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संताल समाज ने मनाया प्रकृति पर्व बाहा बोंगा, जल ,जंगल, जमीन की पूजा कर दिया संरक्षण का संदेश - किसान

आदिवासी समाज के सभी समुदायों का यूं तो प्रकृति से विशेष जुड़ाव होता है और वह इसकी पूजा भी करते हैं. बहा आदिवासियों का एक ऐसा पर्व है, जिसमें किसान खेत खलिहान और बागीचों के नए फूल और फसलों की पूजा अर्चना करते हैं. सरायकेला के संताल समाज में भी आज पारंपरिक तरीके से इस पर्व को मनाया गया.

चंपई सोरेन, विधायक , सरायकेला
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Published : Mar 12, 2019, 8:23 PM IST

सरायकेला: कोल्हान के संताल समाज में प्रकृति पर्व बहा बोंगा का एक अलग ही स्थान है. मंगलवार को समाज के लोगों ने प्रकृति के इस पर्व को मनाया. इस पर्व के जरिए प्रकृति की पूजा अर्चना करके मुख्य रूप से जल-जंगल और जमीन के संरक्षण का भी संदेश दिया.

आदिवासी समाज के सभी समुदायों का यूं तो प्रकृति से विशेष जुड़ाव होता है और वह इसकी पूजा भी करते हैं. बहा आदिवासियों का एक ऐसा पर्व है, जिसमें किसान खेत खलिहान और बागीचों के नए फूल और फसलों की पूजा अर्चना करते हैं. सरायकेला के संताल समाज में भी आज पारंपरिक तरीके से इस पर्व को मनाया गया. वहीं, सरायकेला के झारखंड मुक्ति मोर्चा विधायक चंपई सोरेन ने भी अपने पैतृक गांव में प्रकृति के इस पर्व का आयोजन कर खेत खलिहान में पूजा अर्चना करते नजर आए.

चंपई सोरेन, विधायक , सरायकेला

पूरे पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ गांव के पुजारियों ने पूजा को संपन्न कराया. वहीं, इस पर्व के माध्यम से विधायक ने अपने क्षेत्र के लोगों को बाहा पर्व की शुभकामनाएं दी. इसके साथ ही क्षेत्र की खुशहाली और प्रकृति के देवता से दुआ भी मांगी.

सरायकेला: कोल्हान के संताल समाज में प्रकृति पर्व बहा बोंगा का एक अलग ही स्थान है. मंगलवार को समाज के लोगों ने प्रकृति के इस पर्व को मनाया. इस पर्व के जरिए प्रकृति की पूजा अर्चना करके मुख्य रूप से जल-जंगल और जमीन के संरक्षण का भी संदेश दिया.

आदिवासी समाज के सभी समुदायों का यूं तो प्रकृति से विशेष जुड़ाव होता है और वह इसकी पूजा भी करते हैं. बहा आदिवासियों का एक ऐसा पर्व है, जिसमें किसान खेत खलिहान और बागीचों के नए फूल और फसलों की पूजा अर्चना करते हैं. सरायकेला के संताल समाज में भी आज पारंपरिक तरीके से इस पर्व को मनाया गया. वहीं, सरायकेला के झारखंड मुक्ति मोर्चा विधायक चंपई सोरेन ने भी अपने पैतृक गांव में प्रकृति के इस पर्व का आयोजन कर खेत खलिहान में पूजा अर्चना करते नजर आए.

चंपई सोरेन, विधायक , सरायकेला

पूरे पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ गांव के पुजारियों ने पूजा को संपन्न कराया. वहीं, इस पर्व के माध्यम से विधायक ने अपने क्षेत्र के लोगों को बाहा पर्व की शुभकामनाएं दी. इसके साथ ही क्षेत्र की खुशहाली और प्रकृति के देवता से दुआ भी मांगी.

Intro:संथाल समाज ने मनाया प्रकृति का पर्व बहा बोंगा, जल ,जंगल, जमीन की पूजा कर दिया प्रकृति संरक्षण का संदेश।

कोल्हान के संथाल समाज में प्रकृति पर्व बहा बोंगा का एक अलग ही स्थान है , आज संथाल समाज के लोगों ने प्रकृति का पर्व बहा मनाया । इस पर्व के माध्यम से प्रकृति की पूजा अर्चना कर मुख्य रूप से जल जंगल और जमीन के संरक्षण का भी संदेश दिया।


Body:आदिवासी समाज के सभी समुदायों का यूं तो प्रकृति से विशेष जुड़ा होता है और सभी प्रकृति की पूजा करते हैं । बहा आदिवासियों का एक ऐसा पर्व है जिसमें किसान प्रकृति के खेत खलिहान और बगीचों के नए फूल और फसलों की पूजा अर्चना करते हैं।

सरायकेला- खरसावां जिले के संथाल समाज में भी आज पारंपरिक तरीके से इस पर्व को मनाया गया. इधर सरायकेला के झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक चंपई सोरेन ने भी अपने पैतृक

गांव में प्रकृति के इस पर्व का आयोजन कर खेत खलिहान में पूजा अर्चना करते नजर आए। पूरे पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ गांव के पुजारियों ने पूजा संपन्न कराया, वहीं इस पर्व के माध्यम से विधायक ने अपने क्षेत्र के लोगों को बाहा पर्व की शुभकामना दी साथ ही क्षेत्र की खुशहाली और प्रकृति के देवता से दुआ भी मांगी।

बाइट- चंपई सोरेन, विधायक , सरायकेला.


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