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सरायकेला में विद्युत आपूर्ति की बढ़ रही मांग, लॉकडाउन में आई थी गिरावट

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Published : Sep 26, 2020, 6:03 AM IST

Updated : Sep 26, 2020, 4:26 PM IST

कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन में सरायकेला में व्यापारिक गतिविधियां ठप हो गईं थी, लेकिन अब धीरे-धीरे स्थिति सामान्य होने लगी है. जिससे अब बिजली की मांग बढ़ने लगी है. लॉकडाउन के कारण झारखंड की बिजली वितरण कंपनी जेवीबीएनएल के राजस्व में कमी देखने को मिली है, जबकि घरेलू विद्युत खपत में इजाफा हुआ है.

सरायकेला में विद्युत आपूर्ति की बढ़ रही मांग
increasing-demand-for-power-supply-in-seraikela

सरायकेला: कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से पूरे देश में आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हुईं हैं. लॉकडाउन की वजह से सड़कों पर वाहनों का आवागमन पूरी तरह से बंद कर दिया गया था, जिससे इंधन की खपत काफी कम हुई. ठीक उसी प्रकार लॉकडाउन के दौरान बड़े-बड़े उद्योग धंधे बंद कर दिए गए थे. इस वजह से बिजली की खपत में भारी गिरावट देखने को मिली. हालांकि, अब अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो रहा है.

देखें स्पेशल खबर

औद्योगिक क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति की सप्लाई बढ़ी

औद्योगिक क्षेत्र की कंपनियों में अब थोड़े स्तर पर ही सही, लेकिन उत्पादन शुरू हो चुका है. ऐसे में अब एक बार फिर औद्योगिक क्षेत्र और उद्योगों में विद्युत आपूर्ति की सप्लाई बढ़ी है. लॉकडाउन के कारण राज्य की बिजली वितरण कंपनी जेवीबीएनएल के राजस्व में कमी देखने को मिली है. जबकि, घरेलू विद्युत खपत में इजाफा देखने को मिला.

हालांकि, अब घरेलू और औद्योगिक स्तर पर बिजली की खपत सामान्य हो रही है. कोरोना काल और उससे पहले के विद्युत आपूर्ति आंकड़ों पर नजर डालें तो, लॉकडाउन की अवधि में बिजली की खपत में अप्रत्याशित कमी देखने को मिली है. जबकि, घरेलू स्तर पर सामान्य रूप से बिजली की खपत बनी रही.

ये भी पढ़ें-बिहार में गठबंधन की जीत के लिए झारखंड कांग्रेस भी लगाएगी जोर, पदाधिकारी जाएंगे प्रचार करने

6 महीने में विद्युत आपूर्ति की स्थिति (मेगावाट में )

फरवरी में 30 हजार मेगावाट बिजली की खपत, मार्च में 23 हजार मेगावाट बिजली की खपत, अप्रैल में 22 हजार 500 मेगावाट बिजली की खपत, मई में 22 हजार 500 मेगावाट बिजली की खपत, जून में 32 हजार मेगावाट बिजली की खपत, जुलाई में 34 हजार मेगावाट बिजली की खपत और अगस्त में 33 हजार मेगा वाट बिजली की खपत हुई है. लॉकडाउन के दौरान अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो अप्रैल और मई महीने में विद्युत डिमांड काफी कम रही, जबकि जून महीने से अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद आपूर्ति में बढ़ोतरी दर्ज की गई.

कोरोना काल और उससे पहले के बिजली खपत के आंकड़ों पर नजर डालें तो, फरवरी में 30 हजार मेगावाट बिजली की खपत हुई थी, लेकिन मार्च में 23 हजार मेगावाट, अप्रैल में 22 हजार 500 मेगावाट, मई में 22 हजार 500 मेगावाट, जून में 32 हजार मेगावाट, जुलाई में 34 हजार मेगा वाट और अगस्त में 33 हजार मेगा वाट बिजली की खपत हुई है. अप्रैल और मई महीने में इलेक्ट्रीसिटी की डिमांड काफी कम रही, जबकि जून महीने में आपूर्ति में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

