ETV Bharat / state

40 साल से बंद पड़े खदान ने बिगाड़ा पर्यावरण, प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने लिया एक्शन - ईटीवी झारखंड न्यूज

चाईबासा के रो रो हिल के पास 40 साल पहले एस्बेस्टस की खदानें चलने का असर पर्यावरण और प्रकृति पर होने लगा है. आसपास के गांवों में पेड़ों की खराब स्थिति की वजह से स्थानीय लोगों में एक विशेष तरह की बिमारी फैल रही है और खेतों में धूलकण के कारण जमीन भी बंजर हो रही है.

खदान ने बिगाड़ा पर्यावरण
author img

By

Published : Jun 18, 2019, 7:46 PM IST

सरायकेला: जिले से सटे चाईबासा के रो रो हिल के पास 40 साल पहले एस्बेस्टस की खदानें चलने का असर पर्यावरण और प्रकृति पर होने लगा है. चाईबासा मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर रो रो हिल टॉप के आसपास अब वनों की स्थिति बद से बदतर होने लगी है.

देखें पूरी खबर

चाईबासा समेत उसके आसपास के गांवों में पेड़ों की खराब स्थिति की वजह से स्थानीय लोगों में एक विशेष तरह की बिमारी फैल रही है और खेतों में धूलकण के कारण जमीन भी बंजर हो रही है. स्थानीय क्षेत्र की स्थिति बिगड़ता देख एक स्वयंसेवी संगठन ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को सूचित किया है, जिसके बाद एनजीटी के संज्ञान में मामला आने के बाद अब प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने भी कार्रवाई शुरू की है.

वहीं, स्थानीय जिला प्रशासन भी अब हरकत में आया है प्रदूषण नियंत्रण परिषद के क्षेत्रीय निदेशक सुरेश पासवान ने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश पर कोल्हान आयुक्त ने इस समस्या को लेकर बैठक बुलाई थी. वन विभाग, सिविल सर्जन, जिला कृषि पदाधिकारी समेत अन्य सरकारी कर्मियों ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया है.

40 वर्ष पहले तैयार किया गया था खदान
बताया जाता है, कि 40 वर्ष पहले हैदराबाद इंडस्ट्रीज लिमिटेड नामक कंपनी को खदान का लीज मिला था, जो आसपास के लोगों से ही खदान में काम करवाता था, यहां एस बेस्टेस्ट बनने वाले पत्थरों की पिसाई और पाउडर को तैयार किया जाता था. हालांकि खदान खुलने के कुछ साल बाद ही उसे बंद कर दिया गया था.
पुनर्वास और पर्यावरण संरक्षण के लिए 200 करोड़ का प्रोजेक्ट हुआ तैयार
प्रदूषण नियंत्रण परिषद के निदेशक सुरेश पासवान ने बताया कि जंगल बचाने, खेती योग्य जमीन को फिर से कृषि के लिए उपयोगी बनाने के उद्देश्य से वन विभाग द्वारा 200 करोड़ की नई योजना का डीपीआर तैयार किया गया है ,

सरायकेला: जिले से सटे चाईबासा के रो रो हिल के पास 40 साल पहले एस्बेस्टस की खदानें चलने का असर पर्यावरण और प्रकृति पर होने लगा है. चाईबासा मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर रो रो हिल टॉप के आसपास अब वनों की स्थिति बद से बदतर होने लगी है.

देखें पूरी खबर

चाईबासा समेत उसके आसपास के गांवों में पेड़ों की खराब स्थिति की वजह से स्थानीय लोगों में एक विशेष तरह की बिमारी फैल रही है और खेतों में धूलकण के कारण जमीन भी बंजर हो रही है. स्थानीय क्षेत्र की स्थिति बिगड़ता देख एक स्वयंसेवी संगठन ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को सूचित किया है, जिसके बाद एनजीटी के संज्ञान में मामला आने के बाद अब प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने भी कार्रवाई शुरू की है.

वहीं, स्थानीय जिला प्रशासन भी अब हरकत में आया है प्रदूषण नियंत्रण परिषद के क्षेत्रीय निदेशक सुरेश पासवान ने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश पर कोल्हान आयुक्त ने इस समस्या को लेकर बैठक बुलाई थी. वन विभाग, सिविल सर्जन, जिला कृषि पदाधिकारी समेत अन्य सरकारी कर्मियों ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया है.

