साहिबगंज: जिले के खनन क्षेत्रों में मजदूर जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं. जिला प्रशासन के आदेश का उल्लंघन कर रोजाना इस काम को गति दी जा रही है. आये दिन मजदूरों के साथ दुर्घटना होती है. खनन क्षेत्रों में मजदूरों की कभी क्रशर के फीता में फंसकर मौत, तो कभी गिरकर कर मौत हो जाती है.
साहिबगंज जिले के मिर्जाचौकी बॉर्डर से लेकर अंतिम बॉर्डर कोटलपोखर तक हजारों हजार माइंस चल रहे हैं. प्रशासन की ओर से आदेश भी दिया जा रहा है. मजदूर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए काम करवाना है, लेकिन माइंस और क्रशर माफिया नियमों का लगातार उल्लंघन कर मजदूर के जान को जोखिम में डालकर काम लेते हैं.
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क्रशर प्लांट और माइंस में मजदूर किस तरह काम कर रहे हैं, यह जानने की कोशिश ईटीवी भारत की टीम ने की. वहां की हकीकत काफी भयानक थी. पत्थर तोड़ रहे मजदूर बिना सुरक्षा के काम कर रहे थे. किसी के पास न तो हेलमेट था और न ही मास्क. यही वजह है कि मजदूर आये दिन धूल की वजह से सिलिकोसिस नाम की बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं. आये दिन मजदूरों की मौत समय से पहले हो जाती है. वजह केवल अलग-अलग होते हैं. फिर मौत चाहे बीमारी से हो या क्रशर के फीता में फंसने से हो या फिर अवैध माइंस में विस्फोट से.
मजदूरों की मौत के बाद केस को रफा दफा कर दिया जाता है. जिला खनन पदाधिकारी ने कहा कि सभी क्रशर मालिकों को साफ निर्देश दिया गया है कि पूरी सेफ्टी के साथ मजदूर को काम पर लगाए. कहीं भी दुर्घटना होने पर बड़ी कार्रवाई की जाएगी. हालांकि अभी तक ऐसी कोई घटना सामने नहीं आई है. मामला संज्ञान में आ गया है टास्क फोर्स टीम के साथ जिला का भ्रमण किया जाएगा अगर कहीं पाया जाता है तो क्रशर और माइंस मालिक के ऊपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.