ETV Bharat / state

झारखंड प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने बायो कचरे का निस्तारण किया अनिवार्य, नहीं करने पर हेल्थ सेंटरों पर होगी कार्रवाई

author img

By

Published : May 18, 2022, 3:41 PM IST

झारखंड प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने बायो कचरे का निस्तारण करना अनिवार्य कर दिया है. ऐसा नहीं करने पर हेल्थ सेंटरों पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी. सरायकेला में एशिया भवन सभागार में एक सेमिनार का आयोजन कर इससे संबंधित जानकारी दी गई.

Jharkhand Pollution Control Council
Jharkhand Pollution Control Council

सरायकेला: कोल्हान प्रमंडल क्षेत्र में संचालित सभी सरकारी, गैर सरकारी और निजी नर्सिंग होम व रिसर्च सेंटरों को बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण करने वाली कंपनियों से जुड़कर बायो कचरे का निस्तारण करना अनिवार्य कर दिया गया है. बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण संबंधित जानकारियां प्रदान करने के उद्देश्य से झारखंड प्रदूषण नियंत्रण परिषद की ओर से आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र स्थित एशिया भवन सभागार में एक सेमिनार का आयोजन किया गया.

इसे भी पढ़ें: प्रदूषण से खतरे में 'हिमालयन पिका' का अस्तित्व, बुग्याल बचाने के लिए चलेगी मुहिम

झारखंड प्रदूषण नियंत्रण परिषद बरतेगा सख्त: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के गाइडलाइन के तहत झारखंड प्रदूषण नियंत्रण परिषद हेल्थ केयर सेंटर, खासकर अस्पताल और नर्सिंग होम से निकलने वाले बायो मेडिकल कचरे के निस्तारण को लेकर अब सख्त बनेगा. इसे लेकर झारखंड प्रदूषण बोर्ड ने एशिया भवन सभागार में एक सेमिनार का आयोजन किया, जिसमें स्थानीय उद्योगों के साथ-साथ हेल्थ केयर सेंटर अस्पताल नर्सिंग होम संचालकों को बायो मेडिकल वेस्ट के समुचित निस्तारण संबंधित संपूर्ण जानकारियां प्रदान की गई.

दी गई ये जानकारियां: सेमिनार में अस्पतालों से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट के कलेक्शन से लेकर अलग-अलग डिस्पोजल और फिर उन्हें निस्तारण करने वाली कंपनियों से निबंधित होकर कार्य किए जाने से संबंधित जानकारियां प्रदान की गई. सेमिनार में झारखंड प्रदूषण नियंत्रण परिषद के क्षेत्रीय पदाधिकारी जितेंद्र सिंह के अलावा कंसलटेंट अर्पिता मिश्रा ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से रजिस्ट्रेशन से लेकर बायो वेस्ट कलेक्शन और डिस्पोजल संबंधित जानकारियां प्रदान की. इसके अलावा सेमिनार में सरायकेला के दुगनी में स्थित बायो मेडिकल वेस्ट प्लांट संचालित करने वाली एजेंसी री-सस्टेनेबिलिटी के अधिकारियों ने भी हेल्थ केयर सेंटर और अस्पताल को जोड़ने से संबंधित बातें बताई.


बायो मेडिकल डिस्पोजल नहीं करने पर ईपी एक्ट के तहत कार्रवाई का प्रावधान: बायो मेडिकल वेस्ट को सामान्य मुंसिपल वेस्ट के साथ डिस्पोजल नहीं किया जा सकता है. यह मनुष्य और पर्यावरण दोनों के लिए घातक साबित हो सकता है, लिहाजा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा विगत कुछ सालों से बायो मेडिकल वेस्ट के सही डिस्पोजल पर काफी फोकस किया जा रहा है, जबकि ऐसा नहीं करने वाले अस्पताल और हेल्थ केयर सेंटर के विरुद्ध पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई का भी प्रावधान है, जिसके तहत 5 साल की सजा और एक लाख जुर्माना लगाया जा सकता है. इसके अलावा संबंधित नियमों की अनदेखी करने पर एनजीटी को हर्जाना भी देना पड़ सकता है.

बायो वेस्ट से संक्रमण का बढ़ता है खतरा: बायो मेडिकल वेस्ट का सही तरीके से निस्तारण नहीं होने पर संक्रमण का सर्वाधिक खतरा बना रहता है. कोरोना जैसी भयंकर महामारी के बाद एनजीटी द्वारा सख्ती से बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल कराने पर जोर है. गौरतलब है कि कोरोना प्रकोप के दौरान केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने बायो मेडिकल वेस्ट के साथ-साथ कोरोना संक्रमित मरीजों के भोजन आदि के डिस्पोजेबल प्लेट और रोजाना प्रयोग में लाए जाने वाले सामानों का भी बायो मेडिकल वेस्ट के साथ निस्तारण का आदेश दिया था.

