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मानसून की बेरुखी ने बढ़ायी किसानों की चिंता, खेतों में नमी नहीं होने से परेशान है किसान - झारखंड समाचार

कमजोर पड़े मानसून ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है, उनकी समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है. कभी बीज के लिए परेशान होना पड़ता है तो कभी मौसम की बेरुखी की मार झेलनी पड़ती है.

खेत में बीज डालता किसान
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Published : Jul 16, 2019, 8:54 AM IST

सरायकेला: जिले में कमजोर पड़े मानसून और औसतन से कम बारिश ने किसानों के पेशानी पर बल ला दिया है. एक तरफ मौसम की मार तो दूसरी तरफ धान के बीज का वितरण सुचारू तरीके से नहीं हो पाने के कारण किसानों को अब प्राइवेट दुकानों से अधिक मूल्य पर बीज खरीदना पड़ रहा है. ऐसे में खरीदे गए बीजों की रोपनी होने के बाद इस बात की गारंटी भी नहीं कि फसल किस तरह की होगी.

देखें पूरी खबर

मानसून की देरी ने भी किसानों को खासा परेशान कर दिया है. हजारों किसान खेती से वंचित हो रहे हैं, नतीजतन हजारों एकड़ खेतों पर ना ही हल चल पा रहा है. कई जगहों पर शुरुआती बारिश के बाद किसानों ने प्राइवेट दुकानों से बीज खरीद लिए थे, लेकिन अब मानसून की देरी ने उन्हें परेशान कर दिया है.

ऊंची कीमत पर बीज खरीदने को मजबूर हैं किसान

जिले में किसान सामान्य बाजार में 60 रूपये प्रति किलो लोकल धान के बीज खरीद रहे हैं. वहीं, हाइब्रिड धान के बीज के मूल्य 300 रूपये प्रति किलो हैं, जो किसान पर अतिरिक्त बोझ दे रहा है, ज्यादातर खेतों से नमी समाप्त हो चली है, ऐसे में ऊंची कीमत पर बीज खरीदारी करने का भी किसानों को कोई फायदा नहीं दिख रहा है.

कृषि विभाग किसानों को लाभ पहुंचाने का कर रही दावा

कम बारिश के कारण कृषि विभाग अब किसानों को दलहन की खेती करने के लिए प्रेरित कर रहा है. लेकिन किसानों की मानें तो दलहन की खेती से इनका जीवन यापन नहीं हो सकता. इस बीच कृषि विभाग किसानों को समुचित लाभ प्रदान किए जाने का दावा कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है.

वर्तमान में वातावरण में आ रहे बदलावों ने बीते कुछ समय से मौसम का मिजाज बदल दिया है जिसका सीधा असर खेती पर पड़ रहा है. अगर वक्त रहते मानसून सक्रिय नहीं हुआ तो आगे स्थिति और भयावह हो सकती है.

सरायकेला: जिले में कमजोर पड़े मानसून और औसतन से कम बारिश ने किसानों के पेशानी पर बल ला दिया है. एक तरफ मौसम की मार तो दूसरी तरफ धान के बीज का वितरण सुचारू तरीके से नहीं हो पाने के कारण किसानों को अब प्राइवेट दुकानों से अधिक मूल्य पर बीज खरीदना पड़ रहा है. ऐसे में खरीदे गए बीजों की रोपनी होने के बाद इस बात की गारंटी भी नहीं कि फसल किस तरह की होगी.

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मानसून की देरी ने भी किसानों को खासा परेशान कर दिया है. हजारों किसान खेती से वंचित हो रहे हैं, नतीजतन हजारों एकड़ खेतों पर ना ही हल चल पा रहा है. कई जगहों पर शुरुआती बारिश के बाद किसानों ने प्राइवेट दुकानों से बीज खरीद लिए थे, लेकिन अब मानसून की देरी ने उन्हें परेशान कर दिया है.

ऊंची कीमत पर बीज खरीदने को मजबूर हैं किसान

जिले में किसान सामान्य बाजार में 60 रूपये प्रति किलो लोकल धान के बीज खरीद रहे हैं. वहीं, हाइब्रिड धान के बीज के मूल्य 300 रूपये प्रति किलो हैं, जो किसान पर अतिरिक्त बोझ दे रहा है, ज्यादातर खेतों से नमी समाप्त हो चली है, ऐसे में ऊंची कीमत पर बीज खरीदारी करने का भी किसानों को कोई फायदा नहीं दिख रहा है.

