साहिबगंज: कहते हैं कि बच्चे एक दिन बूढ़े मां-बाप का सहारा बनते हैं. मां-बाप अपने बच्चों को बड़ी मेहनत और दुख-सुख के साथ पढ़ाते लिखाते हैं. बहुत सारे ऐसे संस्कारी बच्चे भी होते हैं जो अपने माता-पिता की जिंदगी भर मदद करते हैं, उनका ख्याल भी रखते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी बच्चे होते हैं जो अपने माता-पिता को भूल जाते हैं और अपनी दुनिया में जीने लगते हैं. एक ऐसे ही घटना दिल को मर्माहत करने वाली वृद्धाश्रम में रहे एक बुजुर्ग दंपती की है.
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दरअसल, कुछ समय पहले ही बुजुर्ग रविंद्र चौधरी का पैर टूटा गया था. आश्रम की तरफ से इलाज कराया गया था. ऑपरेशन करने के बाद अभी बेड रेस्ट में है. सबसे दुख वाली बात यह है कि इस बुजुर्ग के दो बेटे और दो बेटी हैं. दोनों बेटे 12 साल पहले कमाने के लिए बेंगलुरु चले गए. उसके बाद आज तक अपने माता-पिता से हालचाल जाने की कोशिश भी नहीं की और न ही साहिबगंज लौटकर आए.
बुजुर्ग रविंद्र चौधरी कहते हैं कि आज साहिबगंज में वृद्धाश्रम नहीं होता तो आज हम बूढ़ा और बूढ़ी कहीं के नहीं रहते. इस बुढ़ापे में भोजन के लिए मरते. दो बेटे हैं लेकिन आज तक मां-बाप का हाल चाल लेना उचित नहीं समझा. पैर टूटने के दौरान दोनों बेटों से संपर्क किया गया तो दोनों ने साहिबगंज आने से इंकार कर दिया. बुजुर्ग ने कहा कि काफी दुख होता है. अपने बच्चे को मुश्किल की घड़ी में पढ़ाया लिखाया और बड़ा किया आज हमें अपने बेटा-बेटी जरूरत है तो कोई हमारा ख्याल नहीं रख रहा है.