सरायकेला: जिले के आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र के 50 हजार से भी अधिक मकानों में रहने वाले ढाई लाख लोगों की आबादी का सीवरेज बिना ट्रीटमेंट के नदियों में बहाया जा रहा है. इसके अलावा जिले के 13 सौ से भी अधिक कल-कारखाने प्रतिदिन लाखों गैलन दूषित पानी को सीधे नदियों में भेज रहे हैं. नतीजतन प्रदूषण के कारण जिले से बहने वाली स्वर्ण रेखा और खरकई नदियों के अस्तित्व पर खतरा पैदा हो गया है.
कोल्हान क्षेत्र के लिए लाइफलाइन माने जाने वाले दोनों नदियों में जिले के 13 नालों के जरिये सीधे गंदगी डाली जा रही है. इसके अलावा कोल्हान के पूर्वी सिंहभूम जिला के प्रदूषण से दोनों नदियों की हालात और बिगड़ रही है. पूर्वी सिंहभूम और सरायकेला के आदित्यपुर की आबादी का सीवरेज बिना ट्रीटमेंट के इसमें छोड़ा जा रहा है. प्रदूषण नियंत्रण परिषद की ओर से बीते दिनों जारी एक रिपोर्ट में भी इसका जिक्र किया गया था. इधर झारखंड हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस ने नदियों के प्रदूषण के मामले पर स्वतः संज्ञान भी लिया था. इस मामले में एक जनहित याचिका भी माननीय उच्च न्यायालय में दायर की गई है.
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13 नालों पर बनना है ट्रीटमेंट प्लांट
सामाजिक संगठन जन कल्याण मोर्चा कोल्हान की दोनों प्रमुख नदियों को प्रदूषित किए जाने के मुद्दे पर झारखंड हाई कोर्ट में दायर याचिका में इंटरवेनर है. मोर्चा के अध्यक्ष और अधिवक्ता ओमप्रकाश ने बताया है कि नदियों के प्रदूषण स्तर को कम करने के लिए 13 नालों के स्थान पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की योजना है पर अब तक महज 3 स्थानों पर ही प्लांट निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जा सकी हैं. इन तीन का निर्माण कार्य बहुत धीमी गति से चल रहा है.
आज तक प्रदूषण के लिए नहीं की गई कार्रवाई
वैसे तो झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के कोल्हान प्रमंडल कार्यालय का दावा है कि परिषद कोल्हान क्षेत्र में नदियों में प्रदूषण की मॉनिटरिंग करती है और बिना ट्रीटमेंट नदियों में पानी छोड़े जाने पर कार्रवाई भी करती है. हालांकि अब तक ऐसा एक भी मामला सामने नहीं आया है जिसमें परिषद ने इसको लेकर संबंधित नगर निकाय या कंपनी पर कार्रवाई की हो. आबादी के सीवरेज के अलावा औद्योगिक क्षेत्र से कल कारखानों से निकलने वाली गंदगी और केमिकल युक्त पानी भी बिना ट्रीटमेंट के नदियों में डाला जा रहा है. पर्यावरणविद सुबोध शरण बताते हैं कि इस संबंध में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में भी शिकायत की है.
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255 करोड़ से निगम क्षेत्र में बनेंगे ट्रीटमेंट प्लांट
जिले के आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र की घनी आबादी के लिए तकरीबन 60 साल पहले तैयाकर किया गया सीवरेज सिस्टम फिलहाल ओवरलोड हो चुका है. इससे शहर के हालात बिगड़ गए हैं. वर्ष 2011 में झारखंड हाईकोर्ट में इसको लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी. इसके बाद 2013 में कोर्ट ने राज्य सरकार को नए सिरे से ड्रेनेज सिस्टम बनाने का आदेश दिया था. लिहाजा 2 साल पहले निगम क्षेत्र में 255 करोड़ की लागत से सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण योजना को हरी झंडी दे दी गई है. कई स्थानों पर निर्माण कार्य शुरू भी हो चुका है. इसके तहत फिलहाल चार सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और 5 पंपिंग स्टेशन बनाए जाने हैं.
इसके अलावा इस योजना के तहत 134 किलोमीटर पाइप लाइन भी बिछाई जाएगी, जिससे शहरी क्षेत्र का गंदा पानी ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाया जाएगा. इसमें 72 किलोमीटर तक पाइप लाइन बिछाने का कार्य पूरा हो चुका है. इसके तैयार होने के बाद सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाया जाएगा. फिर प्रदूषित पानी और अन्य गंदगी को शोधित कर रिसाइकल किया जाएगा. बाद में इससे बाग में पौधों की सिंचाई आदि का कार्य करने की भी योजना है.