सरायकेला: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल समेत सरकार की ओर से दिवाली पर आतिशबाजी को लेकर जारी किए गए आदेश की सरायकेला समेत पड़ोसी जिला जमशेदपुर में जमकर अनदेखी की गई है. 14 नवंबर को दिवाली की रात और इसके अगले दिन 15 नवंबर तक जमकर शहरी क्षेत्र के लोगों ने पटाखे जलाए. नतीजतन इस साल प्रदूषण का स्तर भी बढ़ा हुआ पाया गया है.
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सरकार समेत जिला प्रशासन की ओर से आदेश पारित किया गया था कि रात 10:00 बजे के बाद पटाखा नहीं फोड़े जाएंगे, लेकिन इसके विपरीत दिवाली के दिन रात तकरीबन 12:00 बजे तक और अगले दिन 15 नवंबर की रात 11 बजे तक लगातार पटाखे फूटते रहे, जिससे शहरी क्षेत्र में वायु और ध्वनि प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है. झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने शहर के विभिन्न छह प्रमुख स्थान पर ध्वनि प्रदूषण की संयंत्र ने मॉनिटरिंग की है, जिसमें गत वर्ष की तुलना इस वर्ष कोरोना का काल होने के बावजूद ध्वनि प्रदूषण का स्तर बढ़ा हुआ पाया गया.
दिवाली के उपलक्ष्य पर नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत एस टाइप चौक के आसपास जमकर आतिशबाजी हुई है. यहां सबसे अधिक 81.2 डेसिबल ध्वनि प्रदूषण हुआ, जबकि सबसे कम जमशेदपुर के टीएमएच अस्पताल के पास एक 61.0 डेसीबल ध्वनि प्रदूषण की मात्रा मापी गई है. वहीं, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से दिवाली से पहले 9 नवंबर को इन दोनों स्थान पर ध्वनि प्रदूषण मापा गया था, जहां एस टाइप चौक पर 80.9 डेसिबल और टीएमएच अस्पताल के पास 64.2 डेसीबल ध्वनि प्रदूषण था. इसके अलावा जमशेदपुर न्यू कोर्ट के पास अधिकतम 73 डेसीबल और दिवाली को अधिकतम 71.7 डेसीबल ध्वनि प्रदूषण नापा गया.
वायु प्रदूषण की रिपोर्ट आना बाकी
झारखंड प्रदूषण नियंत्रण परिषद की ओर से दिवाली से एक सप्ताह पहले और एक सप्ताह बाद तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है. इन 14 दिनों में वायु प्रदूषण के स्तर को नाप कर तुलनात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा जिसमें गत वर्ष से भी तुलना दर्शायी जाएगी.