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देश के सर्वाधिक 75 प्रदूषित शहरों में सरायकेला हुआ शुमार, पीएम 10 की मात्रा ने बढ़ाई मुश्किलें

देश के सर्वाधिक प्रदूषित 75 शहरों में अब सरायकेला-खरसावां और इससे सटा जमशेदपुर जिला भी शामिल है. एशिया महादेश के स्मॉल इंडस्ट्री एरिया के रूप में विख्यात इस औद्योगिक नगरी में अब प्रदूषण ने अपने पांव जबरदस्त तरीके से पसार दिए हैं. नतीजतन पीएम10 यानी कार्बन माइक्रो प्रति क्यूबिक मीटर भी तेजी से बढ़ रहा है, जो कि चिंता का विषय है.

Seraikela ranks among 75 most polluted cities of the country
फाइल फोटो
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Published : Jan 23, 2020, 11:01 AM IST

सरायकेला: हाल ही में पर्यावरण से जुड़ी संस्था ग्रीनपीस ने वायु प्रदूषण को लेकर देश के कई प्रमुख शहरों में सर्वे किया है. जिसमें इस बात का खुलासा हुआ कि औद्योगिक नगरी के रूप में विकसित सरायकेला और जमशेदपुर भी अब बढ़ते प्रदूषण की चपेट में आ चुका है, नतीजतन अब यहां प्रदूषण का स्तर भी भयावह रूप से बढ़ रहा है.

देखें पूरी खबर
सरायकेला में 128 और जमशेदपुर में 129 है पीएम10 की मात्रा
पर्यावरण से जुड़े संस्था ग्रीनपीस की जारी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि सरायकेला औद्योगिक क्षेत्र में कार्बन प्रति क्यूबिक मीटर 128 है, जबकि इससे सटे जमशेदपुर औद्योगिक नगरी में यह मात्रा 129 है. रिपोर्ट के मुताबिक शहर में बढ़ रही आबादी के कारण लगातार पेड़ों की कम हो रही संख्या भी इसके प्रमुख कारणों में शुमार है. शहर और आसपास के क्षेत्र में लगातार बढ़ रही आबादी और उसके अनुपात में कम हो रहे पेड़ और जंगल ने प्रदूषण की मात्रा बढ़ा दी है.

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राष्ट्रीय स्वच्छ वायु योजना की हुई है शुरुआत
केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय की ओर से शहरों में लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण स्तर को कम करने के उद्देश्य से वर्ष 2019 में पहली बार राष्ट्रीय स्वच्छ वायु योजना की शुरुआत की गई है. इसके तहत 2024 तक देश के प्रदूषित शहरों में प्रदूषण स्तर को कम किए जाने की कवायद शुरू की गई है. साथ ही लक्ष्य निर्धारित किया गया है, इस योजना के तहत मुख्य रूप से पीएम10 की मात्रा को हर हाल में कम करना है, ताकि वक्त रहते प्रदूषण पर्यावरण संतुलन को न बिगाड़े.

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प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने पीएम10 एनालाइजर मशीन का लिया है सहारा
सरायकेला औद्योगिक क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण स्तर को कम किए जाने को लेकर राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने पीएम10 एनालाइजर मशीन के सहारा लेने का दावा किया है. प्रदूषण नियंत्रण कोल्हान प्रमंडल कार्यालय के क्षेत्रीय पदाधिकारी सुरेश पासवान ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि औद्योगिक क्षेत्र समेत पूरे कोल्हान के विभिन्न हिस्सों में अब प्रदूषण की मात्रा को मॉनिटरिंग करने के उद्देश्य से पीएम10 एनालाइजर मशीन लगाए गए हैं. जहां कार्बन उत्सर्जन के अंश को एनालाइजर मशीन से रिकॉर्ड किया जाता है और संबंधित क्षेत्र में प्रदूषण की मात्रा बढ़ने पर वहां वायु प्रदूषण कम किए जाने संबंधी उपाय भी किए जाते हैं. औद्योगिक क्षेत्र में सर्वाधिक प्रदूषण स्तर को लेकर अब विभिन्न कल कारखानों को पीएम10 एनालाइजर मशीन लगाने संबंधित निर्देश जारी किए गए हैं, ताकि प्रदूषण की मात्रा को नियंत्रित रखा जाए.

