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Adityapur News: आदित्यपुर में आयोजित बाहा बोंगा पर्व में मांदर की थाप पर थिरके मंत्री चंपई सोरेन, कहा- प्राथमिक विद्यालयों में अब ओलचिकी की पढ़ाई - सरायकेला में चंपई सोरेन

मंत्री चंपई सोरेन आदित्यपुर में आयोजित बाहा बोंगा पर्व में मांदर की थाप पर जमकर थिरके. इस दौरान उन्होंने प्राथमिक स्कूलों में ओलचिकी भाषा की पढ़ाई भी कराने की बात कही.

Minister Champai Soren danced
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Published : Mar 6, 2023, 7:04 AM IST

Updated : Mar 6, 2023, 8:03 AM IST

सरायकेला: जिले के आदित्यपुर स्थित फुटबॉल मैदान में आदिवासियों का प्रमुख त्योहार बाहा बोंगा परंपरागत तरीके से मनाया गया. बाहा पर्व समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में राज्य के आदिवासी कल्याण एवं परिवहन मंत्री चंपई सोरेन शामिल हुए. जहा उन्होंने तमाम लोगों को प्रकृति पर्व बाहा बोंगा की शुभकामनाएं दी.

ये भी पढ़ें- जमशेदपुर के करनडीह में दिशोम बाहा पर्व मनाया गया, फोटो से समझें पूरा घटनाक्रम

बाहा पर्व में मांझी बाबा दीकूराम मांझी ने जाहेरथान में मरांग बुरु की विधिवत पूजा की. रविवार दिनभर चले कार्यक्रम में आदिवासी समाज के लोग ढ़ोल-नगाड़े के साथ नृत्य करते हुए जाहरेथान पहुंचे जहां पूजा अर्चना की. इसके बाद शाम में आदित्यपुर के फुटबॉल मैदान में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राज्य के आदिवासी कल्याण सह परिवहन मंत्री चंपइ सोरेन शामिल हुए.

अपने संबोधन में मंत्री ने कहा कि बाहा बोंगा प्रकृति से जुड़ा पर्व है. इसमें पर्यावरण संरक्षण का संदेश छिपा है. आदिवासी समाज के लोग प्राचीन काल से ही प्रकृति के बीच निवास करते आ रहे हैं. इस त्योहार में साल वृक्ष और उसके फूल की पूजा की जाती है. मंत्री ने कहा कि झारखंड की हेमंत सरकार आदिवासी हितों में काम कर रही है. आदिवासी परंपरा और संस्कृति के संरक्षण की दिशा में भी सरकार काम कर रही है. राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में अब ओलचिकी लीपी की पढ़ाई भी शुरू की जा रही है. वहीं मांझी बाबा और नायके बाबा को सरकार की तरफ से सुविधाएं दी जाएंगी.

बाहा पर्व के महत्व को समझाया: मंत्री ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए बाहा बोंगा पर्व के महत्व के बारे में बताया. उन्होने कहा कि प्राचीण काल में हमारे पूर्वज सरनावीर के रूप में देश की जंगलों की रक्षा करते थे. माघ महीना में जो घर टूट जाता था, जंगलों की लकड़ी से बगैर प्रकृति को क्षति पहुंचाए घर का जिर्णोधार किया.

सरायकेला: जिले के आदित्यपुर स्थित फुटबॉल मैदान में आदिवासियों का प्रमुख त्योहार बाहा बोंगा परंपरागत तरीके से मनाया गया. बाहा पर्व समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में राज्य के आदिवासी कल्याण एवं परिवहन मंत्री चंपई सोरेन शामिल हुए. जहा उन्होंने तमाम लोगों को प्रकृति पर्व बाहा बोंगा की शुभकामनाएं दी.

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बाहा पर्व में मांझी बाबा दीकूराम मांझी ने जाहेरथान में मरांग बुरु की विधिवत पूजा की. रविवार दिनभर चले कार्यक्रम में आदिवासी समाज के लोग ढ़ोल-नगाड़े के साथ नृत्य करते हुए जाहरेथान पहुंचे जहां पूजा अर्चना की. इसके बाद शाम में आदित्यपुर के फुटबॉल मैदान में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राज्य के आदिवासी कल्याण सह परिवहन मंत्री चंपइ सोरेन शामिल हुए.

अपने संबोधन में मंत्री ने कहा कि बाहा बोंगा प्रकृति से जुड़ा पर्व है. इसमें पर्यावरण संरक्षण का संदेश छिपा है. आदिवासी समाज के लोग प्राचीन काल से ही प्रकृति के बीच निवास करते आ रहे हैं. इस त्योहार में साल वृक्ष और उसके फूल की पूजा की जाती है. मंत्री ने कहा कि झारखंड की हेमंत सरकार आदिवासी हितों में काम कर रही है. आदिवासी परंपरा और संस्कृति के संरक्षण की दिशा में भी सरकार काम कर रही है. राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में अब ओलचिकी लीपी की पढ़ाई भी शुरू की जा रही है. वहीं मांझी बाबा और नायके बाबा को सरकार की तरफ से सुविधाएं दी जाएंगी.

बाहा पर्व के महत्व को समझाया: मंत्री ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए बाहा बोंगा पर्व के महत्व के बारे में बताया. उन्होने कहा कि प्राचीण काल में हमारे पूर्वज सरनावीर के रूप में देश की जंगलों की रक्षा करते थे. माघ महीना में जो घर टूट जाता था, जंगलों की लकड़ी से बगैर प्रकृति को क्षति पहुंचाए घर का जिर्णोधार किया.

Last Updated : Mar 6, 2023, 8:03 AM IST
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