सरायकेला: जिला में छऊ कलाकार भी कोरोना संक्रमण काल से अछूते नहीं है. एक साल से भी अधिक समय गुजर जाने के बाद भी छऊ कलाकारों की जीवन पटरी पर नहीं लौटी है. हालांकि अब भी इस संक्रमण काल में कलाकार अपनी कला संस्कृति को संजोने के लिए लगातार जद्दोजहद कर रहे हैं. कोरोना की दूसरी लहर के बीच आम जनजीवन के साथ नृत्य कला संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में इसका व्यापक असर है. सरायकेला के विश्व प्रसिद्ध राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र में लंबे समय से स्थानीय पर्यटक और कलाकारों के साथ-साथ विदेशी पर्यटक भी छऊ नृत्य सीखने नहीं पहुंच रहे हैं.
ये भी पढ़ें- सरायकेला के ऑक्सीजन से बचेगी रांची के मरीजों की जान, 500 सिलेंडर की आपूर्ति की तैयारी
हर साल आते थे विदेशी पर्यटक
कोरोना काल से पहले सरायकेला के प्रसिद्ध राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र में हर साल कई विदेशी पर्यटक छऊ नृत्य की बारीकियां जानने और सीखने पहुंचते थे. इनमें से कई विदेशी पर्यटक छऊ पर रिसर्च भी किया करते थे. लेकिन महामारी के चलते फिलहाल लोकल कलाकार समेत विदेशी पर्यटक का आना पूरी तरह बंद है. इधर कलाकार लंबे समय से रंगमंच से दूर हैं. जिसके कारण रंगमंच से कला की दुनिया में रंग भरने वाले कलाकारों का जीवन बेरंग हो रहा है.
ऑनलाइन चल रहा 'संकल्पः एक नए सृजन की ओर' अभियान
संक्रमण के इस दौर में छऊ कलाकारों में आत्मविश्वास जगाने और कलाकारों के हौसला बढ़ाने के उद्देश्य से राजकीय छाऊ नृत्य कला केंद्र के निदेशक सह छऊ गुरु तपन कुमार पटनायक ने 'संकल्प एक नई सृजन की ओर' मुहिम की शुरुआत की. जिसके तहत ऑनलाइन वेबीनार के माध्यम से विश्वभर में छऊ कला को एक नए स्वरूप में ले जाने की तैयारी की गई है ताकि छऊ कला संस्कृति विरासत को संजोए हुए कलाकारों का भी हौसला बढ़ाया जाए.