लैट्स का निर्माण कराया जाता था, लेकिन अब अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त फ्लैट्स आवास बोर्ड की ओर से बनाए जा रहे हैं. इनमें सभी सुविधाएं मौजूद हैं. प्रबंध निदेशक ने बताया कि लोगों की मांग को देखते हुए ही आवास बोर्ड ने आधुनिक मकान और फ्लैट्स का निर्माण कराना शुरू किया है. ऐसे में कीमतों में इजाफा होना लाजमी है.
कोरोना महामारी खत्म होने के बाद आवास बोर्ड के मुद्दे को सुलझाएंगे: मंत्री चंपई सोरेन
वहीं, महंगे और मजदूर वर्ग के साथ ही अल्प आय वर्ग के लोगों की पहुंच से बाहर हो रहे इन मकान और फ्लैट्स के मुद्दे पर राज्य के आदिवासी कल्याण और परिवहन मंत्री चंपई सोरेन ने कहा है कि मामले में जो भी विसंगतियां हैं, उसे कोरोना के इस संकट के बाद दूर किए जाने का प्रयास किया जाएगा. मंत्री मानते हैं कि अभी सरकार की प्राथमिकता में कोरोना संक्रमण रोकना शुमार है, जिसके बाद ही सरकार विकास के बचे कार्यों को आम लोगों तक पहुंचाने का काम करेगी.