साहिबगंज: झारखंड के साहिबगंज जिला में गंगा नदी 80 किमी बहते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है. नमामि गंगे के तहत गंगा किनारे बसने वाले गांवों का विकास करने और लोगों को गंगा के प्रति जागरुक करने के लिए अलग से फंड मुहैया कराती है. जिससे लोग गंगा की महत्व को समझें और पतित पावनी गंगा को अविरल, निर्मल रखने में अपना सहयोग करें. लेकिन इसके लिए जारी फंड को दो साल में खर्च नहीं किया जा सका है.
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केंद्र सरकार नमामि गंगे परियोजना के तहत जिला प्रशासन को 17 फरवरी 2020 को (2019-2020) नदीं के उद्धार और प्रचार प्रसार के कार्यक्रम के लिए एक करोड़ 37 लाख रुपया आवंटन कराई थी. लेकिन अभी तक इस मद का राशि खर्च नहीं हो सका है. जिससे केंद्र सरकार के द्वारा दोबारा फंड नहीं भेजा गया है. हालांकि जिला प्रशासन के द्वारा वित्तीय वर्ष 2021-2022 के लिए पिछले साल मार्च महीना में एक करोड़ 47 लाख रुपया का प्रस्ताव राज्य सरकार और केंद्र सरकार को भेजा गया है.
नामामि गंगे फंड के तहत जिला में सिर्फ कार्यक्रम और प्रचार प्रसार को लेकर ही खर्च करना होता है. अभी तक जिला में पिछले साल 15 दिन का गंगा स्वच्छता पखवाड़ा, स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम हुआ था. अलग अलग तिथि पर इसी तरह विश्व जल दिवस, अंतराष्ट्रीय महिला दिवस, पर्यावरण दिवस, विश्व वानिकी दिवस, आद्र भूमि दिवस, गंगा मशाल यात्रा, अतुल गंगा यात्रा, सेमिनार-पर्यावरण और गंगा संरक्षण, वृक्षा रोपन पखवाड़ा, गंगा उत्सव, स्थापना दिवस, झांकी और प्रचार प्रसार के लिए साइन बोर्ड, गंगा प्रतियोगिता, राष्ट्रीय स्तर का भाषण एवं निबंध प्रतियोगिता, चल चर्चा, माघी मेला (5 लाख खर्च), गंगा संरक्षण संवाद जैसे कार्यक्रम अभी तक हुआ है.
परियोजना पदाधिकारी संदीप कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार के कलेंडर के अनुसार कार्यक्रम निर्धारित रहता है. समय समय पर तय तिथि के अनुसार कार्यक्रम होता है, हर कार्यक्रम में राशि निर्धारित होती है, राशि के अंदर ही खर्च करना होता है. हाल ही में नदी उत्सव और गंगा उत्सव जैसे कार्यक्रम में केंद्र सरकार के अनुसार नौ लाख खर्च करना था लेकिन जिला प्रशासन की तरफ से 7 लाख 70 लाख खर्च ही हुआ. प्रतिवेदन की मांग की गई थी जिसका ब्योरा बनाकर भेज दिया गया है.
उन्होंने कहा कि जिला गंगा समिति के बैठक में निर्णय लेकर अन्य कार्यक्रम कराया जा सकता है. उप विकास आयुक्त प्रभात कुमार बरदियार ने कहा कि नमामि गंगे परियोजना की देखरेख जल शक्ति मंत्रालय करती है, समय समय खर्च का ब्योरा मांगा जाता है. कोरोना काल में दो साल कुछ भी काम नहीं हो सका, उसके बाद जैसे-जैसे जनजीवन सामान्य हुआ वैसे कार्यक्रम किया गया. अब कोरोना पुरी तरह सामान्य हो चुका है तो कार्यक्रम कराया जा रहा है. अभी लगभग 60 लाख फंड में बचा हुआ है, बहुत जल्द इसे भी जन कल्याण में खर्च किया जाएगा, बाकी के आवंटन की मांग की गयी है.