साहिबगंज: झारखंड का ये जिला गंगा नदी की बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुआ है. हर बार की तरह इस बार भी जान माल की काफी क्षति हुई है. इस साल गंगा के लेवल का अपने अधिकतम स्तर 28.90 cm पर पहुंचने के बाद काफी दिनों तक खेतों में पानी जमा रहने से गन्ना किसानों को काफी नुकसान हुआ है.
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गन्ने की फसल बर्बाद
खेतों में लंबे समय तक पानी के ठहराव से कई एकड़ में लगी गन्ने की फसल बर्बाद हो गई है. नुकसान के बावजूद कर्ज लेकर किसान खेती करने में जुटे हैं. इतनी परेशानियों के बावजूद जिला प्रशासन किसानों की मदद के लिए आगे नहीं आया है. किसानों ने जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है.
क्या कहते हैं किसान
किसान उमाशंकर यादव के मुताबिक बलुआ दियरा से लेकर नाढ़ी दायरा तक ढाई सौ एक एकड़ जमीन पर ईख की खेती होती थी. लेकिन आज स्थिति ये है कि इलाके में कहीं कहीं ही गन्ने की खेत दिखाई दे रही है. बलुआ दियरा के किसान राम मंडल ने कहा कि दियरा क्षेत्र में ईख की खेती नहीं होने से इस साल गुड़ और चीनी भी महंगी हो जाएगी. उनके मुताबिक साहिबगंज, भागलपुर, कटिहार, अहमदाबाद के मंडी तक ले जाकर बेचते थे. जिससे किसानों को काफी फायदा होता था. लेकिन इस बार पूरी फसल बर्बाद होने से काफी नुकसान हुआ है.
किसानों ने की मुआवजे की मांग
महादेवगंज वासी किसान गुदड़ यादव की माने तो बलुआ दियारा से लेकर नाढ़ी दियरा तक जाने के लिए सड़क तो बना लेकिन सड़क के आर-पार पानी निकासी के लिए नाले की व्यवस्था नहीं की गई जिसकी वजह से अभी तक खेतों में पानी जमा हुआ है.उन्होंने जिला प्रशासन से दियरा का सर्वे कराकर किसानों को मुआवजा देने की मांग की ताकि कुछ राहत मिल सके.
किसानों को मदद का आश्वासन
पूरे मामले में उप विकास आयुक्त ने कहा कि सदर प्रखंड के दियरा क्षेत्र का सर्वे कराने का आदेश दिया जा रहा है. सर्वे के बाद यह पता चलेगा की फसल की बर्बादी किस हद तक हुई है. उन्होंंने कहा कि निश्चित रूप से किसानों को राहत दी जाएगी.