ये भी पढ़ें-वैचारिक तंत्र और राजनीतिक मंत्र साफ, हमारे लिए राष्ट्र सर्वोपरि : पीएम मोदी

विद्युत उप केंद्र से भी आपूर्ति में हुई गिरावट

कोरोना संक्रमण काल में विद्युत ग्रिड से लेकर सब स्टेशन यानी उप केंद्र से प्रभावित होकर घरेलू और औद्योगिक क्षेत्र को जाने वाली विद्युत आपूर्ति में गिरावट दर्ज की गई. पहले जहां विद्युत ग्रिड से 100 मेगावाट विद्युत की आपूर्ति की जाती थी. वहीं अब सिर्फ 60 मेगावाट की ही आवश्यकता है.

अधिकारी बताते हैं कि कई ग्रिड और सब स्टेशनों को आपस में जोड़ा गया है. ऐसे में विद्युत लोड बंटवारा होने से डिमांड भी कम हुआ है. लॉकडाउन के शुरुआती दौर में करीब 3 महीने तक उद्योग धंधों में ताला लटका रहा और उत्पादन कार्य भी पूरी तरह ठप रहा. ऐसे में औद्योगिक इकाइयों को विद्युत आपूर्ति की मांग में गिरावट दर्ज की गई.

उद्यमी कर रहे हैं बिजली फिक्स चार्ज माफ करने की मांग

लॉकडाउन के दौरान 3 महीने तक उद्योग और कल-कारखाने बंद रहने के कारण छोटे, मध्यम और सूक्ष्म दर्जे के उद्योगों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. इन उद्योगों की वित्तीय स्थिति अब भी ठीक नहीं है. ऐसे में सूक्ष्म और छोटे दर्जे के उद्योग केंद्र और राज्य सरकार से बिजली के फिक्स चार्ज को छोड़े जाने की अपील कर रहे हैं.

उद्यमियों ने बताया कि कोरोना काल से पहले देश भर में ऑटोमोबाइल सेक्टर की मंदी छाई हुई थी, लेकिन करीब 8 महीने से भी अधिक समय बीत जाने के बावजूद उद्योगों के विकास के पहिए को गति प्रदान नहीं किया जा सका है. ऐसे में सभी उद्योगों के बिजली से चार्ज को माफ किया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें-रामगढ़ः पतरातू इंडस्ट्रियल एरिया के फर्नेस ऑयल फैक्ट्री में लगी आग, घंटों मशक्कत के बाद पाया गया काबू

उद्योगों ने नियामक आयोग के समक्ष लगाई गुहार

लॉकडाउन पीरियड में उद्योगों का उत्पादन कार्य ठप रहने के कारण उद्योगों को मुनाफा तो दूर कंपनी चलाने में मूलभूत खर्चों को भी उठाना उद्यमियों के लिए मुश्किलों भरा सबब बनता जा रहा है. ऐसे में लगातार विद्युत दरों में रियायत के साथ फिक्स चार्ज छोड़े जाने की मांग उठ रहे हैं. इससे पूर्व नियामक आयोग के ऑनलाइन जन सुनवाई के दौरान सरायकेला औद्योगिक क्षेत्र के तमाम उद्यमी संगठन और उद्योगपतियों ने फिक्स चार्ज छोड़ छोड़े जाने के साथ इंडस्ट्रियल टैरिफ न बढ़ाए जाने की मांग की है और जनसुनवाई के माध्यम से इन मुद्दों पर अपना विरोध भी दर्ज कराया है.

बेहतर हो रही विद्युत वितरण व्यवस्था

झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड की ओर से कोल्हान क्षेत्र समेत औद्योगिक क्षेत्रों में बेहतर विद्युत वितरण व्यवस्था किए जाने का दावा लगातार किया जा रहा है. विद्युत विभाग के अधीक्षण अभियंता सुधांशु कुमार ने बताया कि लॉकडाउन के बाद विद्युत वितरण से जुड़े कई प्रोजेक्ट जो रुके पड़े थे, उन्हें अब गति प्रदान की जा रही है.