सरायकेला: कोल्हान प्रमंडल क्षेत्र में संचालित सभी सरकारी, गैर सरकारी और निजी नर्सिंग होम व रिसर्च सेंटरों को बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण करने वाली कंपनियों से जुड़कर बायो कचरे का निस्तारण करना अनिवार्य कर दिया गया है. बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण संबंधित जानकारियां प्रदान करने के उद्देश्य से झारखंड प्रदूषण नियंत्रण परिषद की ओर से आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र स्थित एशिया भवन सभागार में एक सेमिनार का आयोजन किया गया.

इसे भी पढ़ें: प्रदूषण से खतरे में 'हिमालयन पिका' का अस्तित्व, बुग्याल बचाने के लिए चलेगी मुहिम

झारखंड प्रदूषण नियंत्रण परिषद बरतेगा सख्त: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के गाइडलाइन के तहत झारखंड प्रदूषण नियंत्रण परिषद हेल्थ केयर सेंटर, खासकर अस्पताल और नर्सिंग होम से निकलने वाले बायो मेडिकल कचरे के निस्तारण को लेकर अब सख्त बनेगा. इसे लेकर झारखंड प्रदूषण बोर्ड ने एशिया भवन सभागार में एक सेमिनार का आयोजन किया, जिसमें स्थानीय उद्योगों के साथ-साथ हेल्थ केयर सेंटर अस्पताल नर्सिंग होम संचालकों को बायो मेडिकल वेस्ट के समुचित निस्तारण संबंधित संपूर्ण जानकारियां प्रदान की गई.

दी गई ये जानकारियां: सेमिनार में अस्पतालों से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट के कलेक्शन से लेकर अलग-अलग डिस्पोजल और फिर उन्हें निस्तारण करने वाली कंपनियों से निबंधित होकर कार्य किए जाने से संबंधित जानकारियां प्रदान की गई. सेमिनार में झारखंड प्रदूषण नियंत्रण परिषद के क्षेत्रीय पदाधिकारी जितेंद्र सिंह के अलावा कंसलटेंट अर्पिता मिश्रा ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से रजिस्ट्रेशन से लेकर बायो वेस्ट कलेक्शन और डिस्पोजल संबंधित जानकारियां प्रदान की. इसके अलावा सेमिनार में सरायकेला के दुगनी में स्थित बायो मेडिकल वेस्ट प्लांट संचालित करने वाली एजेंसी री-सस्टेनेबिलिटी के अधिकारियों ने भी हेल्थ केयर सेंटर और अस्पताल को जोड़ने से संबंधित बातें बताई.


बायो मेडिकल डिस्पोजल नहीं करने पर ईपी एक्ट के तहत कार्रवाई का प्रावधान: बायो मेडिकल वेस्ट को सामान्य मुंसिपल वेस्ट के साथ डिस्पोजल नहीं किया जा सकता है. यह मनुष्य और पर्यावरण दोनों के लिए घातक साबित हो सकता है, लिहाजा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा विगत कुछ सालों से बायो मेडिकल वेस्ट के सही डिस्पोजल पर काफी फोकस किया जा रहा है, जबकि ऐसा नहीं करने वाले अस्पताल और हेल्थ केयर सेंटर के विरुद्ध पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई का भी प्रावधान है, जिसके तहत 5 साल की सजा और एक लाख जुर्माना लगाया जा सकता है. इसके अलावा संबंधित नियमों की अनदेखी करने पर एनजीटी को हर्जाना भी देना पड़ सकता है.

बायो वेस्ट से संक्रमण का बढ़ता है खतरा: बायो मेडिकल वेस्ट का सही तरीके से निस्तारण नहीं होने पर संक्रमण का सर्वाधिक खतरा बना रहता है. कोरोना जैसी भयंकर महामारी के बाद एनजीटी द्वारा सख्ती से बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल कराने पर जोर है. गौरतलब है कि कोरोना प्रकोप के दौरान केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने बायो मेडिकल वेस्ट के साथ-साथ कोरोना संक्रमित मरीजों के भोजन आदि के डिस्पोजेबल प्लेट और रोजाना प्रयोग में लाए जाने वाले सामानों का भी बायो मेडिकल वेस्ट के साथ निस्तारण का आदेश दिया था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.