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सरायकेला में किसानों को नहीं मिले सरकारी बीज, बाजार से ज्यादा रेट में खरीदकर कर रहे खेती

इस साल 1190 हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन लक्ष्य के मुताबिक अब तक खेती नहीं हुई है. अब तक केवल 8 फीसदी ही धान की खेती हो सकी है. मक्के की खेती भी तकरीबन 30 फीसदी हुई है. वहीं, दलहन और तिलहन की खेती भी शुरू नहीं हो सकी है. उम्मीद जताई जा रही है कि जुलाई के आखिरी तक दलहन और तिलहन की खेती शुरू की जा सकेगी.

Farmers did not get seed from government in Seraikela
सरायकेला में किसानों को नहीं मिला सरकारी की ओर से बीज
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Published : Jul 12, 2020, 12:34 PM IST

सरायकेला: मानसून के दस्तक देते ही लगातार बारिश का होना जिले के किसानों के लिए शुभ संकेत है. अच्छी खबर यह भी है कि पिछले 5 साल में जून महीने में जितनी बारिश दर्ज की गई थी, उससे कहीं अधिक बारिश इस साल दर्ज की गई है. इससे अच्छी खेती की संभावना जताई जा रही है. अन्य वर्षो की अपेक्षा इस वर्ष जून महीने में अधिक बारिश से किसानों के साथ-साथ कृषि विभाग के पदाधिकारियों में भी खुशी है. प्रखंड कृषि पदाधिकारी दिनेश गुप्ता ने बताया कि इस साल जून में 206 मिलीमीटर बारिश हुई है. यह पिछले 5 साल में सबसे अधिक रिकॉर्ड में शुमार है.

देखें ये स्पेशल स्टोरी

पिछले कई साल की अपेक्षा इस साल अच्छी बारिश की वजह से जहां धान की बेहतर खेती होने की संभावना है, वहीं, सरकारी स्तर पर बीज उपलब्ध नहीं होने के कारण लक्ष्य से महज 20 फीसदी भूमि पर ही कृषि कार्य शुरू हो पाया है, जो कि चिंता का विषय है. कृषि पदाधिकारी दिनेश प्रसाद गुप्ता ने बताया कि इस साल 1190 हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन लक्ष्य के मुताबिक अब तक खेती नहीं हुई है. अब तक केवल 8 फीसदी ही धान की खेती हो सकी है. मक्के की खेती भी तकरीबन 30 फीसदी तक हुई है. वहीं, दलहन और तिलहन की खेती भी शुरू नहीं हो सकी है. उम्मीद जताई जा रही है कि जुलाई के आखिरी तक दलहन और तिलहन की खेती शुरू की जा सकेगी.

ये भी पढ़ें- हजारीबाग: गांवों की बदली जीवनशैली, खेती में रमे नौनिहाल

पिछले 5 साल में जून महीने में बारिश का रिकॉर्ड

  • 2015- 70.8 मिमी
  • 2016- 106.6 मिमी
  • 2017- 118.4 मिमी
  • 2018- 84.9 मिमी
  • 2019- 62 मिमी
  • 2020- 206 मिमी

लैंपस से उपलब्ध नहीं कराये गए धान के बीज
प्रखंड कृषि पदाधिकारी दिनेश प्रसाद गुप्ता ने बताया है कि गम्हरिया प्रखंड को लैंपस के माध्यम से धान का बीज प्राप्त नहीं हो सका है. उन्होंने बताया कि लैंपस की ओर से ड्राफ्ट जमा नहीं किए जाने के कारण धान का बीज उपलब्ध नहीं कराया गया है. ऐसे में किसानों को अनुदान पर धान बीज वितरण किए जाने का काम अब तक नहीं हो सका.


निजी दुकानों से ऊंचे मूल्य पर धान खरीदने को मजबूर किसान
प्रखंड स्तर पर अनुदान के तहत किसानों को धान बीज मुहैया कराए जाने का मामला इस बार अधर में लटक गया है. ऐसे में किसानों को अधिकृत बीज खाद के निजी दुकानों से धान खेती के लिए बीज क्रय करना पड़ रहा है. किसानों को बीज के लिए अधिक मूल्य चुकाने पड़ रहे हैं, जो किसानों पर अतिरिक्त बोझ है.

सरायकेला: मानसून के दस्तक देते ही लगातार बारिश का होना जिले के किसानों के लिए शुभ संकेत है. अच्छी खबर यह भी है कि पिछले 5 साल में जून महीने में जितनी बारिश दर्ज की गई थी, उससे कहीं अधिक बारिश इस साल दर्ज की गई है. इससे अच्छी खेती की संभावना जताई जा रही है. अन्य वर्षो की अपेक्षा इस वर्ष जून महीने में अधिक बारिश से किसानों के साथ-साथ कृषि विभाग के पदाधिकारियों में भी खुशी है. प्रखंड कृषि पदाधिकारी दिनेश गुप्ता ने बताया कि इस साल जून में 206 मिलीमीटर बारिश हुई है. यह पिछले 5 साल में सबसे अधिक रिकॉर्ड में शुमार है.

देखें ये स्पेशल स्टोरी

पिछले कई साल की अपेक्षा इस साल अच्छी बारिश की वजह से जहां धान की बेहतर खेती होने की संभावना है, वहीं, सरकारी स्तर पर बीज उपलब्ध नहीं होने के कारण लक्ष्य से महज 20 फीसदी भूमि पर ही कृषि कार्य शुरू हो पाया है, जो कि चिंता का विषय है. कृषि पदाधिकारी दिनेश प्रसाद गुप्ता ने बताया कि इस साल 1190 हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन लक्ष्य के मुताबिक अब तक खेती नहीं हुई है. अब तक केवल 8 फीसदी ही धान की खेती हो सकी है. मक्के की खेती भी तकरीबन 30 फीसदी तक हुई है. वहीं, दलहन और तिलहन की खेती भी शुरू नहीं हो सकी है. उम्मीद जताई जा रही है कि जुलाई के आखिरी तक दलहन और तिलहन की खेती शुरू की जा सकेगी.

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पिछले 5 साल में जून महीने में बारिश का रिकॉर्ड

  • 2015- 70.8 मिमी
  • 2016- 106.6 मिमी
  • 2017- 118.4 मिमी
  • 2018- 84.9 मिमी
  • 2019- 62 मिमी
  • 2020- 206 मिमी

लैंपस से उपलब्ध नहीं कराये गए धान के बीज
प्रखंड कृषि पदाधिकारी दिनेश प्रसाद गुप्ता ने बताया है कि गम्हरिया प्रखंड को लैंपस के माध्यम से धान का बीज प्राप्त नहीं हो सका है. उन्होंने बताया कि लैंपस की ओर से ड्राफ्ट जमा नहीं किए जाने के कारण धान का बीज उपलब्ध नहीं कराया गया है. ऐसे में किसानों को अनुदान पर धान बीज वितरण किए जाने का काम अब तक नहीं हो सका.


निजी दुकानों से ऊंचे मूल्य पर धान खरीदने को मजबूर किसान
प्रखंड स्तर पर अनुदान के तहत किसानों को धान बीज मुहैया कराए जाने का मामला इस बार अधर में लटक गया है. ऐसे में किसानों को अधिकृत बीज खाद के निजी दुकानों से धान खेती के लिए बीज क्रय करना पड़ रहा है. किसानों को बीज के लिए अधिक मूल्य चुकाने पड़ रहे हैं, जो किसानों पर अतिरिक्त बोझ है.

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