इन प्रोजेक्टस के तहत 33 केवीए विद्युत लाइनों को अंडरग्राउंड केबलिंग किया जाना प्रमुख रूप से शामिल है. कोरोना को लेकर लगाए गए लॉकडाउन के शुरुआती दौर में भले ही उद्योग-धंधे बंद रहने के कारण विद्युत आपूर्ति और खपत कम थी, लेकिन अब सब कुछ सामान्य है और विभाग बेहतर विद्युत वितरण व्यवस्था कर रहा है.

सरायकेला: कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से पूरे देश में आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हुईं हैं. लॉकडाउन की वजह से सड़कों पर वाहनों का आवागमन पूरी तरह से बंद कर दिया गया था, जिससे इंधन की खपत काफी कम हुई. ठीक उसी प्रकार लॉकडाउन के दौरान बड़े-बड़े उद्योग धंधे बंद कर दिए गए थे. इस वजह से बिजली की खपत में भारी गिरावट देखने को मिली. हालांकि, अब अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो रहा है.

देखें स्पेशल खबर

औद्योगिक क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति की सप्लाई बढ़ी

औद्योगिक क्षेत्र की कंपनियों में अब थोड़े स्तर पर ही सही, लेकिन उत्पादन शुरू हो चुका है. ऐसे में अब एक बार फिर औद्योगिक क्षेत्र और उद्योगों में विद्युत आपूर्ति की सप्लाई बढ़ी है. लॉकडाउन के कारण राज्य की बिजली वितरण कंपनी जेवीबीएनएल के राजस्व में कमी देखने को मिली है. जबकि, घरेलू विद्युत खपत में इजाफा देखने को मिला.

हालांकि, अब घरेलू और औद्योगिक स्तर पर बिजली की खपत सामान्य हो रही है. कोरोना काल और उससे पहले के विद्युत आपूर्ति आंकड़ों पर नजर डालें तो, लॉकडाउन की अवधि में बिजली की खपत में अप्रत्याशित कमी देखने को मिली है. जबकि, घरेलू स्तर पर सामान्य रूप से बिजली की खपत बनी रही.

ये भी पढ़ें-बिहार में गठबंधन की जीत के लिए झारखंड कांग्रेस भी लगाएगी जोर, पदाधिकारी जाएंगे प्रचार करने

6 महीने में विद्युत आपूर्ति की स्थिति (मेगावाट में )

फरवरी में 30 हजार मेगावाट बिजली की खपत, मार्च में 23 हजार मेगावाट बिजली की खपत, अप्रैल में 22 हजार 500 मेगावाट बिजली की खपत, मई में 22 हजार 500 मेगावाट बिजली की खपत, जून में 32 हजार मेगावाट बिजली की खपत, जुलाई में 34 हजार मेगावाट बिजली की खपत और अगस्त में 33 हजार मेगा वाट बिजली की खपत हुई है. लॉकडाउन के दौरान अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो अप्रैल और मई महीने में विद्युत डिमांड काफी कम रही, जबकि जून महीने से अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद आपूर्ति में बढ़ोतरी दर्ज की गई.

कोरोना काल और उससे पहले के बिजली खपत के आंकड़ों पर नजर डालें तो, फरवरी में 30 हजार मेगावाट बिजली की खपत हुई थी, लेकिन मार्च में 23 हजार मेगावाट, अप्रैल में 22 हजार 500 मेगावाट, मई में 22 हजार 500 मेगावाट, जून में 32 हजार मेगावाट, जुलाई में 34 हजार मेगा वाट और अगस्त में 33 हजार मेगा वाट बिजली की खपत हुई है. अप्रैल और मई महीने में इलेक्ट्रीसिटी की डिमांड काफी कम रही, जबकि जून महीने में आपूर्ति में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

ये भी पढ़ें-वैचारिक तंत्र और राजनीतिक मंत्र साफ, हमारे लिए राष्ट्र सर्वोपरि : पीएम मोदी

विद्युत उप केंद्र से भी आपूर्ति में हुई गिरावट

कोरोना संक्रमण काल में विद्युत ग्रिड से लेकर सब स्टेशन यानी उप केंद्र से प्रभावित होकर घरेलू और औद्योगिक क्षेत्र को जाने वाली विद्युत आपूर्ति में गिरावट दर्ज की गई. पहले जहां विद्युत ग्रिड से 100 मेगावाट विद्युत की आपूर्ति की जाती थी. वहीं अब सिर्फ 60 मेगावाट की ही आवश्यकता है.