कृषि विभाग किसानों को लाभ पहुंचाने का कर रही दावा

कम बारिश के कारण कृषि विभाग अब किसानों को दलहन की खेती करने के लिए प्रेरित कर रहा है. लेकिन किसानों की मानें तो दलहन की खेती से इनका जीवन यापन नहीं हो सकता. इस बीच कृषि विभाग किसानों को समुचित लाभ प्रदान किए जाने का दावा कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है.

वर्तमान में वातावरण में आ रहे बदलावों ने बीते कुछ समय से मौसम का मिजाज बदल दिया है जिसका सीधा असर खेती पर पड़ रहा है. अगर वक्त रहते मानसून सक्रिय नहीं हुआ तो आगे स्थिति और भयावह हो सकती है.

Intro:कोल्हान प्रमंडल के सरायकेला - खरसावां जिले में भी कमजोर पड़े मानसून ने किसानों की चिंताएं बढ़ा दी है , जिले में किसानों की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है . कभी बीज के लिए किसानों को परेशान होना पड़ता है तो कभी मौसम की बेरुखी की मार झेलनी पड़ती है.Body:जिले में कमजोर पड़े मानसून और औसतन से भी कम बारिश ने किसानों का जीना मुहाल कर दिया है , एक तरफ मौसम की मार तो दूसरी तरफ धान के बीज का वितरण सुचारू तरीके से नहीं हो पाने के कारण किसानों को अब प्राइवेट दुकानों से अधिक मूल्य पर बीज खरीदना पड़ रहा है , वह भी किसान इन बीजों को खरीदकर मानो जुआ खेल रहे हैं , क्योंकि बिना बारिश महंगे मूल्य पर खरीदे गए बीजों की रोपनी होने के बाद इस बात की गारंटी नहीं कि फसल हो पाएगा या नहीं.

मानसून की देरी ने भी किसानों को खासा परेशान कर दिया है, जिले के हजारों किसान खेती से वंचित हो रहे हैं नतीजतन हजारों एकड़ खेतों पर ना ही हल चल पा रहा है और ना ही वहां खेती हो पा रही है , जहां कहां हल्की बारिश पर किसान आस लगाकर बाजार से ऊंचे दाम पर बीज खरीद सालों भर के लिए अनाज उगाने के जुगत में लगे हैं तो वहीं मॉनसून के देरी के कारण अब किसान दोहरा मार झेल रहे.

सरकारी बीज नहीं मिलने से हाइब्रिड बीजों का ले रहे सहारा          .

जिले में किसान सामान्य बाजार में 60 रूपये प्रति किलो लोकल धान के बीज खरीद रहे हैं तो वहीं हाइब्रिड धान के बीज के मूल्य 300 रूपये प्रति किलो है जो कि किसान पर अतिरिक्त बोझ दे रहा है , ज्यादातर खेतों से नमी समाप्त हो चली है, ऐसे में ऊचें कीमत पर बीज खरीदारी करने का भी किसानों को कोई फायदा नहीं दिख रहा है.

कृषि विभाग किसानों को लाभ पहुंचाने का कर रही दावा

कम बारिश के कारण कृषि विभाग अब किसानों को दलहन की खेती करने के लिए प्रेरित कर रहा है लेकिन किसानों की मानें तो दलहन की खेती से इनका जीवन यापन नहीं हो सकता , इस बीच जिला कृषि विभाग किसानों को समुचित लाभ प्रदान किए जाने का दावा कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है.Conclusion:वर्तमान में वातावरण में आ रहे बदलावों ने बीते कुछ समय से मौसम के मिजाज बदल डाला है जिसका सीधा असर खेती-बाड़ी पर पड़ रहा है वक्त रहते मानसून सक्रिय नहीं हुआ तो आगे स्थिति और भयावह होगी .

बाइट - के0 एन0 सिंह , किसान ( गंजी पहने )

बाइट - हरधर सिंह , किसान (चेक शर्ट )

बाइट – विजय कुजूर , जिला कृषि पदाधिकारी (ब्लू शर्ट चस्मा में )
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