पर्यावरण से जुड़ी संस्था ग्रीनपीस ने जो रिपोर्ट जारी किया है, वह सच में चौकाने वाला है. रिपोर्ट के मुताबिक 230 से भी ज्यादा ऐसे शहर हैं जहां 80% से अधिक प्रदूषण व्याप्त है और यह शहर अब रहने लायक नहीं हैं. जरूरत है वक्त रहते प्रदूषण के बढ़ते स्तर को कम किया जाए, ताकि वक्त रहते प्रकृति और पर्यावरण दोनों का संवर्धन और संरक्षण हो सके.

सरायकेला: हाल ही में पर्यावरण से जुड़ी संस्था ग्रीनपीस ने वायु प्रदूषण को लेकर देश के कई प्रमुख शहरों में सर्वे किया है. जिसमें इस बात का खुलासा हुआ कि औद्योगिक नगरी के रूप में विकसित सरायकेला और जमशेदपुर भी अब बढ़ते प्रदूषण की चपेट में आ चुका है, नतीजतन अब यहां प्रदूषण का स्तर भी भयावह रूप से बढ़ रहा है.

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सरायकेला में 128 और जमशेदपुर में 129 है पीएम10 की मात्रापर्यावरण से जुड़े संस्था ग्रीनपीस की जारी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि सरायकेला औद्योगिक क्षेत्र में कार्बन प्रति क्यूबिक मीटर 128 है, जबकि इससे सटे जमशेदपुर औद्योगिक नगरी में यह मात्रा 129 है. रिपोर्ट के मुताबिक शहर में बढ़ रही आबादी के कारण लगातार पेड़ों की कम हो रही संख्या भी इसके प्रमुख कारणों में शुमार है. शहर और आसपास के क्षेत्र में लगातार बढ़ रही आबादी और उसके अनुपात में कम हो रहे पेड़ और जंगल ने प्रदूषण की मात्रा बढ़ा दी है.

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राष्ट्रीय स्वच्छ वायु योजना की हुई है शुरुआत
केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय की ओर से शहरों में लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण स्तर को कम करने के उद्देश्य से वर्ष 2019 में पहली बार राष्ट्रीय स्वच्छ वायु योजना की शुरुआत की गई है. इसके तहत 2024 तक देश के प्रदूषित शहरों में प्रदूषण स्तर को कम किए जाने की कवायद शुरू की गई है. साथ ही लक्ष्य निर्धारित किया गया है, इस योजना के तहत मुख्य रूप से पीएम10 की मात्रा को हर हाल में कम करना है, ताकि वक्त रहते प्रदूषण पर्यावरण संतुलन को न बिगाड़े.

ये भी देखें- रिटायर्ड डीवीसी कर्मचारी के घर चोरी, 2.80 लाख नगद सहित जेवरात की चोरी

प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने पीएम10 एनालाइजर मशीन का लिया है सहारा
सरायकेला औद्योगिक क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण स्तर को कम किए जाने को लेकर राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने पीएम10 एनालाइजर मशीन के सहारा लेने का दावा किया है. प्रदूषण नियंत्रण कोल्हान प्रमंडल कार्यालय के क्षेत्रीय पदाधिकारी सुरेश पासवान ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि औद्योगिक क्षेत्र समेत पूरे कोल्हान के विभिन्न हिस्सों में अब प्रदूषण की मात्रा को मॉनिटरिंग करने के उद्देश्य से पीएम10 एनालाइजर मशीन लगाए गए हैं. जहां कार्बन उत्सर्जन के अंश को एनालाइजर मशीन से रिकॉर्ड किया जाता है और संबंधित क्षेत्र में प्रदूषण की मात्रा बढ़ने पर वहां वायु प्रदूषण कम किए जाने संबंधी उपाय भी किए जाते हैं. औद्योगिक क्षेत्र में सर्वाधिक प्रदूषण स्तर को लेकर अब विभिन्न कल कारखानों को पीएम10 एनालाइजर मशीन लगाने संबंधित निर्देश जारी किए गए हैं, ताकि प्रदूषण की मात्रा को नियंत्रित रखा जाए.

पर्यावरण से जुड़ी संस्था ग्रीनपीस ने जो रिपोर्ट जारी किया है, वह सच में चौकाने वाला है. रिपोर्ट के मुताबिक 230 से भी ज्यादा ऐसे शहर हैं जहां 80% से अधिक प्रदूषण व्याप्त है और यह शहर अब रहने लायक नहीं हैं. जरूरत है वक्त रहते प्रदूषण के बढ़ते स्तर को कम किया जाए, ताकि वक्त रहते प्रकृति और पर्यावरण दोनों का संवर्धन और संरक्षण हो सके.