अधिकारी बताते हैं कि कई ग्रिड और सब स्टेशनों को आपस में जोड़ा गया है. ऐसे में विद्युत लोड बंटवारा होने से डिमांड भी कम हुआ है. लॉकडाउन के शुरुआती दौर में करीब 3 महीने तक उद्योग धंधों में ताला लटका रहा और उत्पादन कार्य भी पूरी तरह ठप रहा. ऐसे में औद्योगिक इकाइयों को विद्युत आपूर्ति की मांग में गिरावट दर्ज की गई.

उद्यमी कर रहे हैं बिजली फिक्स चार्ज माफ करने की मांग

लॉकडाउन के दौरान 3 महीने तक उद्योग और कल-कारखाने बंद रहने के कारण छोटे, मध्यम और सूक्ष्म दर्जे के उद्योगों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. इन उद्योगों की वित्तीय स्थिति अब भी ठीक नहीं है. ऐसे में सूक्ष्म और छोटे दर्जे के उद्योग केंद्र और राज्य सरकार से बिजली के फिक्स चार्ज को छोड़े जाने की अपील कर रहे हैं.

उद्यमियों ने बताया कि कोरोना काल से पहले देश भर में ऑटोमोबाइल सेक्टर की मंदी छाई हुई थी, लेकिन करीब 8 महीने से भी अधिक समय बीत जाने के बावजूद उद्योगों के विकास के पहिए को गति प्रदान नहीं किया जा सका है. ऐसे में सभी उद्योगों के बिजली से चार्ज को माफ किया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें-रामगढ़ः पतरातू इंडस्ट्रियल एरिया के फर्नेस ऑयल फैक्ट्री में लगी आग, घंटों मशक्कत के बाद पाया गया काबू

उद्योगों ने नियामक आयोग के समक्ष लगाई गुहार

लॉकडाउन पीरियड में उद्योगों का उत्पादन कार्य ठप रहने के कारण उद्योगों को मुनाफा तो दूर कंपनी चलाने में मूलभूत खर्चों को भी उठाना उद्यमियों के लिए मुश्किलों भरा सबब बनता जा रहा है. ऐसे में लगातार विद्युत दरों में रियायत के साथ फिक्स चार्ज छोड़े जाने की मांग उठ रहे हैं. इससे पूर्व नियामक आयोग के ऑनलाइन जन सुनवाई के दौरान सरायकेला औद्योगिक क्षेत्र के तमाम उद्यमी संगठन और उद्योगपतियों ने फिक्स चार्ज छोड़ छोड़े जाने के साथ इंडस्ट्रियल टैरिफ न बढ़ाए जाने की मांग की है और जनसुनवाई के माध्यम से इन मुद्दों पर अपना विरोध भी दर्ज कराया है.

बेहतर हो रही विद्युत वितरण व्यवस्था

झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड की ओर से कोल्हान क्षेत्र समेत औद्योगिक क्षेत्रों में बेहतर विद्युत वितरण व्यवस्था किए जाने का दावा लगातार किया जा रहा है. विद्युत विभाग के अधीक्षण अभियंता सुधांशु कुमार ने बताया कि लॉकडाउन के बाद विद्युत वितरण से जुड़े कई प्रोजेक्ट जो रुके पड़े थे, उन्हें अब गति प्रदान की जा रही है.

इन प्रोजेक्टस के तहत 33 केवीए विद्युत लाइनों को अंडरग्राउंड केबलिंग किया जाना प्रमुख रूप से शामिल है. कोरोना को लेकर लगाए गए लॉकडाउन के शुरुआती दौर में भले ही उद्योग-धंधे बंद रहने के कारण विद्युत आपूर्ति और खपत कम थी, लेकिन अब सब कुछ सामान्य है और विभाग बेहतर विद्युत वितरण व्यवस्था कर रहा है.

Last Updated : Sep 26, 2020, 4:26 PM IST

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