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साहिबगंज: शहर छोड़कर गांव लौटे मजदूरों को मनरेगा के तहत मिला रोजगार, जिला प्रशासन का जताया आभार - साहिबगंज के प्रवासी मजदूरों को मिला रोजगार

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए देशभर में लागू किए गए लॉकडाउन के कारण जहां बड़े पैमाने पर मजदूर शहरों को छोड़कर वापस अपने-अपने गांव लौट चुके हैं. ऐसे में साहिबगंज जिला प्रशासन मनरेगा के तहत प्रवासी मजदूरों को रोजगार दे रहा है. प्रवासी मजदूरों को उनके गांवों में मनरेगा के तहत काम मिल रहा है. साहिबगंज के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अबतक करीब 15 हजार प्रवासी श्रमिक अपने घर लौट चुके हैं.

Migrant workers are getting work under MNREGA in sahibganj
मनरेगा के तहत काम करते मजदूर
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Published : Jun 7, 2020, 6:49 PM IST

साहिबगंज: लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों और शहरों से लौटे प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के लिए जिला प्रशासन प्रतिबद्ध है. क्वॉरेंटाइन अवधि पूरा होने के बाद प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के तहत रोजगार दिया जा रहा है.

देखें पूरी खबर

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए देशभर में लागू किए गए लॉकडाउन के कारण जहां बड़े पैमाने पर मजदूर शहरों को छोड़कर वापस अपने-अपने गांव लौट चुके हैं. ऐसे में साहिबगंज जिला प्रशासन मनरेगा के तहत प्रवासी मजदूरों को रोजगार दे रहा है. प्रवासी मजदूरों को उनके गांवों में मनरेगा के तहत काम मिल रहा है. साहिबगंज के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अबतक करीब 15 हजार प्रवासी श्रमिक अपने घर लौट चुके हैं. इन सभी को गवर्नमेंट और होम क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखकर स्वास्थ जांच कर रोजगार से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. अभी तक 3 हजार के आसपास प्रवासी श्रमिकों को जॉब कार्ड दिया गया है और मनरेगा योजना से जोड़ा जा चुका है. इनका मूल मजदूरी डीबीडी के माध्यम से सीधे बैंक खाते में चला जाता है.

साहिबगंज में रोजगार का अभाव

देश में लगातार लॉकडाउन लगने के कारण देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है. साथ ही उद्योग-धंधे ठप रहने के कारण लाखों श्रमिक बेरोजगार हो गए. साहिबगंज की आबादी लगभग 12 लाख की है. जिले में अधिकतर लोग मजदूरी करके अपना जीवन-यापन करते हैं. यहां पत्थर उद्योग के आलावा कोई दूसरा धंधा नहीं है. ऐसी स्थिति में स्थाई रूप से रहने वाले श्रमिक और अन्य राज्यों से आने वाले श्रमिकों को रोजगार देना जिला प्रशासन के लिए चुनौती है.

क्या कहता हैं मजदूर

मनरेगा योजना से लाभाविंत श्रमिकों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से उन्हें काम मिल रहा है. लॉकडाउन के दौरान महीनों से बेरोजगार बैठे मजदूरों को काम मिलने से उन्हें खुशी है. मजदूरों ने बताया कि अगर इसी तरह से उन्हें काम मिले तो उन्हें बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. जिला प्रशासन की ओर अपने क्षेत्र में ही काम मिलने पर मजदूर काफी खुश हैं और मजदूरों ने जिला प्रशासन के अधिकारियों को प्रति आभार प्रकट किया.

जनप्रतिनिधि और अधिकारी निभा रहे जिम्मेदारी

प्रवासी श्रमिकों को रोजगार दिलाने को लेकर सरकार से मुखिया तक का प्रयास सराहनीय है. मुखिया प्रेमलता टुड्डू ने बताया कि जिला प्रशासन के आदेश पर इन प्रवासी मजदुरों को रोजगार मुहैया कराया जा रहा है. साथ ही इन मजदुरों को डोभा, तालाब, कुआं, गांव में नाली, सड़क, चबूतरा, विवाह मंडप के निर्माण कार्य से जोड़कर रोजगार दिया जा रहा है.

