सरायकेला: जिले में कमजोर पड़े मानसून और औसतन से कम बारिश ने किसानों के पेशानी पर बल ला दिया है. एक तरफ मौसम की मार तो दूसरी तरफ धान के बीज का वितरण सुचारू तरीके से नहीं हो पाने के कारण किसानों को अब प्राइवेट दुकानों से अधिक मूल्य पर बीज खरीदना पड़ रहा है. ऐसे में खरीदे गए बीजों की रोपनी होने के बाद इस बात की गारंटी भी नहीं कि फसल किस तरह की होगी.
मानसून की देरी ने भी किसानों को खासा परेशान कर दिया है. हजारों किसान खेती से वंचित हो रहे हैं, नतीजतन हजारों एकड़ खेतों पर ना ही हल चल पा रहा है. कई जगहों पर शुरुआती बारिश के बाद किसानों ने प्राइवेट दुकानों से बीज खरीद लिए थे, लेकिन अब मानसून की देरी ने उन्हें परेशान कर दिया है.
ऊंची कीमत पर बीज खरीदने को मजबूर हैं किसान
जिले में किसान सामान्य बाजार में 60 रूपये प्रति किलो लोकल धान के बीज खरीद रहे हैं. वहीं, हाइब्रिड धान के बीज के मूल्य 300 रूपये प्रति किलो हैं, जो किसान पर अतिरिक्त बोझ दे रहा है, ज्यादातर खेतों से नमी समाप्त हो चली है, ऐसे में ऊंची कीमत पर बीज खरीदारी करने का भी किसानों को कोई फायदा नहीं दिख रहा है.
कृषि विभाग किसानों को लाभ पहुंचाने का कर रही दावा
कम बारिश के कारण कृषि विभाग अब किसानों को दलहन की खेती करने के लिए प्रेरित कर रहा है. लेकिन किसानों की मानें तो दलहन की खेती से इनका जीवन यापन नहीं हो सकता. इस बीच कृषि विभाग किसानों को समुचित लाभ प्रदान किए जाने का दावा कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है.
वर्तमान में वातावरण में आ रहे बदलावों ने बीते कुछ समय से मौसम का मिजाज बदल दिया है जिसका सीधा असर खेती पर पड़ रहा है. अगर वक्त रहते मानसून सक्रिय नहीं हुआ तो आगे स्थिति और भयावह हो सकती है.