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वोकल फोर लोकल अपील का साहिबगंज में असर, वन विभाग रोजाना तैयार करवा रहा 8 हजार पत्तल - leaf plate business in sahibganj

पूरे देश में लॉकडाउन के कारण आर्थिक संकट मंडरा रहा है, लेकिन पीएम मोदी के स्थानीय प्रोडक्ट को बढ़ाना देने की अपील के बाद साहिबगंज में लोगों को रोजगार मिलना शुरु हो गया है.

local to Vocal appeal effect on sahibgang Forest department
साहिबगंज में बढ़ा पत्तल का व्यापार
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Published : May 21, 2020, 7:47 PM IST

Updated : May 21, 2020, 8:30 PM IST

साहिबगंज: वैश्विक महामारी कोरोना से देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है. सारा काम काज ठप पड़ा हुआ है. कुटीर और लघु उद्योग बंद पड़ा हुआ है. वहीं बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां भी बंद पड़ी हुई है, जिससे लाखों लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं, लेकिन साहिबगंज में सखुआ के पत्तल का व्यसाय बढ़ गया है.

देखें स्पेशल स्टोरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अब लोगों को आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है, लोकल के लिए वोकल होना भी जरुरी है. उन्होंने देश की जनता से स्थानीय प्रॉडक्ट को ग्लोबल बनाने की अपील की है, जिसके बाद से साहिबगंज वन प्रमंडल रेस हो चुका है.

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बांस का सामान बनाते कारीगर

हर दिन बनाए जा रहे 8 हजार पत्तल

दरअसल, संथाल परगना के साहिबगंज जिला के पहाड़ी क्षेत्रों में बांस काफी मात्रा में पाया जाता है. यहां पाया जानेवाला बांस 15 से 20 फीट लंबा होता है, साहिबगंज के पहाड़ी इलाकों में सखुआ का पेड़ भी अधिक मात्रा में पाया जाता है. इन सखुआ के पत्तों का उपयोग खाने-पीने के दौरान थाली के रूप में की जाती है. साहिबगंज वन प्रमंडल पीएम की अपील के बाद सखुआ के पत्ते से पत्तल बनवाकर लॉकडाउन में मुख्यमंत्री किचन दीदी योजना में सप्लाई करवा रहे हैं, वह भी कम कीमत पर. हर दिन 8 हजार सखुआ का पत्तल तैयार करवाया जा रहा है.

इसे भी पढे़ं:- ETV BHARAT IMPACT: बेमौसम बारिश में फसल बर्बाद, किसानों को मिलेगा मुआवजा

पत्तल की संख्या बढ़ाने के लिए खरीदी गई मशीन

शुरुआती दौर में पत्तल बनाने के कार्य में सिर्फ एक मशीन हुआ करता था, लेकिन पीएम के अपील के बाद वन विभाग ने चार मशीन की खरीदारी की है, जिसमें दो मशीन साहिबगंज वन प्रमंडल सदर प्रखंड में है और एक पतना प्रखंड में जबकि एक मशीन राजमहल वन प्रमंडल क्षेत्र में लगवाकर सखुआ के पत्ते से पत्तल बनाया जा रहा है. वन विभाग इन कार्य में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं का सहयोग ले रहा है.

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हरे भरे बांस

कारीगर को मिलेगा फायदा

वहीं, जिले के पहाड़ी इलाकों में बांस भी अधिक मात्रा में पाया जाता है. पहाड़िया इन बांसों को अपने कंधों पर लाकर बाजार में ओने-पोने दाम में बेच देते हैं, लेकिन अब वन विभाग इसमें हस्तक्षेप कर बृहत पैमाने पर कारीगर को रोजगार देने की तैयारी में जुटा है. वन विभाग इन बांसों से आकर्षक समान तैयार कवाकर बाजार में बेचेगा. बांस और सखुवा के पत्ते से समान बनाने वाले कारीगर बताते हैं कि इन बांस से पंखा, टोकरी, सूप, दोवरा, चिड़िया, कुर्सी, टेबल बनाया जाता है, लेकिन उचित बाजार नहीं मिलने के कारण उन्हें काफी परेशानी होती है. उन्होंने कहा कि पीएम के अपील के बाद अगर इस दिशा में जिला प्रशासन सहयोग करता है, तो काफी मदद मिलेगी, अगर सस्ते दाम पर बांस उपलब्ध हो और बाजार उपलब्ध हो तो सरकार को भी राजस्व की प्राप्ति होगी और सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलेगा.

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सखुआ के पत्ते से पत्तल तैयार

वन प्रमंडल के पदाधिकारी ने बताया कि पीएम की अपील के बाद जिले में फिलहाल दो तरह के काम चालू किए जा रहे हैं, पहाड़िया लोगों से सखुवा का पत्ता खरीदकर स्वयं सहायता समूह के माध्यम से पत्तल बनवाया जा रहा है और पूरे जिला के सीएम दीदी किचन में इसे भेजा जा रहा है, इस कार्य में जुड़े नीचे से ऊपर तक सभी लोगों को अच्छी आमदनी हो रही है. उन्होंने कहा कि साहिबगंज जिला में बांस अधिक मात्रा में पाया जाता है इन बांसों से अनेकों प्रकार का प्रोडक्ट बनाया जाता है. इसके लिए मशीन मंगवाया जा रहा है, स्थानीय कारीगर की मदद से आकर्षक समान बनवाया जाएगा और बाजारों तक पहुंचाया जाएगा.