राजमहल विधायक ने बताया कि छोटे-छोटे कुटीर उद्योग से जोड़कर इन प्रवासी मजदुरों को रोजगार से जोड़ सकते है. वहीं, उप विकास आयुक्त मनोहर मरांडी ने बताया कि सभी मजदूरों को क्वॉरेंटाइन अवधि पूरा करने के बाद उन्हें जॉब कार्ड देकर रोजगार से जोड़ा जा रहा है. निश्चित रूप से मनरेगा योजना प्रवासी मजदूरों के लिए कारगर साबित होगा. लगातार इसी तरह काम मिलता रहे तो इन मजदूरों का आर्थिक स्थिति में जरूर सुधार आएगा. इसमें जनप्रतिनिधि से लेकर जिला प्रशासन का सहयोग अपेक्षित है.

साहिबगंज: लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों और शहरों से लौटे प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के लिए जिला प्रशासन प्रतिबद्ध है. क्वॉरेंटाइन अवधि पूरा होने के बाद प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के तहत रोजगार दिया जा रहा है.

देखें पूरी खबर

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए देशभर में लागू किए गए लॉकडाउन के कारण जहां बड़े पैमाने पर मजदूर शहरों को छोड़कर वापस अपने-अपने गांव लौट चुके हैं. ऐसे में साहिबगंज जिला प्रशासन मनरेगा के तहत प्रवासी मजदूरों को रोजगार दे रहा है. प्रवासी मजदूरों को उनके गांवों में मनरेगा के तहत काम मिल रहा है. साहिबगंज के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अबतक करीब 15 हजार प्रवासी श्रमिक अपने घर लौट चुके हैं. इन सभी को गवर्नमेंट और होम क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखकर स्वास्थ जांच कर रोजगार से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. अभी तक 3 हजार के आसपास प्रवासी श्रमिकों को जॉब कार्ड दिया गया है और मनरेगा योजना से जोड़ा जा चुका है. इनका मूल मजदूरी डीबीडी के माध्यम से सीधे बैंक खाते में चला जाता है.

साहिबगंज में रोजगार का अभाव

देश में लगातार लॉकडाउन लगने के कारण देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है. साथ ही उद्योग-धंधे ठप रहने के कारण लाखों श्रमिक बेरोजगार हो गए. साहिबगंज की आबादी लगभग 12 लाख की है. जिले में अधिकतर लोग मजदूरी करके अपना जीवन-यापन करते हैं. यहां पत्थर उद्योग के आलावा कोई दूसरा धंधा नहीं है. ऐसी स्थिति में स्थाई रूप से रहने वाले श्रमिक और अन्य राज्यों से आने वाले श्रमिकों को रोजगार देना जिला प्रशासन के लिए चुनौती है.

क्या कहता हैं मजदूर

मनरेगा योजना से लाभाविंत श्रमिकों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से उन्हें काम मिल रहा है. लॉकडाउन के दौरान महीनों से बेरोजगार बैठे मजदूरों को काम मिलने से उन्हें खुशी है. मजदूरों ने बताया कि अगर इसी तरह से उन्हें काम मिले तो उन्हें बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. जिला प्रशासन की ओर अपने क्षेत्र में ही काम मिलने पर मजदूर काफी खुश हैं और मजदूरों ने जिला प्रशासन के अधिकारियों को प्रति आभार प्रकट किया.

जनप्रतिनिधि और अधिकारी निभा रहे जिम्मेदारी

प्रवासी श्रमिकों को रोजगार दिलाने को लेकर सरकार से मुखिया तक का प्रयास सराहनीय है. मुखिया प्रेमलता टुड्डू ने बताया कि जिला प्रशासन के आदेश पर इन प्रवासी मजदुरों को रोजगार मुहैया कराया जा रहा है. साथ ही इन मजदुरों को डोभा, तालाब, कुआं, गांव में नाली, सड़क, चबूतरा, विवाह मंडप के निर्माण कार्य से जोड़कर रोजगार दिया जा रहा है.

राजमहल विधायक ने बताया कि छोटे-छोटे कुटीर उद्योग से जोड़कर इन प्रवासी मजदुरों को रोजगार से जोड़ सकते है. वहीं, उप विकास आयुक्त मनोहर मरांडी ने बताया कि सभी मजदूरों को क्वॉरेंटाइन अवधि पूरा करने के बाद उन्हें जॉब कार्ड देकर रोजगार से जोड़ा जा रहा है. निश्चित रूप से मनरेगा योजना प्रवासी मजदूरों के लिए कारगर साबित होगा. लगातार इसी तरह काम मिलता रहे तो इन मजदूरों का आर्थिक स्थिति में जरूर सुधार आएगा. इसमें जनप्रतिनिधि से लेकर जिला प्रशासन का सहयोग अपेक्षित है.

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