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खरसावां शहीद स्थल पहुंचे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, शहीदों को दी श्रद्धांजलि, कहा- डबल इंजन सरकार ने आदिवासियों को दबाने की कोशिश की - CM Hemant Soren kharsawan

Kharsawan firing incident. खरसावां गोलीकांड की बरसी पर सीएम हेमंत सोरेन ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान उन्होंने पूर्व की भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि आज आदिवासियों का विकास नहीं हो सका है, तो इसके पीछे का कारण पूर्व की सरकारें हैं.

Kharsawan firing incident
Kharsawan firing incident
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 1, 2024, 6:27 PM IST

Updated : Jan 1, 2024, 7:14 PM IST

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि

सरायकेला: 1 जनवरी 1948 को खरसावां गोलीकांड में शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खरसावां शहीद स्थल पहुंचे. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शहीद बेदी पहुंचे और जवानों को श्रद्धांजलि दी, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने शहीद स्मारक की परिक्रमा की और शहीदों को नमन किया. मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने खरसावां शहीद दिवस के मौके पर आयोजित जनसभा को भी संबोधित किया, जहां मुख्यमंत्री ने बीजेपी की डबल इंजन सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पिछली सरकार के मुखिया ने इस पवित्र शहीद स्थल पर शहीदों का अपमान किया था. जिसका परिणाम सभी ने देखा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकार ने आदिवासियों को दबाने और कुचलने की कोशिश की. पत्थलगड़ी जैसे मुद्दों पर आदिवासी समाज को लगातार अस्थिर करने का प्रयास किया गया, राज्य में अराजकता का माहौल कायम हो गया, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय आदिवासियों ने पिछली सरकार को उखाड़ फेंकने का काम किया. झारखंड अलग गठन हुए 19 सालों तक आदिवासियों का दमन और शोषण हुआ, आदिवासी को वनवाशी की संज्ञा दी जाती रही. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि हमारे ही समाज के कुछ सोरेन, मुंडा, बोदरा, बिरुवा, आदिवासी हक की तो बात करते हैं लेकिन वह अपने आका के हुकुम के गुलाम हैं.

शहादत स्थल बना आदिवासियों के लिए प्रेरणा: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने संबोधन में कहा कि एक जनवरी को जहां पूरा देश नये साल का जश्न मनाता है, वहीं खरसावां के लोग इस पवित्र भूमि पर पहुंचकर शहीदों को नमन करते हैं. आज खरसावां का यही स्थान आदिवासियों के लिए प्रेरणा स्थल बन गया है. आदिवासी समाज का सदियों से संघर्ष का इतिहास रहा है, इसी संघर्ष के कारण आदिवासियों ने अपनी पहचान बनाई है, आदिवासी समुदाय के लोगों का आर्थिक, सामाजिक और बौद्धिक स्तर पर विकास नहीं हो सका, इसका नतीजा नीति निर्धारण करने वालों की उपेक्षा रही है. लेकिन अब सरकार पहल कर रही है.

इस मौके पर मौजूद झारखंड सरकार के जनजातीय कल्याण एवं परिवहन मंत्री ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड अलग राज्य आंदोलन की शुरुआत खरसावां की इसी पवित्र भूमि से हुई थी. इसी पवित्र स्थान से शुरू हुए आंदोलन के चलते झारखंड अलग राज्य का आंदोलन सफल हो सका. वहीं खरसावां विधायक दशरथ गागराई ने भी जनसभा को संबोधित किया, इस मौके पर मुख्य रूप से मंत्री जोबा मांझी, विधायक दीपक बिरवा, सुखराम उरांव समेत झामुमो पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद थे.

यह भी पढ़ें: खरसावां गोलीकांड के शहीदों का बलिदान हमारे लिए आज भी प्रेरणास्रोत: राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन

यह भी पढ़ें: खरसावां गोलीकांड की बरसी: केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने किया शहीदों को नमन, आदिवासी समाज को आगे बढ़ाने का लिया संकल्प

यह भी पढ़ें: गुआ गोलीकांड के शहीदों को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दी श्रद्धांजलि, कई योजनाओं का किया शिलान्यास और उद्घाटन

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि

सरायकेला: 1 जनवरी 1948 को खरसावां गोलीकांड में शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खरसावां शहीद स्थल पहुंचे. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शहीद बेदी पहुंचे और जवानों को श्रद्धांजलि दी, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने शहीद स्मारक की परिक्रमा की और शहीदों को नमन किया. मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने खरसावां शहीद दिवस के मौके पर आयोजित जनसभा को भी संबोधित किया, जहां मुख्यमंत्री ने बीजेपी की डबल इंजन सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पिछली सरकार के मुखिया ने इस पवित्र शहीद स्थल पर शहीदों का अपमान किया था. जिसका परिणाम सभी ने देखा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकार ने आदिवासियों को दबाने और कुचलने की कोशिश की. पत्थलगड़ी जैसे मुद्दों पर आदिवासी समाज को लगातार अस्थिर करने का प्रयास किया गया, राज्य में अराजकता का माहौल कायम हो गया, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय आदिवासियों ने पिछली सरकार को उखाड़ फेंकने का काम किया. झारखंड अलग गठन हुए 19 सालों तक आदिवासियों का दमन और शोषण हुआ, आदिवासी को वनवाशी की संज्ञा दी जाती रही. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि हमारे ही समाज के कुछ सोरेन, मुंडा, बोदरा, बिरुवा, आदिवासी हक की तो बात करते हैं लेकिन वह अपने आका के हुकुम के गुलाम हैं.

शहादत स्थल बना आदिवासियों के लिए प्रेरणा: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने संबोधन में कहा कि एक जनवरी को जहां पूरा देश नये साल का जश्न मनाता है, वहीं खरसावां के लोग इस पवित्र भूमि पर पहुंचकर शहीदों को नमन करते हैं. आज खरसावां का यही स्थान आदिवासियों के लिए प्रेरणा स्थल बन गया है. आदिवासी समाज का सदियों से संघर्ष का इतिहास रहा है, इसी संघर्ष के कारण आदिवासियों ने अपनी पहचान बनाई है, आदिवासी समुदाय के लोगों का आर्थिक, सामाजिक और बौद्धिक स्तर पर विकास नहीं हो सका, इसका नतीजा नीति निर्धारण करने वालों की उपेक्षा रही है. लेकिन अब सरकार पहल कर रही है.

इस मौके पर मौजूद झारखंड सरकार के जनजातीय कल्याण एवं परिवहन मंत्री ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड अलग राज्य आंदोलन की शुरुआत खरसावां की इसी पवित्र भूमि से हुई थी. इसी पवित्र स्थान से शुरू हुए आंदोलन के चलते झारखंड अलग राज्य का आंदोलन सफल हो सका. वहीं खरसावां विधायक दशरथ गागराई ने भी जनसभा को संबोधित किया, इस मौके पर मुख्य रूप से मंत्री जोबा मांझी, विधायक दीपक बिरवा, सुखराम उरांव समेत झामुमो पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद थे.

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Last Updated : Jan 1, 2024, 7:14 PM IST
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