साहिबगंज: वैश्विक महामारी कोरोना से देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है. सारा काम काज ठप पड़ा हुआ है. कुटीर और लघु उद्योग बंद पड़ा हुआ है. वहीं बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां भी बंद पड़ी हुई है, जिससे लाखों लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं, लेकिन साहिबगंज में सखुआ के पत्तल का व्यसाय बढ़ गया है.

देखें स्पेशल स्टोरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अब लोगों को आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है, लोकल के लिए वोकल होना भी जरुरी है. उन्होंने देश की जनता से स्थानीय प्रॉडक्ट को ग्लोबल बनाने की अपील की है, जिसके बाद से साहिबगंज वन प्रमंडल रेस हो चुका है.

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बांस का सामान बनाते कारीगर

हर दिन बनाए जा रहे 8 हजार पत्तल

दरअसल, संथाल परगना के साहिबगंज जिला के पहाड़ी क्षेत्रों में बांस काफी मात्रा में पाया जाता है. यहां पाया जानेवाला बांस 15 से 20 फीट लंबा होता है, साहिबगंज के पहाड़ी इलाकों में सखुआ का पेड़ भी अधिक मात्रा में पाया जाता है. इन सखुआ के पत्तों का उपयोग खाने-पीने के दौरान थाली के रूप में की जाती है. साहिबगंज वन प्रमंडल पीएम की अपील के बाद सखुआ के पत्ते से पत्तल बनवाकर लॉकडाउन में मुख्यमंत्री किचन दीदी योजना में सप्लाई करवा रहे हैं, वह भी कम कीमत पर. हर दिन 8 हजार सखुआ का पत्तल तैयार करवाया जा रहा है.

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पत्तल की संख्या बढ़ाने के लिए खरीदी गई मशीन

शुरुआती दौर में पत्तल बनाने के कार्य में सिर्फ एक मशीन हुआ करता था, लेकिन पीएम के अपील के बाद वन विभाग ने चार मशीन की खरीदारी की है, जिसमें दो मशीन साहिबगंज वन प्रमंडल सदर प्रखंड में है और एक पतना प्रखंड में जबकि एक मशीन राजमहल वन प्रमंडल क्षेत्र में लगवाकर सखुआ के पत्ते से पत्तल बनाया जा रहा है. वन विभाग इन कार्य में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं का सहयोग ले रहा है.

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हरे भरे बांस

कारीगर को मिलेगा फायदा

वहीं, जिले के पहाड़ी इलाकों में बांस भी अधिक मात्रा में पाया जाता है. पहाड़िया इन बांसों को अपने कंधों पर लाकर बाजार में ओने-पोने दाम में बेच देते हैं, लेकिन अब वन विभाग इसमें हस्तक्षेप कर बृहत पैमाने पर कारीगर को रोजगार देने की तैयारी में जुटा है. वन विभाग इन बांसों से आकर्षक समान तैयार कवाकर बाजार में बेचेगा. बांस और सखुवा के पत्ते से समान बनाने वाले कारीगर बताते हैं कि इन बांस से पंखा, टोकरी, सूप, दोवरा, चिड़िया, कुर्सी, टेबल बनाया जाता है, लेकिन उचित बाजार नहीं मिलने के कारण उन्हें काफी परेशानी होती है. उन्होंने कहा कि पीएम के अपील के बाद अगर इस दिशा में जिला प्रशासन सहयोग करता है, तो काफी मदद मिलेगी, अगर सस्ते दाम पर बांस उपलब्ध हो और बाजार उपलब्ध हो तो सरकार को भी राजस्व की प्राप्ति होगी और सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलेगा.

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सखुआ के पत्ते से पत्तल तैयार

वन प्रमंडल के पदाधिकारी ने बताया कि पीएम की अपील के बाद जिले में फिलहाल दो तरह के काम चालू किए जा रहे हैं, पहाड़िया लोगों से सखुवा का पत्ता खरीदकर स्वयं सहायता समूह के माध्यम से पत्तल बनवाया जा रहा है और पूरे जिला के सीएम दीदी किचन में इसे भेजा जा रहा है, इस कार्य में जुड़े नीचे से ऊपर तक सभी लोगों को अच्छी आमदनी हो रही है. उन्होंने कहा कि साहिबगंज जिला में बांस अधिक मात्रा में पाया जाता है इन बांसों से अनेकों प्रकार का प्रोडक्ट बनाया जाता है. इसके लिए मशीन मंगवाया जा रहा है, स्थानीय कारीगर की मदद से आकर्षक समान बनवाया जाएगा और बाजारों तक पहुंचाया जाएगा.

Last Updated : May 21, 2020, 8:30 PM IST
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