40 वर्ष पहले तैयार किया गया था खदान
बताया जाता है, कि 40 वर्ष पहले हैदराबाद इंडस्ट्रीज लिमिटेड नामक कंपनी को खदान का लीज मिला था, जो आसपास के लोगों से ही खदान में काम करवाता था, यहां एस बेस्टेस्ट बनने वाले पत्थरों की पिसाई और पाउडर को तैयार किया जाता था. हालांकि खदान खुलने के कुछ साल बाद ही उसे बंद कर दिया गया था.
पुनर्वास और पर्यावरण संरक्षण के लिए 200 करोड़ का प्रोजेक्ट हुआ तैयार
प्रदूषण नियंत्रण परिषद के निदेशक सुरेश पासवान ने बताया कि जंगल बचाने, खेती योग्य जमीन को फिर से कृषि के लिए उपयोगी बनाने के उद्देश्य से वन विभाग द्वारा 200 करोड़ की नई योजना का डीपीआर तैयार किया गया है ,

Intro:40 सालों से बंद एस बेस्टस की माइंस ने बिगाड़ा पर्यावरण संतुलन , प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने कसा शिकंजा ।

सरायकेला जिले से सटे चाईबासा के रो रो हिल के पास 40 साल पूर्व एस्बेस्टस की खदानें चलने का खामियाजा पर्यावरण और प्रकृति अब भुगत रही है । चाईबासा मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर रो रो हिलटॉप के आसपास अब वनों की स्थिति बद से बदतर हो रही है, जबकि आसपास के बस्तियों और टोलों
के लोग अब बीमारी से भी संक्रमित हो रहे हैं।


Body:स्थानीय क्षेत्र की स्थिति बिगड़ता देख एक स्वयंसेवी संगठन ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को सूचित किया है । जिसके बाद एनजीटी के संज्ञान में मामला आने के बाद अब प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने भी कार्रवाई शुरू कर दी है।

वहीं स्थानीय जिला प्रशासन भी अब हरकत में है मामले के संबंध में जानकारी देते हुए प्रदूषण नियंत्रण परिषद के क्षेत्रीय निदेशक सुरेश पासवान ने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश पर कोल्हान आयुक्त ने इस समस्या को लेकर बैठक बुलाई थी। जिसमें वन विभाग सिविल सर्जन जिला कृषि पदाधिकारी समेत अन्य सरकारी कर्मियों ने प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर वहां की वस्तु स्थिति जाने जिससे पाया गया कि स्थानीय लोगों में एक विशेष तरह की बीमारी फैल रही है और खेतों में धूल कण के कारण जमीन भी बंजर हो रही है।

बताया जाता है कि 40 वर्ष पूर्व हैदराबाद इंडस्ट्रीज लिमिटेड नामक कंपनी को खदान का लीज मिला था, जो आसपास के लोगों से ही खदान में काम करवाता था, यहां एस बेस्टेस्ट बनने वाले पत्थरों की पिसाई और पाउडर को तैयार किया जाता था। हालांकि 40 वर्ष पूर्व ही खदान बंद हो चुका है लेकिन इस खदान का दुष्प्रभाव अब खूब देखने को मिल रहा है।

पुनर्वास और पर्यावरण संरक्षण को लेकर 200 करोड़ का प्रोजेक्ट हुआ तैयार।


प्रदूषण नियंत्रण परिषद के निदेशक सुरेश पासवान ने बताया कि जंगल बचाने खेती योग्य जमीन को फिर से कृषि के लिए उपयोगी बनाने के उद्देश्य से वन विभाग द्वारा 200 करोड़ वाले नई योजना का डीपीआर तैयार किया गया है ।इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग और कृषि विभाग के सहयोग से इस योजना को धरातल पर उतारने की कवायद शुरू की जाएगी, साथ ही एनजीटी के आदेश के बाद इस योजना पर कार्य शुरू होगा।


बाइट - सुरेश पासवान , क्षेत्रीय निदेशक, प्रदूषण नियंत्रण पर्षद .


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.