Intro:देश के सर्वाधिक प्रदूषित 75 शहरों में अब सरायकेला खरसावां और इससे सटा जमशेदपुर जिला भी शामिल है, एशिया महादेश के स्मॉल इंडस्ट्री एरिया के रूप में विख्यात इस औद्योगिक नगरी में अब प्रदूषण ने अपने पांव जबरदस्त तरीके से पसार दिए हैं नतीजतन पीएम 10 यानी कार्बन माइक्रो प्रति क्यूबिक मीटर भी तेजी से बढ़ रहा है जो की चिंता का विषय है।


Body:हाल ही में देश की पर्यावरण से जुड़ी संस्था ग्रीनपीस ने वायु प्रदूषण को लेकर देश के कई प्रमुख शहरों में सर्वे किया जिसमें इस बात का खुलासा हुआ कि औद्योगिक नगरी के रूप में विकसित सरायकेला और जमशेदपुर भी अब बढ़ते प्रदूषण के चपेट में आ चुका है, नतीजतन अब यहां प्रदूषण का स्तर भी भयावह रूप से बढ़ रहा है।

सरायकेला में 128 और जमशेदपुर में 129 है पीएम 10 की मात्रा।

पर्यावरण से जुड़े संस्था ग्रीनपीस द्वारा जारी किए गए रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि सरायकेला औद्योगिक क्षेत्र में कार्बन प्रति क्यूबिक मीटर 128 है, जबकि इससे सटे जमशेदपुर औद्योगिक नगरी में यह मात्रा 129 है। रिपोर्ट के मुताबिक शहर में बढ़ रहे घनी आबादी के कारण लगातार पेड़ों की कम हो रही संख्या भी इसके प्रमुख कारणों में शुमार है ,शहर और आसपास के क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे आबादी और उसके अनुपात में कम हो रहे पेड़ और जंगल ने प्रदूषण की मात्रा बढ़ा दी है।

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु योजना (एन सी ए पी) की हुई है शुरुआत।

केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय की ओर से शहरों में लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण स्तर को कम करने के उद्देश्य से वर्ष 2019 में पहली बार राष्ट्रीय स्वच्छ वायु योजना की शुरुआत की गई है। इसके तहत 2024 तक देश के प्रदूषित शहरों में प्रदूषण स्तर को कम किए जाने की कवायद शुरू की गई है ,साथ ही लक्ष्य निर्धारित किया गया है, इस योजना के तहत मुख्य रूप से पीएम- 10 की मात्रा को हर हाल में कम करना है ताकि वक्त रहते प्रदूषण पर्यावरण संतुलन को ना बिगाड़े.






Conclusion:प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने पीएम - 10 एनालाइजर मशीन का लिया है सहारा.।

सरायकेला औद्योगिक क्षेत्र क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण स्तर को कम किए जाने को लेकर राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने पीएम 10 एनालाइजर मशीन के सहारा लेने का दावा किया है। प्रदूषण नियंत्रण कोल्हान प्रमंडल कार्यालय के क्षेत्रीय पदाधिकारी सुरेश पासवान ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया है कि औद्योगिक क्षेत्र समेत पूरे कोल्हान के विभिन्न हिस्सों में अब प्रदूषण मात्रा को मॉनिटरिंग करने के उद्देश्य से पीएम 10 एनालाइजर मशीन लगाए गए हैं, जहां कार्बन उत्सर्जन के अंश को एनालाइजर मशीन के द्वारा रिकॉर्ड किया जाता है और संबंधित क्षेत्र में प्रदूषण की मात्रा बढ़ने पर वहां वायु प्रदूषण कम किए जाने संबंधी उपाय भी किए जाते हैं, औद्योगिक क्षेत्र में सर्वाधिक प्रदूषण स्तर को लेकर अब विभिन्न कल कारखानों को पीएम 10 एनालाइजर मशीन लगाने संबंधित निर्देश जारी किए हैं ताकि प्रदूषण मात्रा को नियंत्रित रखा जाये।

पर्यावरण से जुड़ी संस्था ग्रीनपीस ने जो रिपोर्ट जारी किया है वह सच में चौकाने वाला है ,रिपोर्ट के मुताबिक 230 से भी ज्यादा ऐसे शहर हैं जहां 80% से अधिक प्रदूषण व्याप्त है और यह शहर अब रहने लायक नहीं हैं, जरूरत है वक्त रहते प्रदूषण के बढ़ते स्तर को कम किया जाए , ताकि वक्त रहते प्रकृति और पर्यावरण दोनों का संवर्धन और संरक्षण हो सके।

बाइट - सुरेश पासवान, क्षेत्रीय पदाधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड.
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