सरायकेला: जिले से सटे चाईबासा के रो रो हिल के पास 40 साल पहले एस्बेस्टस की खदानें चलने का असर पर्यावरण और प्रकृति पर होने लगा है. चाईबासा मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर रो रो हिल टॉप के आसपास अब वनों की स्थिति बद से बदतर होने लगी है.
चाईबासा समेत उसके आसपास के गांवों में पेड़ों की खराब स्थिति की वजह से स्थानीय लोगों में एक विशेष तरह की बिमारी फैल रही है और खेतों में धूलकण के कारण जमीन भी बंजर हो रही है. स्थानीय क्षेत्र की स्थिति बिगड़ता देख एक स्वयंसेवी संगठन ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को सूचित किया है, जिसके बाद एनजीटी के संज्ञान में मामला आने के बाद अब प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने भी कार्रवाई शुरू की है.
वहीं, स्थानीय जिला प्रशासन भी अब हरकत में आया है प्रदूषण नियंत्रण परिषद के क्षेत्रीय निदेशक सुरेश पासवान ने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश पर कोल्हान आयुक्त ने इस समस्या को लेकर बैठक बुलाई थी. वन विभाग, सिविल सर्जन, जिला कृषि पदाधिकारी समेत अन्य सरकारी कर्मियों ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया है.
40 वर्ष पहले तैयार किया गया था खदान
बताया जाता है, कि 40 वर्ष पहले हैदराबाद इंडस्ट्रीज लिमिटेड नामक कंपनी को खदान का लीज मिला था, जो आसपास के लोगों से ही खदान में काम करवाता था, यहां एस बेस्टेस्ट बनने वाले पत्थरों की पिसाई और पाउडर को तैयार किया जाता था. हालांकि खदान खुलने के कुछ साल बाद ही उसे बंद कर दिया गया था.
पुनर्वास और पर्यावरण संरक्षण के लिए 200 करोड़ का प्रोजेक्ट हुआ तैयार
प्रदूषण नियंत्रण परिषद के निदेशक सुरेश पासवान ने बताया कि जंगल बचाने, खेती योग्य जमीन को फिर से कृषि के लिए उपयोगी बनाने के उद्देश्य से वन विभाग द्वारा 200 करोड़ की नई योजना का डीपीआर तैयार किया गया है ,